Edited By Updated: 19 Aug, 2016 12:26 PM
पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू व आम आदमी पार्टी के बीच चल रही बातचीत टूटने की खबरों ने पार्टी के आम वर्कर को विचलित कर दिया है।
जालंधर (पाहवा): पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू व आम आदमी पार्टी के बीच चल रही बातचीत टूटने की खबरों ने पार्टी के आम वर्कर को विचलित कर दिया है। एक माह पहले सिद्धू के भाजपा छोडऩे के बाद आप में आने की खबरों से ही आप के वर्करों का आत्मविश्वास 7वें आसमान पर पहुंच गया था, लेकिन सिद्धू व पार्टी के बीच चल रही डील टूटने से यह आत्मविश्वास फिर से टूटने लगा है और ‘आप’ वर्करों का दिल भी टूट गया है।
इस बीच पार्टी के पंजाब कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर को लेकर चल रहे विवाद से भी पार्टी की छवि खराब हुई है। यदि चुनाव से पहले आप को कोई अपील करने वाला पंजाबी चेहरा न मिला तो चुनाव में आप की किश्ती भंवर में फंसी नजर आ सकती है। चेहरा विहीन आप में टिकट आबंटन को लेकर चल रहे विद्रोह ने अलग से जनता में पार्टी की छवि खराब की है।
आप में रहना है तो .......‘खामोश’!
पार्टी के लिए पंजाब में वह स्थिति सबसे अधिक परेशान करने वाली थी जब पार्टी की अनुशासन कमेटी के चेयरमैन डा. दलजीत सिंह ने जालंधर में पत्रकार सम्मेलन कर सीधे तौर पर सुच्चा सिंह छोटेपुर व संजय सिंह के खिलाफ आरोप लगाए। पार्टी के इस स्तर के नेता की तरफ से इस स्तर के आरोपों ने पार्टी को काफी नुक्सान पहुंचाया। इसके बाद डा. दलजीत सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया। इसके बाद पार्टी संभलने की कोशिश कर रही थी कि एक बार फिर से पार्टी के 2 सांसदों धर्मवीर गांधी तथा हरिंद्र सिंह खालसा ने पार्टी को बड़ा झटका दिया। रखड़ पुन्निया पर संजय सिंह व छोटेपुर की तरफ से लगाए गए मंच पर शामिल होने की बजाय उक्त दोनों सांसद डा. दलजीत सिंह की तरफ से लगाए गए मंच पर पहुंच गए।
लोकल फेस की भारी कमी
आम आदमी पार्टी का पंजाब में कोई चर्चित चेहरा है तो ले देकर केवल भगवंत मान ही बचा है। बाकी अधिकतर को पार्टी या तो साइडलाइन कर चुकी है या करने की तैयारी कर रही है। भगवंत मान के चेहरे को लेकर पार्टी चुनावों में उतरे उससे पहले ही मान ऐसे जाल में फंसते जा रहे हैं कि उनका निकला भी आसान नहीं। कभी शराब को लेकर विवादों में रहने वाले मान इन दिनों संसद की सुरक्षा को ताक पर रख कर वीडियो बना सोशल मीडिया पर डालने के मामले में चर्चा में हैं। मान के बाद कोई ऐसा चेहरा पार्टी के पास नहीं है, जिसके दम पर पंजाब की विधानसभा तक पहुंचा जा सके। ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू का चेहरा ही पार्टी के लिए एक आशा की किरण है, लेकिन पार्टी की नीति यह है कि सिद्धू उनका नहीं तो किसी का भी न रहे। लिहाजा सिद्धू के खिलाफ खबरें प्लांट करवाने का सिलसिला भी चल रहा है। सी.एम. का पद या सिद्धू की तरफ से 40 सीटों की मांग की खबरें डील टूटने के बाद बचाव करने की तैयार हो रही जमीन या फिर सिद्धू की छवि खराब करने की रणनीति का हिस्सा लग रही हैं।
साधु सिंह ने खोला मोर्चा
पार्टी के सांसद साधु सिंह ने भी अपनी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। पार्टी के अंदर के सिस्टम पर उन्होंने खुलकर बयान दिए। अंग्रेजी मीडिया में एक इंटरव्यू में तो उन्होंने पार्टी के दिल्ली में बैठकर पंजाब चला रहे नेताओं पर सीधा निशाना साधा था। पार्टी के 3 सांसद भगवंत मान, धर्मवीर गांधी तथा हरिंद्र सिंह खालसा के बाद साधु सिंह चौथे सांसद हैं, जो पार्टी की व्यवस्था से खिन्न हैं।
