Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jan, 2018 12:15 PM
2018 का पहला महीना बीतने को है और देश की राजनीति का तापमान बढऩा शुरू हो गया है। अब राजनीतिक दल 2019 की तैयारी में जुट गए हैं। कुछ पार्टियां जहां अपने-अपने उम्मीदवारों की टिकटें तय कर चुकी हैं तो कुछ इस प्रक्रिया को आरंभ कर चुकी हैं। यानी 2014 में...
जालंधर(पाहवा): 2018 का पहला महीना बीतने को है और देश की राजनीति का तापमान बढऩा शुरू हो गया है। अब राजनीतिक दल 2019 की तैयारी में जुट गए हैं। कुछ पार्टियां जहां अपने-अपने उम्मीदवारों की टिकटें तय कर चुकी हैं तो कुछ इस प्रक्रिया को आरंभ कर चुकी हैं। यानी 2014 में मोदी मैजिक के चलते मिली करारी हार को विपक्ष ने गंभीरता से लिया और लगातार यह देखा गया कि इन 4 सालों में विपक्ष ने एक-दूसरे पर हमले कम किए और सीधा निशाना पी.एम. नरेंद्र मोदी, उनकी नीतियों और पार्टी पर ही रखा।
उधर भारतीय जनता पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 से भी अच्छा प्रदर्शन दोहराने के प्रयास में है। इसको लेकर पार्टी काफी गहन मंथन कर रही है और उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पार्टी के भीतर के लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के इस अभियान को लेकर सबसे बड़ी चुनौती अपने ही सांसद बन गए हैं। क्षेत्र में उनकी छवि ठीक नहीं है और कार्यकत्र्ताओं का असंतोष चरम पर है। पार्टी की कसौटी पर दो-तीन दर्जन से ज्यादा सांसद खरे नहीं उतर रहे हैं।
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका टिकट कट सकता है। पार्टी की चिंता का कारण यह भी है कि मोदी, सरकार और पार्टी की ओर से इन सांसदों को जो भी कार्यक्रम और लक्ष्य सौंपे गए उसमें कई सांसदों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। यह अलग बात है कि यू.पी. विधानसभा चुनावों में भी तमाम दावों के बावजूद मोदी लहर का असर दिखाई दिया। पार्टी के नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट आने की वजह से सांसदों की कमी छिप गई, लेकिन निकाय चुनाव और अन्य कार्यक्रमों ने उनकी भूमिका उजागर की है। पार्टी को निकाय चुनावों ने कुछ समझने का मौका दिया। निकाय चुनाव में खराब परिणाम वाले कई क्षेत्रों के ऐसे सांसद भी चिह्नित किए जा रहे हैं जिनका कार्य और व्यवहार दोनों ठीक नहीं है।
यू.पी. भाजपा अध्यक्ष डा. महेंद्रनाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कार्यकत्र्ताओं से मिली शिकायत के आधार पर दो दर्जन से ज्यादा ऐसे सांसदों की सूची तैयार की है जिनकी जनता के बीच नकारात्मक छवि बनी हुई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ऐसे सांसदों के बारे में अमित शाह से लेकर पी.एम. नरेंद्र मोदी तक को अवगत कराया जा चुका है। भाजपा अपने कई विधायकों को इसके लिए संकेत दे चुकी है कि वह क्षेत्र में मेहनत करें। पार्टी में इस बात का भी मंथन चल रहा है कि जिस बिरादरी के सांसद का टिकट कटेगा, उसी बिरादरी को मौका दिया जाएगा। अलग-अलग प्रदेशों में सरकार के कुछ मंत्री भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं।