Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Oct, 2017 11:33 AM
पंजाब सरकार द्वारा नोटीफिकेशन नंबर 2017/मचद/हस/2934 तिथि 16 अक्तूबर 2017 को पंजाब म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट 1976 की धारा 8 एवं डिलिमिटेशन ऑफ वार्ड ऑफ म्यूनिसिपल कार्पोरेशन आर्डर 1995 की क्लॉज 7 अधीन द्वारा जारी किए निर्देशानुसार पंजाब के राज्यपाल...
अमृतसर (रमन): पंजाब सरकार द्वारा नोटीफिकेशन नंबर 2017/मचद/हस/2934 तिथि 16 अक्तूबर 2017 को पंजाब म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट 1976 की धारा 8 एवं डिलिमिटेशन ऑफ वार्ड ऑफ म्यूनिसिपल कार्पोरेशन आर्डर 1995 की क्लॉज 7 अधीन द्वारा जारी किए निर्देशानुसार पंजाब के राज्यपाल द्वारा नगर निगम अमृतसर के नगरपालों की चुनाव के उद्देश्य से नगर निगम अमृतसर को 85 वार्डों में बांटा गया है जिसका नक्शा निगम अमृतसर में आ गया है।
इसमें किसी भी व्यक्ति ने कोई एतराज एवं सुझाव देने हैं तो वह 26 अक्तूबर तक दे सकता है। इसको लेकर निगम ने 2 दिन और बढ़ा दिए हैं। नेता हर रोज नक्शा देखकर सरकार को कोस रहे हैं। नक्शे में ज्यादा गलतियां होने के कारण नेताओं को कुछ पता नहीं लग रहा है। वीरवार दोपहर तक निगम के एम.टी.पी. विभाग के पास 100 से अधिक एतराज आ चुके थे। नक्शे में मिसप्रिंट एवं ओवरराइटिंग ज्यादा होने से एतराज ज्यादा आ रहे हैं। निगम की नई वार्डबंदी के लेकर दलित संगठनों ने भी आपत्ति जताई है।
उन्होंने कहा कि नई वार्ड बंदी में आरक्षण कोटा 33 से 21 फीसदी किया है जिसका उन्होंने कड़े शब्दों में विरोध किया है। दलित संगठनों ने पिछली दिनों डी.सी. के समक्ष अपनी आवाज उठाई थी कि पंजाब निगम एक्ट 1976 के तहत दलित वर्ग के लिए 33 फीसदी आरक्षित सीटों का प्रावधान रखा गया था, लेकिन इस बार इसे भी घटा कर 21 फीसदी कर दिया गया है। पहले निगम में 65 सीटें थीं तो उस समय दलित वर्ग का कोटा 33 फीसदी था, लेकिन जब सीटें 65 से 85 हुई हैं तो दलित वर्ग की 28 सीटें बनती थीं लेकिन उन्हें 18 सीटें ही दी गई हैं।
एतराज देख कर नेता कहने लगे- नहीं होंगे दिसम्बर में चुनाव
निगम कार्यालय में हर रोज नेता अपनी वार्ड के नक्शे देखने के लिए आ रहे हैं। निगम में 100 से अधिक एतराज देखकर नेता कहने लगे हैं कि दिसम्बर माह में चुनाव नहीं हो पाएंगे। नेता अश्विनी काले शाह ने बताया कि उनकी वार्ड नक्शे में 60 नंबर है और नोटीफिकेशन में 63 हैं जिससे कोई बात साफ नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि नक्शे में काफी गलतियां हैं।
कइयों ने छोड़ी चुनाव की आस
सरकार ने 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी हैं। इससे कई नेताओं की चुनाव लडऩे की आस खत्म हो चुकी है। कई नेता अपनी पत्नी, बहन या माता को चुनाव में खड़ा नहीं कर चाहते हैं। महिला सीटों पर कई नेताओं ने अपनी फोटो लगाकर दावेदारी पेश की है। कई नेताओं की वार्ड बंदी के दौरान वार्ड कट गई है जिससे नई वार्ड में उनकी पहुंच न होने के कारण भी कइयों ने चुनाव की आस छोड़ दी है।