मौत से जंग लड़ता रहा यह बच्चा, नर्स करती रही फोन पर बात

Edited By Updated: 20 May, 2017 12:54 PM

12 year old boy cancer patient

मुकेरियां के गांव मुरादपुर अवागां के 12 वर्षीय हरविन्द्र सिंह ने 9 साल तक कैंसर के खिलाफ जंग लड़ते हुए आज अंतिम सांस ली।

मुकेरियां (नागला): मुकेरियां के गांव मुरादपुर अवागां के 12 वर्षीय हरविन्द्र सिंह ने 9 साल तक कैंसर के खिलाफ जंग लड़ते हुए आज अंतिम सांस ली। अंतिम समय में जो इस बच्चे के साथ हुआ उसने श्री गुरु रामदास इंस्टीच्यूट मैडिकल साइंसिज एंड रिसर्च अमृतसर के घटिया प्रबंधों की पोल तो खोली ही साथ में इंसानियत को भी शर्मसार करके रख दिया।

पिता ने 'पंजाब केसरी' के साथ दर्द किया सांझा
'पंजाब केसरी' के साथ अपना दर्द सांझा करते हुए बच्चे हरविन्द्र सिंह के पिता हरकमल सिंह ने गला भरते हुए बताया कि मेरे बेटे का ब्लड टैस्ट होना था। नर्स जगह-जगह सुइयां लगा रही थी। नस नहीं मिल रही थी। इसी बीच नर्स को उसके मोबाइल पर फोन आ गया। बच्चे के पास खड़ी नर्स फोन सुनने लगी। मेरे बेटे की तकलीफ बढ़ गई। उसकी सांस उखडऩे लगी लेकिन नर्स फोन सुनने में मस्त रही। मेरे बेटे ने कहा-पापा मुझे चक्कर आ रहा है मेरी पोटी बीच में निकल गई है। मैं दौड़ कर डॉक्टर के पास गया लेकिन देर हो गई। डॉक्टरों ने भले ही बचाने की कोशिश की लेकिन यह मेरे बेटे की अंतिम जंग साबित हुई। 

इलाज पर 1.13 करोड़ रुपए खर्च
जर्मन में रहने वाले हरकमल सिंह ने बताया कि उनका बेटा जब 3 साल का था तो एक दिन उसे पेशाब में ब्लड आया। घबराकर वे उसे अस्पताल लेकर गए। तमाम टैस्टों के बाद डॉक्टर ने सलाह दी कि यह उनके बस की बात नहीं आप इसे डी.एम.सी. लुधियाना ले जाएं। लुधियाना जाकर उन्हें पता चला कि हरविन्द्र को ब्लड कैंसर है। तब वह अपने बेटे को राजीव गांधी कैंसर अस्पताल नई दिल्ली ले गए। राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में बच्चे का करीब 9 साल इलाज चला। बताया कि अब तक बच्चे के इलाज पर 1.13 
करोड़ रुपए खर्च हो गए। कहा कि पैसे तो मैं और भी कमा सकता हूं लेकिन हरविन्द्र को कहां से लाऊंगा।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर 65 लाख खर्च 
हरकमल सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को बचाने के लिए अमरीका से 35 लाख रुपए में बोन मैरो लिया। बच्चे को बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने तक 65 लाख रुपए लग गए लेकिन कैंसर के जीवाणु खत्म नहीं हुए। अब डॉक्टर की सलाह थी कि कैंसर बच्चे के दिमाग तक असर कर चुका है, दोबारा बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना होगा। अब मेरे लिए 65 लाख रुपए का इंतजाम करना मुश्किल था। तब थक हार कर मैं अपने बेटे को अमृतसर स्थित गुरु रामदास इंस्टीच्यूट मैडिकल साइंसिज एंड रिसर्च में ले आया। 

कैंसर रोगियों का हो मुफ्त इलाज : ढाडेकटवाल 
कांग्रेस नेता अमरजीत सिंह ढाडेकटवाल ने सरकार से जहां कैंसर रोगियों का नि:शुल्क उपचार करने की मांग की है, वहीं उन्होंने सिविल अस्पताल मुकेरियां में डायलिसिस की मशीनें बिना देरी लगाने की पंजाब सरकार से गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि मुकेरियां व आसपास के क्षेत्र में कैंसर रोगियों की बढ़ रही संख्या एवं हो रही मौतों के कारण लोगों में सहम का माहौल बनता जा रहा है जिसके चलते स्वास्थ्य एवं संबंधित विभागों की जिम्मेदारी बनती है कि वे क्षेत्र में कैंसर फैलने का कारण ढूंढने के साथ-साथ लोगों की जान बचाने हेतु जागरूकता मुहिम चलाएं।

40 के करीब कैंसर से मौतें हो चुकी हैं मुकेरियां में
मुकेरियां में कैंसर की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। पिछले कुछ समय से ही अब तक 40 के करीब कैंसर से इस क्षेत्र में मौतें हो चुकी हैं और कई लोग कैंसर से पीड़ित हैं। पंजाब केसरी में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद डी.एम.सी. लुधियाना के नोडल अफसर डॉ. थिंद की ड्यूटी मुकेरियां में कैंसर के सर्वे पर लगी है। 

शिकायत आने पर कार्रवाई करेंगे
जब इस संबंध में श्री गुरु रामदास इंस्टीच्यूट मैडिकल साइंसिज एंड रिसर्च अमृतसर के मैडिकल सुपरिंटैंडैंट डॉ. बी.सी. सरीन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। अगर ऐसी शिकायत आती है तो वह जरूर कार्रवाई करेंगे।

साढ़े 4 लाख की सहायता मिली
उन्होंने बताया कि उपचार दौरान उन्हें दिल्ली अस्पताल द्वारा 3 लाख एवं श्री गुरु रामदास जी अस्पताल द्वारा मात्र 1 लाख 50 हजार रुपए की दवाइयां सहायता के रूप में मिलीं। उन्होंने बताया कि मुकेरियां व आसपास के क्षेत्र में कैंसर के उपचार के लिए कोई सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें बार-बार मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।

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