Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 10:41 AM
आमतौर पर अध्यापक संगठनों द्वारा उनसे गैर-शैक्षणिक कार्य करवाए जाने का विरोध किया जाता है लेकिन यह भी एक सत्य है कि कुछ स्कूलों में अध्यापक नाममात्र ही काम करते हैं जबकि कुछ स्कूलों में अध्यापकों पर काम का बहुत ज्यादा बोझ होता है।
होशियारपुर (अश्विनी): आमतौर पर अध्यापक संगठनों द्वारा उनसे गैर-शैक्षणिक कार्य करवाए जाने का विरोध किया जाता है लेकिन यह भी एक सत्य है कि कुछ स्कूलों में अध्यापक नाममात्र ही काम करते हैं जबकि कुछ स्कूलों में अध्यापकों पर काम का बहुत ज्यादा बोझ होता है।
आर.टी.आई. द्वारा प्राप्त जानकारी से इस बात का रोचक खुलासा हुआ है कि कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहां 1 अध्यापक को पढ़ाने के लिए 2 बच्चे भी हिस्से नहीं आते। आर.टी.आई. एक्टीविस्ट व एन.जी.ओ. संगठन हैल्पलाइन के कन्वीनर परविन्द्र सिंह कित्तना द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी से जिले के एलीमैंटरी स्कूलों में अध्यापकों व विद्यार्थियों की संख्या संबंधी प्राप्त जानकारी सरकार की रैशनेलाइजेशन पॉलिसी पर भी सवाल खड़े करती है।
63 स्कूलों में 2,336 बच्चों के लिए 182 अध्यापक हैं तैनात
श्री कित्तना ने कहा कि विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार होशियारपुर जिले के दसूहा ब्लॉक में 63 एलीमैंटरी स्कूलों में 2,336 बच्चों को पढ़ाने के लिए 182 अध्यापक तैनात हैं। इस ब्लॉक में अध्यापकों के 2 पद रिक्त हैं। इस तरह 1 अध्यापक 13 विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभा रहा है। विवरण के अनुसार ब्लॉक के सरकारी एलीमैंटरी स्कूल कैंथा में 182 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 5 अध्यापक हैं जबकि उस्मान शहीद में 108 बच्चों को 6 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। बाला कुल्लियां व छांगला गांवों के क्रमश: 75 व 73 बच्चों को 3-3 अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
गम्भोवाल व कोटलीखुर्द में क्रमश: 27 व 24 बच्चों के लिए 3-3 अध्यापक तैनात हैं। गोरसियां गांव में 88 बच्चों को पढ़ाने के लिए भी 3 अध्यापक तैनात हैं। ऐमा मांगट के स्कूल में 23 बच्चों के लिए 3 अध्यापक तैनात हैं। गांव सदरपुर में 16 बच्चों को पढ़ाने के लिए 3 अध्यापक कार्यरत हैं। गांव मेवा मियाणी के स्कूल में 11 बच्चों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक तैनात हैं।
109 बच्चों को सिर्फ 1 अध्यापिका ही पढ़ा रही है
श्री कित्तना ने कहा कि माहिलपुर ब्लॉक के 70 स्कूलों में 2,841 बच्चों को पढ़ाने के लिए 114 अध्यापक नियुक्त हैं। इस तरह 25 बच्चों के पीछे औसतन 1 अध्यापक है। सरकारी एलीमैंटरी ब्रांच कालोनी स्कूल में 109 बच्चों को सिर्फ 1 अध्यापिका ही पढ़ा रही है जबकि बम्बेली स्कूल में 31 बच्चों के लिए 3 अध्यापक तैनात हैं। कालेवाल भगतां में 61 बच्चों के लिए 4 अध्यापक व चक्का मल्लां गांव में 50 बच्चों को पढ़ाने के लिए 1 ही अध्यापक तैनात है।
अध्यापकों और बच्चों का अनुपात काफी दिलचस्प
श्री कित्तना ने बताया कि ब्लॉक टांडा-2 के 63 स्कूलों में 2,672 बच्चों को 157 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। इस तरह एक अध्यापक 17 बच्चों को पढ़ा रहा है लेकिन यहां अध्यापकों और बच्चों का अनुपात काफी दिलचस्प है। कुराला के स्कूल में 25 बच्चों को 3 अध्यापक पढ़ा रहे हैं जबकि गिलजियां व भागियां में क्रमश: 23 व 21 बच्चों को पढ़ाने के लिए भी 3-3 अध्यापक तैनात हैं। बसोआ गांव में 5 बच्चों को 2 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। इन 5 बच्चों में से 4 बच्चे 14 नवम्बर को ही आंगनबाड़ी सैंटर से शिफ्ट होकर यहां आए हैं। आंगनबाड़ी सैंटर के 4 बच्चों के यहां पहुंचने से पूर्व 2 अध्यापक 1 बच्चे को ही पढ़ा रहे थे। कमालपुर गांव में 3 बच्चों को 2 अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
इन स्कूलों में नहीं है एक भी अध्यापक
आर.टी.आई. से प्राप्त जानकारी अनुसार ब्लॉक माहिलपुर के गांव कहारपुर, कोठी ललवान व खन्नी गांवों के स्कूलों में क्रमश: 27, 11, 28-28 बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों में विभाग की तरफ से एक भी अध्यापक नहीं लगाया गया। वहां शिक्षा कर्मियों से ही काम चलाया जा रहा है।
यह है तलवाड़ा के गांवों की स्थिति
तलवाड़ा ब्लॉक के 65 स्कूलों में 2,337 बच्चों को पढ़ाने के लिए 149 अध्यापक हैं। इस ब्लॉक में भी अध्यापक विद्यार्थियों का अनुपात सही नहीं है। गांव भटेड़ में 63 विद्याॢथयों को 1 अध्यापक पढ़ा रहा है जबकि अमरोह के स्कूल में 62 बच्चों को 4 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। नंगल खनौड़ा के स्कूल के 27 बच्चों को 3 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। बाड़ीसर के 24 बच्चों, करटोली के 13 बच्चों व भवनौर के 12 बच्चों को पढ़ाने के लिए 2-2 अध्यापक तैनात हैं। उन्होंने पंजाब की शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी व शिक्षा सचिव से मांग की है कि इन स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति विद्यार्थियों की गिनती के अनुसार की जाए।