कब हुअा था देश में पहला चुनाव,जानें रोचक तथ्य

Edited By Updated: 23 Jan, 2017 11:09 AM

punjab election 2017

स्वतंत्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव , संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद अक्तूबर 1951 से फरवरी 1952 में पांच महीनो की अवधि में संपन्न हुआ था। उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं।

जालंधरः स्वतंत्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव , संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद अक्तूबर 1951 से फरवरी 1952 में पांच महीनो की अवधि में संपन्न हुआ था। उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं।


15 अगस्त 1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया था ।  इस मंत्रिमंडल में सभी वर्गों और समुदायों को उचित स्थान तो  दिया ही गया था , साथ ही ऐसे महानुभाओं को भी जगह मिली थी जो विचारधारा के स्तर पर जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध थे। हालांकि कि उस समय  कांग्रेस सबसे लकप्रिय और प्रभावी दल था फिर भी देश के सभी वर्गों और विचारधारा के लोगों को उचित स्थान देकर नेहरू ने भारत की अनेकता में एकता का ही सम्मान किया। प्रथम आम चुनाव के बाद श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग मंत्री बने थे। वे राजनीती में दक्षिण पंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते थे।  इसी प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव आंबेडकर जिन्होंने ने अनुसूचित जाति फेडरेशन बनाया था , और बाद  में रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया था ने क़ानून मंत्री का पद भार सम्भाला था। 

प्रथम लोकसभा में कांग्रेस के अतिरिक्त जिन दलों ने चुनाव में भाग लिया था, वे थे

 1.आचार्य जे बी कृपलानी की किसान मज़दूर प्रजा पार्टी
 2.डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की भारतीय जान संघ
 3. डॉ आंबेडकर की रिपब्लिकन पार्टी
 4.  डॉ राम मनोहर लोहिआ की 
 5. जय प्रकाश नारायण की सोशलिस्ट पार्टी  

उसी समय कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ( अविभाजित) ने जो तेलंगाना में सशस्त्र संघर्ष चलाया था ने भी लोकतांत्रुिक रास्ता पकड़ते हुए प्रथम आम चुनाव में भाग लिया और उन्होंने 49 सीटों के लिए चुनाव लड़ा। 1952 में भारत की साक्षरता दर मात्र 16 प्रतिशत थी इसलिए चुनाव आयोग ने सभी के लिए अलग-अलग बैलेट बॉक्स की व्यवस्था की गई। सभी बक्सों का रंग अलग- अलग था। मतदाता अपने बैलेट बॉक्स के ऊपर चुनाव चिन्ह देखकर उसमें अपना वोट डाल देते थे। 

1. 5 महीने का समय लगा था (अक्तूबर 1951-फरवरी 1952)
2. 4500 सीटों के लिए हुए थे चुनाव (लोकसभा एवं विधान सभाओं का एक साथ) 
3.18000 प्रत्याशियों ने आजमाई थी अपनी किस्मत 
4. 17.6 करोड़ मतदाताओं का हुआ था पंजीकरण 
5. 3.8 लाख पेपर रिम्स का उपयोग बैलेट पेपर बनाने के लिए किया गया 
6. 3.90 लाख स्याही के पैक का उपयोग मतदाताओं की उंगलियों पर निशान लगाने को किया गया 
7.20 लाख बैलेट बाक्स का निर्माण किया गया मतदान के लिए 
8. 8200 टन स्टील लगा बैलेट बाॉक्स बनाने में
9. 2.24 लाख मतदान केंद्र बनाए गए
ठ्ठ 16500 लोगों को 6 महीने के अनुबंध पर मतदान कराने के लिए किया गया नियुक्त
10. 56000 अधिकारियों को निगरानी के लिए चुना गया 
11. 2.8 लाख वालंटियर भी मतदान कराने के कार्य में दे रहे थे सहयोग 
12.24 लाख पुलिसकर्मियों को लगाया गया था चुनाव कार्यों में 
13 3000 फिल्म पूरे भारत में दिखाए गए, चुनाव संबंधी जानकारी देने के लिए 

प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन 
भारतीय नागरिक सेवा (आई.सी.एस.) अधिकारी सुकुमार सेन मुख्य चुनाव आयुक्त बनने से पहले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव थे। उन्होंने 1952 और 1957 के चुनाव कराए। दूसरे चुनाव में सुकुमार सेन ने सरकार का 4.5 करोड़ रुपया बचाया क्योंकि उन्होंने पहले चुनाव के 35 लाख बैलेट बॉक्स बचाकर रख लिए थे। भारत में सफल चुनाव कराने वाले सेन को सूडान सरकार ने अपने यहां होने वाले प्रथम चुनाव की निगरानी का जिम्मा सौंपा था। 

महिलाओं को वोटर बनाने में समस्या 
प्रथम चुनाव आयुक्त के सामने महिलाओं को मतदाता के तौर पर पंजीकृत करना एक बड़ी चुनौती थी। विशेषकर उत्तर भारत में महिलाओं को अपना नाम बताने में हिचक होती थी क्योंकि उनकी पहचान किसी की पत्नी या मां आदि के तौर पर की जाती थी। पहली बार में इन महिलाओं ने अपना नाम इसी तरह दिया यानी किसी की मां या पत्नी के तौर पर लेकिन सुकुमार सेन ने इसे अस्वीकार कर  दिया और सही नाम लिखवाने का आदेश दिया। इसका मतलब था कि करीब 28 लाख महिलाओं को बाहर किया जाना। हालांकि, बाद के चुनावों में अधिकांश महिलाओं ने अपना सही नाम पंजीकृत कराया। 

मैं समझता हूं कि देश के सभी नागरिक यह सोचने के लिए काफी बुद्धिमान हैं कि वे क्या चाहते हैं। इस मामले में साक्षरता की कोई बड़ी भूमिका नहीं है। कोई व्यक्ति अशिक्षित हो सकता है लेकिन वह इसके बावजूद कई मामलों में काफी बुद्धिमान होता है।  ------------------- डॉ. बी.आर. अंबेदकर 

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