Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Oct, 2017 10:42 AM
जिला प्रशासन ने सोमवार शाम को 20 पटाखा विक्रेताओं को लाइसैंस जारी कर दिए। जिले की तकरीबन 22 लाख आबादी को यही लाइसैंस धारक पटाखा बेच सकेंगे। अन्य कोई पटाखा बेचता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज होगा। जिन लोगों की किस्मत नहीं...
जालंधर (अमित): जिला प्रशासन ने सोमवार शाम को 20 पटाखा विक्रेताओं को लाइसैंस जारी कर दिए। जिले की तकरीबन 22 लाख आबादी को यही लाइसैंस धारक पटाखा बेच सकेंगे। अन्य कोई पटाखा बेचता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज होगा। जिन लोगों की किस्मत नहीं चमक सकी, वह अब इस जुगाड़ में हैं कि अपने स्टाक का क्या करें।
यकीनन वह लाइसैंस पाने वालों को औने-पौने दाम पर अपना पटाखा बेचेंगे। हैरानी की बात यह रही कि देहात इलाके के लिए जिला प्रशासन के पास 186 आवेदन आए थे, मगर इनमें से किसी को भी लाइसैंस जारी नहीं किया गया। यानी अब देहात के सभी इलाकों से भी लोगों को पटाखे लेने बल्र्टन पार्क आना पड़ेगा। अस्थाई लाइसैंस के लिए आवेदन जमा करवाने को सोमवार दोपहर 2 बजे तक का समय प्रदान किया गया था जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा डी.सी. दफ्तर की पहली मंजिल पर स्थित असला शाखा में देहात क्षेत्र के लिए बनाए गए अस्थाई एप्लीकेशन सैंटर में कुल 186 आवेदन जमा हुए जबकि दूसरी तरफ शहरी इलाके में पटाखे बेचने का लाइसैंस लेने के लिए कमिश्नर पुलिस के पास 108 आवेदन जमा करवाए गए।
असफल आवेदकों के पास पड़े स्टाक को लेकर अधिकारियों ने साधी चुप्पी
ड्रा के बाद जब कमिश्नर पुलिस और डी.सी. से सवाल किया गया कि असफल आवेदकों के पास पड़े पटाखों के स्टाक को लेकर क्या स्थिति रहेगी तो उन्होंने चुप्पी साध ली। उनका कहना था कि वह इसको लेकर कुछ नहीं कह सकते क्योंकि यह तो एक व्यापारिक बात है और दुकानदार आपस में स्टाक का लेन-देन कर सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र के आवेदकों ने किया रोष-प्रदर्शन
रैडक्रास भवन में लाइसैंस मिलने की उम्मीद के साथ पहुंचे ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदकों के पैरों तले उस समय जमीन निकल गई, जब उन्हें इस बात की सूचना दी गई कि ग्रामीण क्षेत्र में एक भी लाइसैंस जारी नहीं किया जा रहा है। दूर-दराज के इलाकों से आए आवेदकों ने फैसला सुनते ही रैडक्रास भवन में खूब रोष-प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि उनके साथ धोखा हुआ है क्योंकि अगर लाइसैंस देने ही नहीं थे तो फिर आवेदन क्यों स्वीकार किए गए और उन्हें रैडक्रास भवन में ड्रा के लिए क्यों बुलाया गया। इस अवसर पर रोहित कटारिया, विकास, राजेश उग्गी, दिलीप कुमार, हैप्पी, वरिंदर अरोड़ा, इंद्रजीत नंगल आदि ने कहा कि उन्होंने ब्याज पर पैसे लेकर पटाखे खरीदे हैं। अगर उन्हें लाइसैंस नहीं मिलता है तो वह बर्बाद हो जाएंगे। आवेदकों का कहना था कि वह सब लोग काफी छोटे स्तर पर कारोबार करने वाले लोग हैं और किसी के पास 10 हजार तो किसी के पास 20-30 हजार रुपए के पटाखे हैं। उनके पास मौजूद स्टाक का क्या होगा और पटाखे रूपी बारूद को अपने पास रखने की जगह उसे बेचना बेहतर है। इसलिए उन्होंने डी.सी. से गुहार लगाई कि उन्हें इस साल किसी न किसी तरीके से पटाखे बेचने की इजाजत अवश्य प्रदान की जाए।