पाक जेलों में 54 भारतीय जंगी कैद

Edited By Updated: 23 Jan, 2017 08:32 AM

54 indian military prison in the pakistan jails

पाकिस्तानी सेना द्वारा 4 महीने बाद भारतीय सैनिक चंदू बाबू लाल चौहान को रिहा किए जाने के बाद एक बार फिर से पाकिस्तान की जेल में बंद 54 भारतीय जंगी कैदियों के परिवारों में हलचल मच गई है।

अमृतसर (नीरज): पाकिस्तानी सेना द्वारा 4 महीने बाद भारतीय सैनिक चंदू बाबू लाल चौहान को रिहा किए जाने के बाद एक बार फिर से पाकिस्तान की जेल में बंद 54 भारतीय जंगी कैदियों के परिवारों में हलचल मच गई है। पाकिस्तानी सेना जो भारतीय जवानों के सिर काटकर ले जाती थी और शव को भी क्षत-विक्षत कर देती थी, ऐसी सेना द्वारा भारतीय सैनिक को छोड़ देना दोनों देशों की सेनाओं में एक नए युग की शुरूआत होने के तौर पर देखा जा सकता है, वहीं सवाल यह भी पैदा होता है कि आखिर 1965 व 1971 की भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए गए 54 भारतीय सैनिकों की रिहाई कब होगी। इन सैनिकों के परिवारों में अब तो उनके बच्चे भी बड़े हो चुके हैं और पत्नियां आज तक अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।

इन सैनिकों के परिवारों में रोष है कि भारत सरकार भी अपने इन सैनिकों को रिहा करवाने के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं कर रही है, जबकि समय-समय पर इन जंगी कैदी सैनिकों के जीवित होने के सबूत भी मिलते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान अपनी हार का बदला लेने के लिए इन भारतीय सैनिकों को रिहा नहीं कर रहा है, जबकि भारतीय सेना ने 1971 की जंग में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को रिहा कर दिया था।जंगी कैदियों के परिवारों का कहना है कि भारत सरकार चन्दू बाबू लाल चौहान के केस की भांति अपने 54 जंगी कैदियों की रिहाई के लिए भी सख्त कदम उठाए।

सुप्रीम कोर्ट भी कर चुकी है सरकार की खिंचाई
भारतीय सैनिकों के पाकिस्तानी जेल में बंद होने की सूचना समय-समय पर उनके परिवारों को मिलती रही है, लेकिन सरकार ने उनकी रिहाई के लिए कोई प्रयास नहीं किया। अंतत: दुखी होकर इन परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ केस लड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की बुरी तरह खिंचाई की, लेकिन सरकार को फिर भी शर्म नहीं आई। गुजरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता एम.के. पॉल लंबे समय से 54 जंगी कैदियों की रिहाई के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक पाकिस्तान ने एक भी जंगी कैदी रिहा नहीं किया है।

सैनिक मंगल सिंह भी पाक जेल में बंद
सैनिक रामदास की भांति सैनिक मंगल सिंह भी 1971 की भारत-पाक जंग में लड़ा और पकड़ा गया, लेकिन पाकिस्तान ने आज तक इस सैनिक को न तो रिहा किया है और न ही उसके जीवित होने के सच को कबूला है। मंगल सिंह का परिवार इस समय जालंधर की रामा मंडी में रहता है।मंगल सिंह के बेटे दलजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता के जीवित होने के सबूत समय-समय पर पाकिस्तान से रिहा होकर आए कैदियों से मिलते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार उनको रिहा नहीं कर रही है।

एक सैनिक के साथ सैनिक जैसा ही व्यवहार होना चाहिए। यदि भारत सरकार पाकिस्तान के 93 हजार कैदियों को रिहा कर सकती है तो पाकिस्तान सरकार ने हमारे 54 जंगी कैदियों को रिहा क्यों नहीं किया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान द्वारा रिहा किए गए सैनिक चंदू बाबू लाल चव्हाण के केस की तरह 54 जंगी कैदियों की भी रिहाई करनी चाहिए।

आज भी पति के लिए व्रत रखती हैं सैनिक रामदास की पत्नी
सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। यह त्यौहार धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है, वहीं हमारे जांबाज सैनिकों की कुछ पत्नियां ऐसी भी हैं, जिनके पति पाकिस्तान की जेल में बंद हैं, पाकिस्तान सरकार हमारे सैनिकों को रिहा नहीं कर रही है और न ही भारतीय सैनिकों के पाकिस्तान की जेलों में बंद होने की पुष्टि करती है, लेकिन इन पत्नियों को आज भी यही उम्मीद है कि उनके पति पाकिस्तान की जेलों में जीवित हैं और एक न एक दिन भारत लौट कर जरूर आएंगे।एक ऐसा ही वीर सैनिक रामदास जो 1971 की भारत-पाक जंग में पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गया था, 46 वर्षों से पाकिस्तान सरकार उनको रिहा नहीं कर रही है। सिर्फ रामदास ही नहीं, बल्कि 54 भारतीय जंगी कैदी, जिनमें मंगल सिंह, जांबर सिंह व कई ऐसे वीर सैनिक पाकिस्तान की जेलों में कैद हैं, जिनके जीवित होने के सबूत भी मिलते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार अपनी हार का बदला लेने के लिए हमारे इन जांबाज सैनिकों को रिहा करने को तैयार नहीं है।

पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय सैनिक रामदास की पत्नी कांता कुमारी 46 वर्षों से अपनी पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती आ रही है और भगवान से यही दुआ करती हैं कि उनका पति जहां भी हो सही-सलामत रहे और अपने वतन लौट कर आ जाए।रामदास का बेटा शिव कुमार भी बड़ा हो चुका है और पंजाब पुलिस में सेवा करते हुए थानेदार बन चुका है। शिव कुमार ने अपनी मां के हाथों से कंधे पर स्टार लगवाते हुए कहा कि उनको और भी ज्यादा खुशी होती जब उनके पिता भी साथ होते और कंधे पर स्टार लगाते। शिव कुमार को उम्मीद है कि उनके पिता एक न एक दिन वतन वापस जरूर आएंगे।

अपनी दास्तां बयान करते हुए शिव शर्मा ने बताया कि अपने सैनिकों की रिहाई के लिए भारत सरकार को जो गंभीर प्रयास करने चाहिए थे, वह नहीं किए गए हैं, जबकि 54 जंगी कैदियों के पाकिस्तान की जेलों में जीवित होने के कई सबूत भी मिले हैं, यहां तक कि पाकिस्तानी रेडियो व पाकिस्तान की अखबारों में भी भारतीय जंगी सैनिकों की तस्वीरें छपी थीं, लेकिन भारत सरकार ने अपने ही सैनिकों की रिहाई के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं किया है। एक नेता की बेटी को हिरासत से छुड़ाने के लिए यदि भारत सरकार खतरनाक आतंकवादियों को रिहा कर सकती है तो पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय सैनिकों को रिहा करवाने के लिए कोई सख्त प्रयास क्यों नहीं करती है?

46 वर्षों से पाक जेल में है BSF का जवान सुरजीत
भारतीय सैनिक रामदास की तरह बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह भी 46 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में कैद है, लेकिन पाकिस्तान सरकारउसे रिहा नहीं कर रही है। सुरजीत सिंह का परिवार कई वर्षों से उसे पाकिस्तान से रिहा करवाने के लिए प्रयास कर रहा है, यहां तक कि जंतर मंतर पर धरना भी दे चुका है, लेकिन फिर भी सुरजीत सिंह की रिहाई नहीं हो सकी है। जानकारी के अनुसार बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह गांव टहना फरीदकोट का रहने वाला है। उसका बैच नंबर 66577672 है और वह बी.एस.एफ. की 57वीं बटालियन में तैनात था। वह जब सांबा सैक्टर में ड्यूटी कर रहा था तो उस समय भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया और आज तक उसे न तो रिहा किया और न ही उसके पाकिस्तान की जेल में जीवित होने की पुष्टि की है। सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक सिंह ने बताया कि उसे अपने पिता के जीवित होने की खबर तब मिली जब 4 जुलाई 1984 को सतीश कुमार मरवाहा निवासी बस्ती टंका वाली फिरोजपुर पाकिस्तान की जेलसे रिहा होकर भारत आया।

सतीश कुमार ने बताया कि सुरजीत सिंह वर्ष 1973 से लेकर 1984 तक उसके साथ ही पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में कैद था और वे दोनों इकट्ठे रहते थे। सतीश कुमार को सुरजीत सिंह की फोटो भी दिखाई गई और उसने सुरजीत सिंह की पहचान भी कर ली। इसके बाद वर्ष 2004 में भारतीय कैदी खुशी मौहम्मद निवासी मालेरकोटला पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जीवित होने की पुष्टि की। जगजीत सिंह निवासी कपूरथला भी जब वर्ष 2004 में पाकिस्तान से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जीवित होने की पुष्टि की। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में 24 वर्ष सजा काटने के बाद गोपाल दास जब रिहा होकर भारत आया तो उसने बताया कि सुरजीत सिंह कोटलखपत जेल में कैद था, लेकिन अब उसे किसी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।

सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक ने बताया कि वह अपने पिता की रिहाई के लिए जंतर मंतर पर धरना भी दे चुके हैं। इतना ही नहीं, अटारी बार्डर पर बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक में भी सुरजीत सिंह का मुद्दा बी.एस.एफ. ने उठाया था, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुरजीत सिंह संबंधी कोई भी दस्तावेज नहीं दिया, उलटा पाकिस्तानी अधिकारी यह बोल रहे हैं कि सुरजीत सिंह नाम का कोई भी व्यक्ति उनकी जेल में नहीं है।
आज सुरजीत सिंह का परिवार इस बात से बेहद खफा है कि सुरजीत सिंह को रिहा करवाने के लिए भारत सरकार ने वैसे सख्त प्रयास नहीं किए जितने करने चाहिए थेा। उनका मानना है किभारत सरकार अपने सैनिकों का उचित सम्मान नहीं कर रही है। इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचाना चाहिए था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।

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