Edited By Updated: 23 Feb, 2017 01:58 PM
10.45 लाख रुपए का चैक बाऊंस होने के एक मामले में जे.एम.आई.सी. जोगिन्द्र सिंह की अदालत ने एक आरोपी फर्म के मालिक को 2 वर्ष की कैद की सजा सुनाने के साथ-साथ उसे अब 12 लाख रुपए की अदायगी करने के भी आदेश जारी किए हैं।
अमृतसर (महेन्द्र): 10.45 लाख रुपए का चैक बाऊंस होने के एक मामले में जे.एम.आई.सी. जोगिन्द्र सिंह की अदालत ने एक आरोपी फर्म के मालिक को 2 वर्ष की कैद की सजा सुनाने के साथ-साथ उसे अब 12 लाख रुपए की अदायगी करने के भी आदेश जारी किए हैं। मौके पर आरोपी कच्ची जमानत नहीं करवा सका था। तो अगले दिन अदा करने योग्य राशि की 10 फीसदी राशि अदा करने के पश्चात अदालत ने अपने ही फैसले के खिलाफ आरोपी को सैशन कोर्ट में अपील दायर करने का मौका प्रदान करते हुए कच्ची जमानत पर रिहा भी कर दिया है।
गौरतलब है कि सिल्वर एस्टेट, मजीठा वेरका बाईपास निवासी बलविन्द्र सिंह तुंग पुत्र प्रीतम सिंह ने स्थानीय एक फर्म मैसर्ज एम.के. एंड सन्ज तथा उसके मालिक स्थानीय गोपाल नगर, मजीठा रोड निवासी प्रितपाल सिंह के खिलाफ नैगोशिएबल इंस्ट्रूमैंट एक्ट की धारा 138 के तहत अपने कौंसिल एस.एस. बत्रा के जरिए स्थानीय अदालत में चैक बाऊंस का मामला दायर किया था। इसमें उसका कहना था कि आरोपी फर्म का मालिक जिसके साथ उसके अच्छे दोस्ताना संबंध बने हुए थे, उसने अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए उससे समय-समय पर आर्थिक मदद लेते हुए 6 अलग-अलग चैकों के जरिए कुल 10.45 लाख रुपए की राशि उधार ली थी।
वापस मांगे जाने पर वह लगातार कोई न कोई बहाने बनाता जा रहा था। आखिर उससे बार-बार अपने रुपए वापस मांगने पर आरोपी ने उसे 10.45 लाख रुपए की राशि का एक चैक नंबर 094627 दिनांक 1-1-2015 के लिए जारी किया था, जो ओ.बी.सी. की शाखा जेल रोड से संबंधित था। जिसे कैश करवाने के लिए अपने बैंक खाते में लगाया, तो बैंक द्वारा जारी की गई मीमो के अनुसार आरोपी ने चैक की धनराशि के भुगतान पर रोक लगवा दी थी। जिस पर उसे 15 दिनों का लीगल नोटिस जारी कर चैक की धनराशि पुन: लौटाने के लिए एक और मौका दिया गया था। बावजूद इसके आरोपी ने न तो लीगल नोटिस का उचित जवाब दिया था और न ही चैक की धनराशि का भुगतान किया था।
बंदूक के बल पर चैक लेने के आरोप में दर्ज करवा दी एफ.आई.आर.
शिकायतकर्ता ने बताया कि चैक जारी करने के पश्चात आरोपी ने सत्तारूढ़ कुछ नेताओं की मिलीभगत से आरोपी ने उसके खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 383 के तहत बंदूक के बल पर चैक वसूल करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ 6-1-2012 को झूठा मामला दर्ज करवा दिया था। जिस पर उन्होंने पुलिस कमिश्नर से इस एफ.आई.आर. के खिलाफ शिकायत कर पुन: जांच करवाने का अनुरोध किया था। ए.सी.पी. कुलदीप सिंह ने मामले की पुन: जांच करते हुए इस मामले को खारिज करने के साथ-साथ आरोपी के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 182 के तहत झूठी शिकायत करने के आरोप में कार्रवाई करने की भी सिफारिश की थी, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ स्थानीय सैशन कोर्ट में मामला अभी भी विचाराधीन है।