Edited By Updated: 21 Jan, 2017 10:08 AM
‘यू.एस. इलैक्शन हैकिंग’ के विवाद की छाया भारत में भी पडऩे लगी है। ‘इलैक्शन हैकिंग’ के मुद्दे पर अमरीका व रूस के बीच गहरा रहे विवाद ने देश के राजनीतिज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
‘यू.एस. इलैक्शन हैकिंग’ के विवाद की छाया भारत में भी पडऩे लगी है। ‘इलैक्शन हैकिंग’ के मुद्दे पर अमरीका व रूस के बीच गहरा रहे विवाद ने देश के राजनीतिज्ञों को चिंता में डाल दिया है। प्रमुख राजनीतिक दलों में ‘हैकिंग’ के इस संगीन अंतर्राष्ट्रीय मामले की नई बहस छिड़ गई है और कई पार्टी नेताओं को डर सता रहा है कि सत्तासीन ध्रुव कहीं आगामी विधानसभा चुनावों को ‘इलैक्शन हैकिंग’ के जरिए हथिया न ले। ‘पंजाब केसरी’ ने अंतराष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर गहराए इस विवाद की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
विश्व के कई देशों में ई.वी.एम्स से चुनाव करवाना पूरी तरह प्रतिबंधित है क्योंकि आसानी से टैंपर होने वाली इन मशीनों को सुरक्षित नहीं माना जाता है। उधर, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने 2009 के आम चुनाव दौरान इन मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया और उसके बाद आम चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों और बड़े नगर निगमों में भी इन मशीनों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल में लाया गया।
18 मई, 2010 को बी.बी.सी. की साऊथ एशिया सैक्शन की साइंस रिपोर्टर जूलियन सिडल द्वारा ‘यू.एस. साइंटिस्ट हैक इंडियन इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन’ शीर्षक से छपी खबर ने पहली दफा ई.वी.एम. की सिक्योरिटी पर सवाल खड़े किए। इस खबर में बताया गया कि यू.एस. यूनिवॢसटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है जो इंडियन इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन को ‘हैक’ करने में सक्षम है। यूनिवॢसटी ऑफ मिशिगन के शोधकत्र्ताओं ने दावा किया कि घर में बने एक विशेष डिवाइस से ई.वी.एम. को कनैक्ट करने के बाद मोबाइल से भेजे गए टैक्स्ट मैसेज से चुनाव परिणामों को बदला जा सकता है।
खबर में आगे कहा गया है कि भारतीय चुनाव अधिकारियों ने दावा किया है कि उनकी मशीनें फुलप्रूफ हैं और उनमें टैंपरिंग करना बेहद मुश्किल है। भारत में चुनावों के दौरान आम चुनावों में 1.4 मिलियन इलैक्ट्रोनिक मशीनों को उपयोग में लाया जाता है। बी.बी.सी. की इस खबर में आगे दावा किया गया है कि मिशिगन यूनिवॢसटी के शोधकत्र्ताओं ने भारतीय ई.वी.एम्स को एक डिवाइस के जरिए ‘हैक’ करने संबंधी एक वीडियो भी इंटरनैट में पोस्ट किया। इस खबर में प्रोजैक्ट को लीड करने वाले यूनिवॢसटी के एक प्रोफैसर जे. एलैक्स हाल्डरमैन ने बताया कि ई.वी.एम. एक मशीन है और विशेष डिवाइस व मोबाइल फोन के टैक्स्ट मैसेज के जरिए उसके परिणामों को प्रभावित किया जा सकता है लेकिन चुनावों के दौरान प्रशासनिक सेफगार्ड चलते ऐसा करना बेहद मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि शोधकत्र्ताओं द्वारा तैयार डिस्प्ले बोर्ड कुल वोटों को इंटरसैप्ट करता है। अगर कोई बुरा आदमी चाहे तो हैकिंग के जरिए चुनाव परिणामों के कुल टोटल को अपने हिसाब से बदल सकता है। उन्होंने बताया कि एक छोटे से माइक्रोप्रोसैसर के जरिए ई.वी.एम. में चुनाव के दौरान स्टोर किए गए कुल वोटों को ‘काऊंटिंग’ सैशन के दौरान बदला जा सकता है। भारतीय इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों को विश्वभर में सबसे ज्यादा टैंपरप्रूफ मशीन माना जाता है।