Edited By Updated: 09 Dec, 2016 04:17 PM
कैप्टन अमरेंद्र सिंह भले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हो लेकिन इस कुर्सी पर बैठने से पहले वह लगातार 2 चुनाव हारे थे । इनमें से एक चुनाव में तो उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी।
जालंधर: कैप्टन अमरेंद्र सिंह भले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हो लेकिन इस कुर्सी पर बैठने से पहले वह लगातार 2 चुनाव हारे थे । इनमें से एक चुनाव में तो उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी। अकाली दल से अलग होने के बाद कैप्टन ने अलग अकाली दल पंथक बनाकर 1992 का चुनाव लड़ा था।उस चुनाव में कैप्टन ने 58 उम्मीदवार मैदान में उतारे जिनमें से 3 सीटों पर ही उन्हें सफलता मिली। इस दौरान कैप्टन अमरेंद्र सिंह समाना सीट से मैदान में उतरे।
कांग्रेस में अपने सहयोगियों के सहयोग से उन्होंने अपने ही एक करीबी नेता को कांग्रेस की टिकट दिलवा दी। कैप्टन के कहने पर कांग्रेस के उम्मीदवार ने नामांकन पत्र वापस ले लिया। कैप्टन बिना मुकाबले के इस सीट से चुनाव जीत गए। जब कैप्टन को लगा कि वह मैदान छोड़ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह खरड़ से चुनाव जीत कर दिखाएंगे। खरड़ से चुनाव मैदान में उतरे कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मात्र 856 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। खरड़ सीट से उस दौरान कांग्रेस के हरनेक सिंह चुनाव जीते थे जबकि बसपा के उम्मीदवार मान सिंह दूसरे नम्बर पर रहे।
कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव हारे, सी.एम. बने
कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद 1998 में उन्हें पटियाला लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया। इस चुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह को 33,251 वोट से हरा दिया था। इस चुनाव दौरान चंदूमाजरा को 4,10,937 वोट मिले थे जबकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह को 3,77,686 वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस ने 2002 का चुनाव उनकी कमांड में लड़ा। 2002 के चुनाव में कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में 105 सीटों पर चुनाव लड़ा और 62 सीटों पर जीत हासिल की तथा राज्य में स्पष्ट बहुमत हासिल किया। अकाली दल को 41 सीटों पर जीत मिली जबकि भाजपा को सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ। भाजपा 1997 के चुनाव में हासिल की गई 18 सीटों की तुलना में 2002 में 3 सीटों पर सिमट गई।