135 करोड़ देशवासियों से होगी 5 स्टील कम्पनियों के घाटे की भरपाई

Edited By Updated: 29 Dec, 2016 12:49 PM

5 steel companies deficit

केन्द्र सरकार देश की 5 राष्ट्रीय स्टील कम्पनियों को राहत देते हुए उनके घाटे की भरपाई 135 करोड़ देशवासियों से पूरा करती प्रतीत हो रही है,

लुधियाना (संदीप, बहल): केन्द्र सरकार देश की 5 राष्ट्रीय स्टील कम्पनियों को राहत देते हुए उनके घाटे की भरपाई 135 करोड़ देशवासियों से पूरा करती प्रतीत हो रही है, जिसके मद्देनजर आगामी दिनों में स्टील इंडस्ट्री से जुड़ी हर सैक्टर के उत्पादों की कीमतों में इजाफा देखने को मिलेगा, जिसके अंतर्गत 1 जनवरी से साइकिल व पार्ट्स की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। गौरतलब है कि स्टील कम्पनियों द्वारा पिछले 8 माह में जहां 10 हजार रुपए प्रति टन की बढ़ौतरी की गई है, वहीं 1 जनवरी से इन कम्पनियों द्वारा 6 से 8 हजार रुपए प्रति टन की एक और बड़ी बढ़ौतरी किए जाने के संकेत मिल रहे हैं, जिसके चलते इंजीनियरिंग सैक्टर से जुड़ी इंडस्ट्री में भारी उथल-पुथल का माहौल है। पिछले एक माह में ही कम्पनियों द्वारा 3600 रुपए प्रति टन की बढ़ौतरी की गई है। ऐसे में फिनिश गुड्स बनाने वाली कम्पनियों के लिए अपने पर इतना बोझ उठाना संभव नहीं हो पा रहा और अपने घाटे को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने उत्पादों की कीमतों को बढ़ाने की घोषणा कर दी है। 


इंडस्ट्री विशेषज्ञों की मानें तो बड़े-छोटे को समानांतर स्तर पर लाने का दावा कर रही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 5 बड़ी स्टील कम्पनियों के घाटे को पूरा करने के लिए इसकी भरपाई समस्त देशवासियों से करवाने की नीतियां लागू कर दी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार ने स्टील के आयात पर मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (एम.आई.पी.) लगा रखी है, जिससे इंडस्ट्री का मुख्य रॉ-मैटीरियल स्टील महंगा हो गया है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डीमोनोटाइजेशन के माध्यम से बड़े-बड़े उद्योगपतियों को दरकिनार कर एम.एस.एम.ई. सैक्टर व छोटी इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ छोटी-बड़ी 1 लाख स्टील उपभोक्ता इकाइयों के भविष्य को दाव पर लगाकर अपनी ही बात को आधारहीन बना रहे हैं। 


इंडस्ट्री विशेषज्ञों की मानें तो सरकार ने लगभग 1 वर्ष से ऑटो पार्ट्स, बाईसाइकिल, सीविंग मशीन, इलैक्ट्रीकल मशीन, टैक्सटाइल, फास्टनर, हैंड टूल, फोर्जिंग इत्यादि इंडस्ट्री के रॉ-मैटीरियल स्टील के आयात (इम्पोर्ट) पर मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (एम.आई.पी.) लगा रखी है, जिससे इन सभी सैक्टर से जुड़ी इंडस्ट्री को भारी नुक्सान झेलना पड़ रहा है। इस संबंध में यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग उद्यमियों द्वारा एक हंगामी मीटिंग की गई, जिसमें 29 दिसम्बर से भाजपा जिला अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपते हुए प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय मांगा जाएगा, ताकि स्टील कम्पनियों के इस खेल को सार्वजनिक किया जा सके।

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