कांग्रेस में उपमुख्यमंत्री का पद हिंदू को देने की उठने लगी मांग

Edited By Updated: 25 Oct, 2016 12:29 PM

punjab assembly elections 2017

2017 के विधानसभा चुनावों में हैट्रिक लगाने के लिए पंजाब की सत्ता पर काबिज शिरोमणि अकाली दल की मजबूत सोशल इंजीनियरिंग की काट

पटियाला (राजेश): 2017 के विधानसभा चुनावों में हैट्रिक लगाने के लिए पंजाब की सत्ता पर काबिज शिरोमणि अकाली दल की मजबूत सोशल इंजीनियरिंग की काट करने के लिए कांग्रेस पार्टी में उपमुख्यमंत्री का पद किसी हिंदू विधायक को देने की मांग जोर पकडऩे लगी है। 


अकाली दल की तरफ से तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए लीक से हटते हुए पंजाब में हिंदुओं और दलितों को साथ लाने के लिए जो नई रणनीति बनाई जा रही है, उसके कारण कांग्रेस के हिंदू विधायक चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी अपने परम्परागत हिंदू और दलित वोट बैंक को बचाने के लिए हिंदुओं व दलितों की तरफ विशेष ध्यान दे। इसलिए पार्टी के कई विधायकों ने ऑल इंडिया कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपप्रधान राहुल गांधी और पंजाब कांग्रेस के प्रधान कै. अमरेंद्र सिंह के साथ भी बात की है। 


इन विधायकों ने हाईकमान को बताया है कि पंजाब के लोग अकाली-भाजपा गठजोड़ के बेहद खिलाफ हैं और प्रदेश का वातावरण पूरी तरह कांग्रेस पार्टी के हक में है। जरूरत सिर्फ  सोशल इंजीनियरिंग की है। यदि इसकी तरफ ध्यान न दिया गया तो पार्टी को 2012 की तरह बदनामी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अकाली दल ने 2012 में एक दर्जन के लगभग हिंदुओं को टिकटें दी थीं, जिनमें से 95 प्रतिशत उम्मीदवार जीत गए थे और कांग्रेस पार्टी भटिंडा, फरीदकोट, मानसा जैसी सीटों पर हार गई थी। पार्टी के हिंदू विधायकों का मानना है कि अर्बन और सैमी अर्बन (मंडियों) में हिंदू भाईचारे को अधिक से अधिक टिकटें दी जाएं जिससे अकाली दल को काऊंटर किया जा सके। पंजाब के लोग बेशक कांग्रेस को चाहते हैं परन्तु यदि शहरी सीटों पर भी हिंदुओं की अनदेखी की गई तो पार्टी को इसका नुक्सान हो सकता है। 


पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान और राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो पहले ही कह चुके हैं कि पंजाब में दलितों की आबादी 38 प्रतिशत तक पहुंच गई है, इसलिए मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री का उम्मीदवार दलित भाईचारे में से होना चाहिए। 2012 में कांग्रेस पार्टी की हार का एक बड़ा कारण यह रहा था कि शहरी सीटों से भी ‘जाट’ नेताओं को टिकटें दी गई थीं। यही कारण है कि जालंधर जिले की समूची सीटों पर कांग्रेस पार्टी का सफाया हो गया था क्योंकि हिंदू नेताओं की टिकटें काटने के कारण हिंदू समाज कांग्रेस से दूर हो गया था। हिंदुओं की नाराजगी के कारण ही भाजपा को 2012 में 18 सीटें मिल गई थीं। प्रदेश का इतिहास गवाह है कि शहरी हिंदू, दलित और पिछड़े समाज के लोग ही कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक रहे हैं। इन वर्गों के कारण ही कांग्रेस बार-बार सत्ता में आती रही है परन्तु पिछले कुछ समय से कांग्रेस में भी अकाली दल की तरह ‘जाटवाद’ हावी हो गया था। अकाली दल ने परंपरा को तोड़ते हुए 2012 में पहली बार हिंदुओं को बड़े स्तर पर टिकटें दी थीं, जिस के कारण ही पंजाब के इतिहास में पहली बार कोई सरकार रिपीट कर सकी थी।

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