Edited By Updated: 29 Jun, 2016 12:42 PM
आम आदमी पार्टी में जैसे-जैसे पंजाब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे टिकटों के आबंटन को लेकर गुटबाजी
जालंधर(बुलंद): आम आदमी पार्टी में जैसे-जैसे पंजाब विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे टिकटों के आबंटन को लेकर गुटबाजी बढ़ती जा रहा है। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोआबा काोन में पार्टी में एक-दो नहीं बल्कि आधा दर्जन के करीब गुट हावी हैं, जो आगामी चुनावों में पार्टी के लिए सिरदर्दी का सबब बन सकते हैं।
जानकारों के अनुसार दोआबा के जालंधर में हावी दिल्ली ग्रुप में आब्कार्वर (जो दिल्ली से आए हैं) व इंचार्ज (पंजाब के किसी अन्य शहर से शामिल हैं), के ग्रुप में वे लोग शामिल हैं, जो इन नेताओं का ख्याल रखते हैं। इनके रहन-सहन व अन्य खर्चों को उठाते हैं। ऐसे सेवादारों को पार्टी की ओर से टिकटें मिलने की उम्मीद है। दूसरा ग्रुप छोटेपुर का है। छोटेपुर पार्टी के बड़े नेताओं में शामिल होने के साथ-साथ सी.एम. पद के दावेदार भी माने जाते हैं। ऐसे में कई पार्टी वर्कर व नेता वही करते हैं जो छोटेपुर कहते हैं। इन वर्करों को
उम्मीद है कि छोटेपुर उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट अवश्य दिलाएंगे।तीसरा ग्रुप खैहरा का है। कांग्रेस के बाद आप में आए खैहरा ने कांग्रेस के समय से ही अपने साथ चलने वाले वर्करों को आप में भी अपने साथ रखा है। दोआबा जोन में खैहरा ग्रुप के लोग एक्टिव हैं और खैहरा से जुड़े वर्कर भी यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अगर आप की पंजाब में सरकार बनी तो खैहरा को अच्छा पद मिलेगा व खैहरा उन्हें टिकट भी दिला सकते हैं, इसीलिए खैहरा ग्रुप अपनी अलग पहचान बनाए है।
चौथा ग्रुप फूलका का है। एडवोकेट फूलका की अपनी फैन फोलोइंग है। पार्टी के पंजाब में स्टैंड होने से पहले ही दोआबा काोन के युवा व काफी वर्कर फूलका से जुड़े थे पर पार्टी में अन्य नेताओं का दबदबा बढऩे से फूलका ग्रुप को पीछे धकेल दिया गया। चुनावों में फूलका ग्रुप अपना रोष जाहिर कर सकता है। दोआबा में पांचवा ग्रुप उन टकसाली वर्करों व नेताओं का है, जिन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन तो शुरूआत के समय में थामा था पर पार्टी के पंजाब में पैर जमने पर उनको साइड कर दिल्ली व दूसरे शहरों से आब्जर्वर व जिला इंचार्ज लाकर वर्करों पर बिठा दिए गए । ऐसे टकसाली वर्कर व नेता बेहद निराश हैं। ऐसे में सबको चुनावों का इंतकाार है ताकि वे सब अपनी भड़ास निकाल सकें। देखना होगा कि केजरीवाल व उनकी टीम कैसे पंजाब में विधानसभा चुनावों से पहले अपनी अंदरूनी गुटबाजी से निपटते हैं?