Edited By Updated: 21 Feb, 2017 09:43 AM
देश में नोटबंदी को लागू किए 100 दिनों का समय हो चुका है तथा अभी भी देश में नकदी की समस्या बनी हुई है परंतु सबसे ज्यादा नुक्सान आलू उत्पादकों को झेलना पड़ रहा है।
जालंधर (धवन): देश में नोटबंदी को लागू किए 100 दिनों का समय हो चुका है तथा अभी भी देश में नकदी की समस्या बनी हुई है परंतु सबसे ज्यादा नुक्सान आलू उत्पादकों को झेलना पड़ रहा है। उनकी 1500 करोड़ रुपए की आलू की फसल को खरीदने के लिए कोई खरीदार तैयार नहीं है।
जालंधर पोटैटो ग्रोअर्स एसो. के अध्यक्ष रघुबीर सिंह तथा महासचिव जसविंद्र सिंह संघा ने आज पत्रकारों को बताया कि नवम्बर के शुरू में आलू उत्पादकों ने अपनी फसल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में भेजनी थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवम्बर को नोटबंदी का ऐलान कर दिया, जिस कारण आलू की फसल को खरीदने वाले खरीदारों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए।
उन्होंने कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आलू उत्पादक किसानों को अपना आंदोलन तेज करने के सिवाए कोई चारा नहीं बचेगा। आलू उत्पादकों ने कहा कि जिन राज्यों में आलू की खपत होती है उन राज्यों में खरीदारों के साथ समझौते होने के बावजूद वे वित्तीय संकट के चलते फसल खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं, जिस कारण 900 करोड़ रुपए का भुगतान आलू उत्पादकों को हो नहीं सका है।
उन्होंने कहा कि अब आलू की नई फसल तैयार हो चुकी है परंतु अब भी आलू खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है। वित्तीय संकट के चलते आलू के बीज भी कोई खरीद नहीं रहा है। आलू उत्पादक अब दूसरी फसल की बर्बादी झेलने के लिए तैयार नहीं है। पंजाब के दोआबा क्षेत्र को आलू बीज उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। पूरे देश में आलू के बीज की सप्लाई दोआबा क्षेत्र से होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी का खमियाजा आलू उत्पादकों को झेलना पड़ा रहा है। आलू उत्पादकों ने कहा कि किसानों ने बैंकों से भारी कर्जे लिए हुए हैं और वे कर्जे के ब्याज का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने आलू उत्पादकों के कर्जों को माफ करने की मांग करते हुए कहा कि राज्य की नई सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा।