Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 01:01 PM
1755 में आबाद हुई इस नाभा रियासत की गद्दी पर गुरदित्त सिंह की मौत के बाद उनका पौत्र हमीर सिंह बैठा, क्योंकि गुरदित्त सिंह का बेटा सूरतया अपने पिता के देहांत के 2 वर्ष बाद मर गया था। सूरतया के 2 पुत्र हमीर सिंह व कपूर सिंह थे। दोनों भाइयों ने हर हमले...
नाभा (जैन): 1755 में आबाद हुई इस नाभा रियासत की गद्दी पर गुरदित्त सिंह की मौत के बाद उनका पौत्र हमीर सिंह बैठा, क्योंकि गुरदित्त सिंह का बेटा सूरतया अपने पिता के देहांत के 2 वर्ष बाद मर गया था। सूरतया के 2 पुत्र हमीर सिंह व कपूर सिंह थे। दोनों भाइयों ने हर हमले में सरदार आला सिंह के साथ रह कर बड़ी तरक्की की। हमीर सिंह ने सरकार आला सिंह की मदद से मालेरकोटला के थानेदार को हराकर लाहौवाल पर कब्जा किया। श्री आला सिंह का डेरा गांव दुलद्दी में ही रहा। इस कारण यह गांव रियासत पटियाला का था। 1759 में राजा हमीर सिंह ने भादसों पर कब्जा किया था। नाभा रियासत के महाराजा हीरा सिंह लोकप्रिय शासक और महाराजा रिपुदमन सिंह महान देशभक्त हुए हैं। मिनी काशी के नाम से प्रसिद्ध रियासत के कुछ धार्मिक स्थान, डेरा तपिया मंदिर, श्री बांके बिहारी मंदिर, श्री गंगा मंदिर, गुरुद्वारा घेड़ोंवाला, मनसा देवी मंदिर, श्री संन्यास आश्रम विश्व में प्रसिद्ध हैं।
रियासत में 9 राजाओं ने शासन किया। गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) मोर्चे दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू को नाभा में गिडवानी व सनतानम के साथ गिरफ्तार करके 1923 में 23 सितम्बर को हथकडिय़ां लगाकर बाजार में घुमाया गया था। रियासत के समय महाराजा सवाल कार में घूमते थे। पंडित नेहरू की यादगार बनाने के लिए 1973 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने यहां नेहरू जेल का उद्घाटन करते हुए ऐलान किया था परन्तु अब नेहरू जेल व चाचा नेहरू पार्क की दुर्दशा देखकर ही रोना आता है। अंतिम महाराजा प्रताप सिंह और उनके पुत्र टिक्का हनुमंत सिंह का भी देहांत हो गया। महाराजा नाभा का महल बिक गया। प्रधानमंत्री सकतरेत व शाही किला मुबारक की दुर्दशा हो चुकी है। पैप्सू समय जनरल शिव देव सिंह यहां के विधायक व सेहत मंत्री थे, जिन्होंने नाभा-पटियाला मार्ग व टी.बी. क्लीनिक बनाया।
नाभा शहर के 2 सियासतदानों राजा नरिंद्र सिंह (3 बार मंत्री) और गुरदर्शन सिंह (2 बार मंत्री) की पंजाब में कर्मवार अकाली दल और कांग्रेस सरकारों समय तूती बोलती थी, जबकि हलका रिजर्व होने के बाद अब लोग अपने आप को लावारिस समझने लग गए हैं। यहां कोई भी अधिकारी सरकारी कोठियों में नहीं रहता। दफ्तरों में लोग धक्के खाते हैं। सरकारी डाक्टरों ने प्राइवेट दुकानदारी कायम कर रखी है। लिबरल्ज हाकी के कारण शहर का नाम विश्व के खेल जगत के नक्शे पर चमक रहा है, जबकि हॉॢलक्स फैक्टरी में बूस्ट, गोपिका घी, हार्लियां व ईनो तैयार होता है। फोकल प्वाइंट का विकास नहीं हो सका। शहर में सीवरेज नहीं डाला गया। इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट सफेद हाथी बनकर रह गया है। ट्रस्ट की मार्कीटों में सफाई, लाइट प्रबंध नहीं हैं। बुतों की संभाल नहीं हो रही। नाभा सर्कुलर रोड पर डिवाइडर नहीं हैं, जिस कारण रोजाना राधा स्वामी सत्संग रोड से लेकर मालेरकोटला चुंगी चौक तक हादसे घटते रहते हैं।