Edited By Updated: 04 Oct, 2015 05:28 PM
जिंदगी का कड़वा सच है कि मरने के बाद हर किसी की आखिरी जगह होती है श्मशानघाट लेकिन यदि कोई जीते-जी यहां ..
पटियाला: जिंदगी का कड़वा सच है कि मरने के बाद हर किसी की आखिरी जगह होती है श्मशानघाट लेकिन यदि कोई जीते-जी यहां रहना शुरू कर दे तो थोड़ी हैरानी ज़रूर होती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया यहां के गांव चौरा का, जहां एक बुज़ुर्ग दंपति ने जीते जी श्मशान को अपना घर बना लिया है। ये दंपति पिछले 2 सालों से श्मशानघाट में रह रहा है।
आपबीती बताते हुए 84 वर्षीय गुरदेव सिंह और उनकी पत्नी तेज कौर ने बताया कि वे अनपढ़ हैं। इस कारण गुरदेव सिंह के बड़े भाई ने उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया और इस बारे उन्हें 3 साल बाद पता चला कि वे बेघर हो चुके है। उनके 3 बेटे थे, जिनमें से 2 की मौत हो गर्इ और तीसरा उनसे अलग रहता है। बेटों से भी इस दंपति को कोई सुख नहीं मिला। इसी कारण मजबूरी उन्हें श्मशान ले आई।
बताया जा रहा है कि उम्र ज़्यादा होने के कारण गुरदेव सिंह खुद तो कोई काम नहीं कर सकते लेकिन उनकी पत्नी तेज कौर किसी फैक्ट्री में छोटा-मोटा काम करके गुज़ारा चलाती है। देखने वाले लोगों ने इस सबसे प्रशासन को जागरूक करवाया। इसके बाद एस.डी.एम. गुरपाल सिंह चाहल गत शुक्रवार को शमशानघाट पहुंचे, जहां उन्होंने सरकारी मदद देने की पेशकश करते कहा कि ज़िला प्रशासन उनके रहने और खाने-पीने का प्रबंध कर देगा।
हैरानी तो उस समय पर हुई, जब गुरदेव सिंह ने कहा कि अब उन्हें श्मशान ही प्यारा है। इसलिए वह यही अपनी बची ज़िंदगी बिताएंगे। एस.डी.एम. ने मामले की जांच करते कहा कि बुज़ुर्ग दंपति को उनका बनता हक दिलाया जाएगा।