यूज एंड थ्रो की नीति पर काम करती है आप
आम आदमी पार्टी की नीति यूज एंड थ्रो के तौर पर विकसित हो चुकी है। पार्टी ने कई लोगों को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल किया और बाद में दरकिनार कर दिया। पार्टी की एक टीम जो पंजाब में पार्टी के आने से पहले काम कर रही थी, आज वह कहां है किसी को पता नहीं। उस टीम ने बाद पंजाब में जस्सी जसराज, हरदीप सिंह किंगरा, डा. दलजीत सिंह, धर्मवीर गांधी, हरिंद्र सिंह खालसा, साधु सिंह जैसे लोगों को पार्टी ने अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल किया लेकिन बाद में इन्हें साइडलाइन कर दिया गया। पंजाब में 9 लोग, जो लोकसभा चुनाव हारे थे, भी कहां गए, किसी को नहीं पता। इनमें से हिम्मत सिंह शेरगिल ही नजर आ रहे हैं।
जब अपना स्टिंग हुआ तो .......बोलती बंद
आम आदमी पार्टी अक्सर स्टिंग अप्रेशन को लेकर चर्चा में रहती रही है लेकिन जब इनके अपने नेताओं का स्टिंग हुआ तो पार्टी को जवाब भी नहीं मिल रहा था। सांसद धर्मवीर गांधी तथा सांसद भगवंत मान की ऑडियो टेप पार्टी के लिए बड़ी समस्या पैदा कर चुकी है। वास्तव में दोनों सांसदों के बीच हुई फोन पर बातचीत का ऑडियो टेप लीक हो गया। इस बातचीत में भगवंत मान दावा कर रहे थे कि दिल्ली में बैठे नेताओं के हाथ कुछ नहीं तथा जो फैसले होंगे वे पंजाब स्तर पर पंजाब के नेताओं की तरफ से लिए जाएंगे। मान ने इस ऑडियो में अपनी तरफ से खूब भड़ास निकाली थी। पार्टी के लोग इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
आप का महल सिर्फ हवा में ?
आम आदमी पार्टी वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में 4 सीटों पर मिली जीत को आधार बनाकर पंजाब में सरकार बनाने का सपना देख रही है लेकिन इन चुनावों के 3 माह बाद 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा सके थे। इसका असर यह हुआ कि पार्टी ने खडूर साहिब उपचुनाव लडऩे से हाथ खींच लिया तथा अकाली दल का उम्मीदवार रिकार्ड मतों से जीता। पटियाला सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार हरजीत सिंह को महज 5724 वोट मिले, जबकि लोकसभा चुनावों में धर्मवीर गांधी ने इस सीट से 35674 वोट हासिल किए थे। यही हाल पंजाब की तलवंडी साबो सीट का भी रहा जहां पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रो. बलजिंद्र कौर को 13889 वोट हासिल हुए। उपचुनाव में दोनों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
गंभीर मुद्दों पर ‘नॉन सीरियस’ पार्टी
पंजाब की राजनीति में सतलुज यमुना लिंक नहर का मामला काफी गंभीर है। यह मामला पंजाब में कई दलों के लिए सत्ता की सीढ़ी का काम कर सकता है, लेकिन इस मसले पर पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का सुल्तानपुर में बयान था कि वह इस मामले में पंजाब के साथ हैं लेकिन यह बयान 24 घंटे के भीतर ही करीब 425 किलोमीटर की दूरी पर जाते ही पलट गया। बयान से पलटते हुए केजरीवाल ने दिल्ली में जाकर कहा कि जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश होगा वही मान्य होगा। इससे पहले दिल्ली के एडवोकेट जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए हरियाणा के पक्ष को मजबूती से रखा, जिस पर दिल्ली सरकार ने एडवोकेट जनरल को बाहर का रास्ता दिखा दिया।