Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 10:57 AM
पिछले लम्बे समय से शाही शहर में पशुओं की भरमार होने के कारण पटियालवियों में खौफ पैदा हो गया है, क्योंकि बेसहारा पशुओं कारण कई बार पटियाला में आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है परन्तु नगर निगम की पशु पकड़ मुहिम हमेशा फेल नजर आई है।
पटियाला/रखड़ा(बलजिन्द्र, राणा): पिछले लम्बे समय से शाही शहर में पशुओं की भरमार होने के कारण पटियालवियों में खौफ पैदा हो गया है, क्योंकि बेसहारा पशुओं कारण कई बार पटियाला में आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है परन्तु नगर निगम की पशु पकड़ मुहिम हमेशा फेल नजर आई है।
काऊ सैस लगने के बावजूद बेसहारा पशुओं से पटियालवियों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही। दिनों-दिन पशुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। गली-मोहल्लों में पशुओं के झुंडों के घूमने कारण बच्चे गलियों में खेलने ही नहीं आते। सी.एम. सिटी होने के बावजूद बेसहारा पशुओं का खौफ सभी पटियालवियों के दिलों में बैठा हुआ है।
शिरोमणि अकाली दल भाजपा सरकार के समय इन बेसहारा पशुओं को रखने के लिए समाना नजदीक गांव गाजीपुर में बड़ी जिला स्तरीय गौशाला बनाई गई थी परन्तु वहां तक इनको पहुंचाने के लिए किसी ने हिम्मत नहीं की, जिस कारण स्थिति जैसे की वैसे ही बनी हुई है। बेसहारा कुत्तों का भी खौफ बरकरार है। चाहे केंद्रीय मंत्री की तरफ से इनकी नसबंदी पर रोक लगा दी गई थी परन्तु बेसहारा पशुओं के साथ-साथ बेसहारा कुत्तों की भरमार में भी विस्तार दर्ज किया गया है।
बेसहारा पशुओं में सांडों की भरमार ज्यादा होने के कारण कई बार वाहनों के नुक्सान के साथ-साथ नजदीक से गुजरते आम लोग भी इनके शिकार होने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं परन्तु फिर भी शाही शहर में नगर निगम अपनी नींद से नहीं जाग रहा और न ही बेसहारा पशुओं व कुत्तों की पकड़ मुहिम में कोई रुचि ले रहा है। इस करके दिनों-दिन हादसों में वृद्धि होती जा रही है। लिहाजा नगर निगम थोड़े समय के लिए इनको पकड़ में करने के लिए मुहिम चलाता है और 2 दिन चलने के बाद इस मुहिम को बंद कर दिया जाता है, जिस करके बेसहारा पशुओं और कुत्तों की दहशत उसी तरह बरकरार नजर आ रही है।
कुत्तों कारण बच्चों व बुजुर्गों में हमेशा बना रहता है खौफ
मुख्यमंत्री का शाही शहर होने के कारण कई पक्षों से शहर की सुरक्षा अहम होनी चाहिए थी परन्तु इस शहर में सबसे अधिक असुरक्षा महसूस होती है। जिला पटियाला में बेसहारा कुत्तों के कारण बच्चों पर बुजुर्गों में हर समय डर बना रहता है। इनको पकडऩे के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस नीति अमल में नहीं लाई जा रही।
कई व्यक्ति सांडों के कारण गंवा चुके हैं अपनी जान
सी.एम. सिटी में बेसहारा सांड और गऊओं के कारण कइयों को जान से हाथ धोना पड़ा है। कई व्यक्ति एक्सीडैंट में ऐसे घायल हुए जो सारी उम्र के लिए अपाहिज हो गए। प्रशासन इस समस्या को पहल के आधार पर करने के मूड में नहीं है। इस तरह लगता है कि प्रशासन किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है।
बेसहारा पशुओं को पकडऩे के अदालत की तरफ से किए आदेश भी हुए हवा
बेसहारा पशुओं कारण बहुत से व्यक्तियों को जहां अपनी जान गंवानी पड़ी है, वहीं इस संबंधित माननीय अदालत की तरफ से बेसहारा पशुओं को तुरंत पकड़ कर संबंधित गौशाला में पहुंचाने के आदेश भी हवा हो चुके हैं। इन आदेशों की परवाह न करते हुए नगर निगम की तरफ से कोई भी ऐसे पुख्ता कदम नहीं उठाए गए, जिस कारण आवारा पशुओं और कुत्तों को तुरंत पकड़ कर संबंधित स्थानों पर रखा जा सके। परन्तु देखना यह है कि यदि नगर निगम माननीय अदालतों के आदेशों को दरकिनार कर रहा है तो आम लोगों को इनसे कैसे राहत मिलेगी।