हाल-ए-सरकारी अस्पताल,7 वर्षों में 3766 बच्चों की हुई प्रसूति दौरान मौत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 12:03 PM

3766 children die in 7 years

सरकारी मैडीकल कालेज के अधीन चलने वाले बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में प्रसूति दौरान बच्चों की मृत्यु दर घटने का नाम नहीं ले रही है।

अमृतसर (दलजीत): सरकारी मैडीकल कालेज के अधीन चलने वाले बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में प्रसूति दौरान बच्चों की मृत्यु दर घटने का नाम नहीं ले रही है। अस्पताल में वर्ष 2011 से 2017 तक 3766 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। सबसे हैरानी वाली बात है कि बच्चों की मौत दर घटाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा आज तक कोई भी प्रयास नहीं किया गया है।

यह खुलासा आर.टी.आई. एक्टिविस्ट पं. रजिन्द्र शर्मा राजू की ओर से सूचना अधिकार एक्ट के अंतर्गत ली गई जानकारी में हुआ है। अस्पताल प्रशासन से प्राप्त हुई जानकारी में खुलासा हुआ है कि 2011 में 424, 2012 में 393, 2013 में 502, 2014 में 531, 2015 में 851, 2016 में 122, 2017 में 225 बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा अस्पताल के आई.सी.यू. (नीकू) यूनिट में 2013 से 2016 तक 718 बच्चों की मौत हुई है। सूचना में बताया गया कि अस्पताल में 2017 में 3505 प्रसूति केस किए गए हैं, जिनमें 1855 लड़के और 1515 लड़कियां पैदा हुई हैं जबकि 225 बच्चों की प्रसूति दौरान मौत हो गई।

रजिन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा जच्चा-बच्चा को सरकारी अस्पतालों में बढिय़ा सेहत सेवाएं देने व अधिकारियों को जच्चा-बच्चा की सेहत ठीक रखने के लिए समय-समय पर हिदायतें की जाती हैं परन्तु बड़े अफसोस की बात है कि नवजात बच्चों की मौत दर नहीं कम हो रही है। अस्पताल में हुई उक्त मौतों में कुछ तो अच्छी सेहत सेवाएं न मिलने करण हुई हैं। सरकार द्वारा जच्चा-बच्चा का सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज किए जाने का ऐलान किया गया है, परन्तु इस सबके बावजूद उक्त केंद्र में कुछ डाक्टर अपनी जेबें भरने के लिए डिलीवरियों के नाम पर मरीजों के परिजनों से पैकेज व्यवस्था के तहत पैसे उगाह रहे हैं।

बच्चों की मौत दर को देखते हुए  तक पंजाब सरकार ने न तो किसी जिम्मेदार अधिकारी खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही किसी सरकारी डाक्टर को इस संबंधी कसूरवार माना है। सरकार यदि समय पर बच्चों की मौत दर से नसीहत ले लेती तो कई बच्चों की कीमती जानें बचाई जा सकती थीं। उन्होंने बताया कि नवजात बच्चों की देखभाल के लिए जरूरी उपकरण भी अस्पताल प्रशासन के पास मौजूद नहीं हैं, जबकि कहने को यह पंजाब का प्रसिद्ध अस्पताल है।

उन्होंने कहा कि मीडिया में कई बार सामने आया है कि लेबर रूम में कुछ डाक्टर प्रसूति दौरान गर्भवती औरतों को थप्पड़ तक मारते हैं, परन्तु अफसोस की बात है कि अधिकारी और सरकार उक्त मामले को जानते हुए भी कुंभकर्णी नींद सोई हुई है। 

जांच करवाकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो
मैडीकल शिक्षा और खोज विभाग के पहले मंत्री रहे अनिल जोशी के घर से उक्त अस्पताल कुछ ही दूरी पर है, परन्तु जोशी की तरफ से भी समय रहते अस्पताल में मरीजों के हो रहे शोषण को रोकने के लिए कोई भी उपयुक्त प्रयास अमल में नहीं लाया गया।

कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने पर आम जनता को लगता था कि अस्पताल में अब मरीजों का शोषण कम हो जाएगा, परन्तु विभाग के मंत्री ब्रह्म महेन्द्रा मंत्री बनने के कई माह बीतने के बाद भी उक्त अस्पताल में नहीं आए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मामले को गंभीरता के साथ लेते हुए उच्च स्तरीय जांच करवाकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

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