Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 11:03 AM
मॉडर्न और हाइटैक पुलिसिंग की बातें करने वाली सरकार के मुख्यमंत्री के अपने जिले के थाने उधार की या फिर अनसेफ बिल्डिंगों में चल रहे हैं। जब कांग्रेस सरकार आई तो थानों के हालात सुधारने के प्रयास किए गए, जिसके लिए कुछ थानों के एस्टीमेट भी बनाए गए, पर वे...
पटियाला (बलजिन्द्र): मॉडर्न और हाइटैक पुलिसिंग की बातें करने वाली सरकार के मुख्यमंत्री के अपने जिले के थाने उधार की या फिर अनसेफ बिल्डिंगों में चल रहे हैं। जब कांग्रेस सरकार आई तो थानों के हालात सुधारने के प्रयास किए गए, जिसके लिए कुछ थानों के एस्टीमेट भी बनाए गए, पर वे फाइलों का शृंगार बन कर रह गए। यानी की स्थिति वहीं की वहीं है। अब भी थानों का विकास खाकी रौब से हो रहा है। अगर यह कह लिया जाए कि लोगों की सुनवाई करने वालों की अपनी कोई सुनवाई नहीं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ऐतिहासिक थाना सदर पटियाला की बिल्डिंग अनसेफ
सबसे पुरानी ऐतिहासिक थाना सदर पटियाला की बिल्डिंग अनसेफ हो चुकी है। थोड़ी सी बारिश के बाद वहां न तो एस.एच.ओ. अपने कमरे में बैठ सकता है और न ही मुंशी। बारिश के दिनों में थाने में पानी भर जाता है। थाना सदर पटियाला सबसे पुराना और बड़ा थाना है। उल्लेखनीय है कि कभी थाना सदर पटियाला एशिया का सबसे बड़ा थाना होता था और उसके अधीन इतना इलाका पड़ता था कि उतना एरिया अब पूरी डिवीजन के अधीन भी नहीं पड़ता।
कई बार एस्टीमेट बने लेकिन सिरे कभी भी नहीं चढ़े
जिले के थानों की बिल्डिंगों के लिए कई बार एस्टीमेट बने। इनमें थानों की बिल्डिंगें और पुराने थानों की मुरम्मत शामिल है। इनमें से अकेले थाना सदर पटियाला की बिल्डिंग के लिए 1 करोड़ 62 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाया गया था, परंतु एक साल बीतने के बाद वहां एक ईंट भी नहीं लगी। फंडों की कमी के कारण एक पैसा भी रिलीज नहीं हुआ। आज भी थोड़ी-सी बारिश के बाद थाने में पानी भर जाता है और बरसात के दौरान मुलाजिम अक्सर बरसाती पानी को अंदर न घुसने देने के लिए मशक्कत करते नजर आते हैं।
अधिकतर थानों के पास केस प्रॉपर्टी रखने के लिए भी जगह नहीं
जिले के अधिकतर थानों के पास केस प्रॉपर्टी रखने के लिए भी जगह नहीं है। एक तो कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के कारण सामान को माननीय अदालत से छुड़वाने के लिए काफी समय लग जाता है। दूसरा थानों में नफरी कम होने के कारण व वी.आई.पी. ड्यूटी अधिक होने से कर्मचारियों को केस प्रॉपर्टी के केस निपटाने का समय ही नहीं मिल पाता। इसी कारण प्रत्येक थाने में केस प्रॉपर्टी का सामान काफी अधिक पड़ा पाया जाता है और जगह न होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।