Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jan, 2018 01:47 PM
2017 में नैक का ए ग्रेड हासिल करने वाली, 7वीं बार माका ट्रॉफी का ताज सिर पर सजाने वाली और तीरअंदाजी में अमनदीप सिंह के वल्र्ड चैम्पियन बनने के साथ विश्व में तारे की तरह चमकी पंजाबी यूनिवर्सिटी के लिए साल 2018 चुनौतियों से भरपूर रहेगा। इसके साथ...
पटियाला(जोसन): 2017 में नैक का ए ग्रेड हासिल करने वाली, 7वीं बार माका ट्रॉफी का ताज सिर पर सजाने वाली और तीरअंदाजी में अमनदीप सिंह के वल्र्ड चैम्पियन बनने के साथ विश्व में तारे की तरह चमकी पंजाबी यूनिवर्सिटी के लिए साल 2018 चुनौतियों से भरपूर रहेगा। इसके साथ यूनिवर्सिटी को नए युग का साथी बनाने के लिए तकनीकी शिक्षा से लेकर विज्ञान में नई खोज करने की जरूरत भी पड़ेगी।
1 लाख विद्यार्थियों को ‘समय का साथी’ बनाना यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी चुनौती
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में 70 के करीब विभाग हैं और 279 के करीब कालेज हैं। इसमें लाख के करीब विद्यार्थी कालेजों और कैंपस में पढ़ते हैं जिनको ‘समय का साथी’ बनाना यूनिवर्सिटी के लिए बड़ा चैलेंज होगा।
अगर सी.एम. ने मदद न की तो बढ़ेंगी फीसें
पंजाबी यूनिवर्सिटी इस वक्त वित्तीय संकट में है। यूनिवर्सिटी के गुरु गोबिन्द सिंह भवन की नींव रखते समय पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के पिता महाराजा यादविन्द्र भी समकालीन राष्ट्रपति के साथ ही थे जिस कारण अधिकारियों को आशा है कि मालवे की अहम यूनिवर्सिटी को आर्थिक संकट में से निकालने के लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह जरूर बड़े पैकेज का ऐलान करेंगे। यदि ऐसा न किया गया तो अधिकारियों को फीसें बढ़ाने की तरफ जाना पड़ सकता है। उस समय विद्यार्थियों के किए विरोध का नुक्सान भी यूनिवर्सिटी को ही भुगतना पड़ेगा।
विद्यार्थियों के संघर्ष के साथ निपटना बड़ी चुनौती
इस दौरान डीन स्टूडैंट्स वैल्फेयर के लिए यह बड़ी चुनौती है कि यदि विद्यार्थियों द्वारा कोई भी संघर्ष किया जाता है तो उससे कैसे निपटा जाएगा, इसी तरह नए डीन अकादमिक मामलों के लिए बड़ी चुनौती है कि वह इंजीनियरिंग कालेज में चल रहे पाठ्यक्रमों को बचाने के लिए क्या हल करते हैं, क्योंकि कम्प्यूटर को छोड़कर बाकी सभी पाठ्यक्रमों में सीटें खाली की तरह ही हैं।
नई भर्ती बनेगी वी.सी. के लिए सिरदर्दी
वाइस चांसलर के लिए यूनिवर्सिटी को वित्तीय संकट से निकालने के साथ-साथ यह चुनौती भी रहेगी कि जो विभाग अध्यापकों के बिना हैं उनमें अध्यापकों की भर्ती कैसे की जाए जिससे उन विभागों का अस्तित्व बच सके। मीडिया युग में मीडिया के दोनों विभाग प्रमुख के योग्य अध्यापकों के बिना हो गए हैं, जिस करके यहां पंजाबी का पाठ्यक्रम बनाने की ज्यादा जरूरत है। यूनिवर्सिटी में स्टूडियो से लेकर हर तरह की आवाज और साज मौजूद हैं। यूनिवर्सिटी के कलाकारों द्वारा एलबम रिकार्ड करवाकर गायकी के साथ रुपए कमाए जा सकते हैं। थिएटर विभाग में से अच्छे कलाकार फिल्मों में काम कर रहे हैं उनको साथ लेकर फिल्में बनाकर रुपए कमाए जा सकते हैं। ज्यादातर विभागों में वर्गवाद होने के कारण वाइस चांसलर को अंदरूनी चुनौतियों के साथ भी दो-चार होना पड़ेगा।
सेवा मुक्ति का मुद्दा बनेगा यूनिवर्सिटी के लिए चुनौती
यूनिवर्सिटी में अध्यापक जत्थेबंदी चुनाव, विद्यार्थी चुनाव व कर्मचारियों के चुनाव नहीं हो रहे, जिस कारण नुमाइंदा जमात कोई भी नहीं है और अलग-अलग ग्रुप वी.सी. को कई परेशानियों में डाल सकते हैं। अभी तक नए वी.सी. के किसी भी अध्यापक ग्रुप के साथ घुले-मिले नजर न आने के कारण अच्छा माना जा रहा है नहीं तो यूनिवर्सिटी में दर्जन से अधिक अध्यापक ग्रुप वी.सी. के पास अपना पक्ष रखने के लिए काम करते हैं, सेवा मुक्त अध्यापकों का मुद्दा भी वी.सी के लिए चुनौती भरा है। विवादों में से बाहर निकालना वी.सी. के लिए काफी मुश्किल होगा क्योंकि अब सिंडीकेट के मैंबर भी भाई काहन सिंह नाभा के पोते बने हैं। इस तरह साल 2018 पंजाबी यूनिवर्सिटी के लिए चुनौती भरा होगा।