Edited By Updated: 26 Jul, 2016 09:36 AM
पिछले सप्ताह राज्यसभा से त्यागपत्र देने के पश्चात एकांतवास में चले गए सिद्धू आज जब प्रैस कॉन्फ्रैंस करने पहुंचे तो
अमृतसर (जिया): पिछले सप्ताह राज्यसभा से त्यागपत्र देने के पश्चात एकांतवास में चले गए सिद्धू आज जब प्रैस कॉन्फ्रैंस करने पहुंचे तो ऐसा लग रहा था कि वह पंजाब में अपनी भूमिका बारे घोषणा करेंगे लेकिन उन्होंने सिर्फ राज्यसभा से त्यागपत्र देने के कारणों का खुलासा करने की ही बात की, शेष भविष्य की अपनी रणनीति के पत्ते नहीं खोले। इसके साथ वह बारम्बार पंजाब में रहने की बात करके अप्रत्यक्ष रूप से मन की बात कह गए कि उनका लक्ष्य पंजाब का सी.एम. बनना है।
कुछ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सिद्धू द्वारा आज की प्रैस कॉन्फ्रैंस में पंजाब की सेवा का जो वर्णन किया गया है वह स्पष्ट संकेत है कि चुनावों में नवजोत सिंह सिद्धू अकाली-भाजपा गठबंधन, कांग्रेस और यहां तक कि ‘आप’ की भी राजनीतिक संभावनाओं पर पानी फेर सकते हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू अपनी अलग पार्टी बनाने की भी घोषणा कर सकते हैं और आर.एस.एस. पूरी तरह से सिद्धू के नए दल को सहयोग करने का मन बना चुका है। अकाली-भाजपा से भी रूठे हुए कई दिग्गज और ‘आप’ से निष्कासित सांसद हरिन्द्र सिंह खालसा तथा धर्मवीर गांधी भी सिद्धू को अपना नेता स्वीकार करने को तैयार हैं।
वर्तमान घटनाक्रम के चलते जहां तक ‘आप’ की बात है, वह शायद सिद्धू को सी.एम. का उम्मीदवार घोषित न करे जबकि सिद्धू, इससे कम किसी कीमत पर ‘आप’ में शामिल नहीं होंगे। इस स्थिति में नवजोत सिंह सिद्धू के समक्ष एक ही विकल्प होगा कि वह चौथे मोर्चे का गठन कर पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ें। दूसरी ओर केजरीवाल व सिद्धू के स्वभाव को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि यदि सिद्धू ‘आप’ में शामिल होते हैं तो स्थिति एक म्यान में दो तलवारों जैसी होगी और यह रिश्ता ज्यादा दूर तक नहीं निभ पाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सिद्धू को ‘आप’ का सी.एम. चेहरा बना कर पेश करने में अरविंद केजरीवाल की मंशा कतई नहीं है। केजरीवाल द्वारा चुनावों से पूर्व सी.एम. का उम्मीदवार घोषित न करने के पीछे उनका स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा है।