Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 09:02 AM
एक तरफ जहां 24 लाख रुपए से आम आदमी अपना ऐसा घर बना लेता है जोकि कई वर्षों तक बिल्कुल ठीक-ठाक रहता है, वहीं दूसरी तरफ सिविल सर्जन कार्यालय में स्टाफ के लिए 24 लाख रुपए की लागत से बनाया गया शौचालय मात्र 2 वर्ष में ही खस्ता हाल हो गया है।
जालंधर (रत्ता): एक तरफ जहां 24 लाख रुपए से आम आदमी अपना ऐसा घर बना लेता है जोकि कई वर्षों तक बिल्कुल ठीक-ठाक रहता है, वहीं दूसरी तरफ सिविल सर्जन कार्यालय में स्टाफ के लिए 24 लाख रुपए की लागत से बनाया गया शौचालय मात्र 2 वर्ष में ही खस्ता हाल हो गया है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2015 में इस दफ्तर के प्रांगण में एम.पी. लैड फंड में से उक्त शौचालय बनाया गया था जिसका एक दरवाजा सिविल अस्पताल में व दूसरा दरवाजा सिविल सर्जन दफ्तर के प्रांगण में खुलता है। इस छोटे से शौचालय को बनाने पर उस वक्त 24 लाख रुपए की लागत आई थी और यह बात वहां लगे उद्घाटन पत्थर पर भी लिखी हुई है। साफ-सफाई न होने व रखरखाव की कमी के चलते इस शौचालय की अब ऐसी दशा है कि छत पर खड़े रहते पानी के कारण छत कमजोर हो गई है जो कि कभी भी गिर सकती है।
यहीं बस नहीं, छत से पानी की सही निकासी न होने के कारण पानी दीवारों से नीचे गिरता रहता है जिसके फलस्वरूप दीवारों पर भी काई जम गई है। इस खस्ता हाल शौचालय की दशा के बारे में दफ्तर के स्टाफ ने कई बार उच्चाधिकारियों से भी बात की है लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। इस शौचालय पर खर्च किए गए लाखों रुपए के मामले की अगर गहनता से जांच करवाई जाए तो कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं।
प्रांगण में कई महीनों से खड़ी हैं निजी गाडिय़ां
इसी कार्यालय के प्रांगण में पिछले कई महीनों से खड़ी निजी कारें विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जहां प्रश्र चिन्ह लगा रही हैं वहीं ये गाडिय़ां शक के दायरे में भी इसलिए आती हैं कि आखिर इनको कवर करके यहां क्यों खड़ा किया गया है।