Edited By Updated: 30 Apr, 2017 12:30 PM
मोगा जिले में पिछले काफी समय से संदिग्ध परिस्थितियों में ‘लापता’ हुए लोगों का सुराग न मिलने के कारण जहां पुलिस प्रशासन ‘असमंजस’ की स्थिति में है, वहीं लापता लोगों के परिजन अपनों की तलाश के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
मोगा(पवन ग्रोवर): मोगा जिले में पिछले काफी समय से संदिग्ध परिस्थितियों में ‘लापता’ हुए लोगों का सुराग न मिलने के कारण जहां पुलिस प्रशासन ‘असमंजस’ की स्थिति में है, वहीं लापता लोगों के परिजन अपनों की तलाश के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। पुलिस विभाग का रिकार्ड बताता है कि पिछले कुछ वर्षों दौरान लापता हुए लोगों में से कुछ लोग तो मुर्दा या जीवित बरामद हुए हैं, लेकिन अभी भी काफी संख्या ऐसे लोगों की है जिनका लापता होने के वर्षों बाद भी कुछ अता-पता नहीं चला है। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस संबंध में एकत्र जानकारी के अनुसार 1 जनवरी, 2012 से लेकर आज तक कुल 263 व्यक्ति लापता हुए हैं जिनमें से 104 व्यक्तियों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है, जबकि 159 व्यक्तियों के जीवित व मुर्दा होने की सूचना प्राप्त हो चुकी है।
जांच दौरान पता चला है कि लापता हुए लोगों में से कुछ ऐसे हैं जो दिमागी परेशानी या आर्थिकता का सामना करने से असमर्थ होकर अभिभावकों से दूर हुए हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे भी व्यक्ति थे जिनको कोई भी मानसिक या आर्थिक परेशानी नहीं थी। इस कड़ी में गांव समालसर से 1 अप्रैल को लापता हुए गुरसेवक सिंह (40) के पिता करनैल सिंह ने बताया कि उनके बेटे को कोई दिमागी परेशानी नहीं है, लेकिन फिर भी संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुए गुरसेवक का कुछ पता नहीं चला है। उन्होंने बताया कि इस संबंधी थाना समालसर में सूचित करने के उपरांत चाहे लापता वाला पोस्टर जारी हो गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गांव राऊंके कलां से 11 मार्च को अचानक लापता हुए कमलदीप सिंह (23) के चाचा अवतार सिंह देवगण का कहना है कि कमल के घर में कोई आर्थिक परेशानी नहीं थी, लेकिन फिर भी उसका ऐसे लापता होना कई सवाल खड़े कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कमल की तलाश के लिए ‘सरकारे-दरबारे’ तथा अन्य स्थानों पर काफी मशक्कत की गई, लेकिन कमल कहीं नहीं मिला। गांव भलूर से 5 वर्ष पहले लापता हुए इकबाल सिंह (28) के भाई तथा गांव के पूर्व सरपंच पाला सिंह ने बताया कि वह अपने भाई की तलाश के लिए देश के कई राज्यों के धार्मिक स्थानों व सार्वजनिक स्थानों पर गया, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। उसने बताया कि परिवार की इकबाल की प्रतीक्षा कर आंखें थक गई हैं। पूर्व सरपंच ने बताया कि गांव का बलदेव सिंह भी लंबे समय से लापता है, जिसका कुछ पता नहीं चला है। गत वर्ष दिमागी परेशानी के कारण गांव बघेलेवा का रेशम सिंह (55) भी घर से चला गया है।