Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 01:08 PM
भूतपूर्व सैनिक सुधार सभा बुड्ढाबड़ की एक हंगामी जनसभा संगठन के प्रधान सूबेदार दीवान चंद की अध्यक्षता में हुई जिसमें कहा गया कि सन् 2001 में
मुकेरियां: भूतपूर्व सैनिक सुधार सभा बुड्ढाबड़ की एक हंगामी जनसभा संगठन के प्रधान सूबेदार दीवान चंद की अध्यक्षता में हुई जिसमें कहा गया कि सन् 2001 में तत्कालीन गांव पंचायत ने पंचायत की 12 एकड़ 3 कनाल बहुमूल्य भूमि एस.पी.एन. कालेज मुकेरियां की प्रबंधक समिति को लड़कियों का कालेज खोलने के लिए कुछ शर्तों के आधार पर दी थी, 16 वर्ष गुजर जाने के पश्चात भी इस विशाल भूमि पर शर्तों के अनुसार कोई कार्य नहीं हुआ, केवल 2 कमरों का निर्माण करके कथित अवैध कब्जा उक्त प्रबंधक समिति ने कर रखा है। भूतपूर्व सैनिक सुधार सभा द्वारा आयोजित प्रैस वार्ता में डिप्टी रजिस्ट्रार कालेज पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से जब उक्त कालेज के संदर्भ में जानकारी मांगी तो उत्तर में यूनिवर्सिटी द्वारा प्राप्त पत्र संख्या एन.ओ. एम.आई.एस.सी./ए-7/6194 दिनांक 22 जून 2017 प्राप्त हुआ जिसमें बुड्ढाबड़ गांव में एस.पी.एन. के नाम का लड़कियों का कोई भी कालेज यूनिवर्सिटी द्वारा मान्य नहीं है।
कालेज समिति ने पंचायत से किए अनुबंध की शर्तों को किया नजरअंदाज
भूतपूर्व सैनिक सुधार सभा ने दस्तावेज सहित बताया कि 2001 में तत्कालीन पंचायत द्वारा जो शर्तें भूमि अधिग्रहण के समय की थीं उनमें से एक शर्त को भी पूरा नहीं किया गया। कालेज के स्थान पर केवल 2 कमरे बनाकर कथित कोङ्क्षचग केंद्र खोल रखा है। शर्तें थीं कि समूह गांव के दलित एवं अन्य समूह गरीब परिवारों की लड़कियों को नि:शुल्क विद्या प्रदान करना, गांव के सरपंच को प्रबंधक समिति में प्रतिनिधिता देना और समस्त भूमि का सदुपयोग करना।
ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक के कार्यालय में उक्त मामला विचाराधीन है
भूतपूर्व सैनिक सुधार सभा के प्रतिनिधियों जिनमें सूबेदार दीवान चंद, सूबेदार मेजर सावन सिंह, बिहारी लाल, सर्वोदमन सिंह, हवलदार दर्शन सिंह, नायक वरियाम सिंह, नायक संग्राम सिंह परमार, कैप्टन मलकीयत सिंह, हवलदार जगदीश एवं सरपंच कुलदीप सिंह ने कहा निदेशक के आदेशानुसार तहसीलदार, एस.डी.एम. तथा ए.डी.सी. आदि अधिकारी वर्ग ने मौके पर आकर वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट निदेशक कार्यालय भेज दी है। उल्लेखनीय है कि जिन लड़कियों ने इस कालेज में दाखिला लिया है उन्हें पढऩे के लिए मुकेरियां कालेज में जाना पड़ता है। सभी प्रकार के प्रैक्टीकल हेतु 20 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। छात्राओं को मूल्यांकन अंक भी नहीं दिए जाते, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों का भविष्य धूमिल हो रहा है।