मवेशियों पर केंद्र सरकार के फैसले से सहयोगी दल परेशानी में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jun, 2017 08:25 AM

with the central government  s decision on cattle  the allies are in trouble

मवेशियों पर केंद्र सरकार की तरफ से जारी नए नियम भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में परेशानी का कारण बन रहे हैं।

जालंधर  (पाहवा): मवेशियों पर केंद्र सरकार की तरफ से जारी नए नियम भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में परेशानी का कारण बन रहे हैं। अगले 4 सालों में इन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ही पार्टी को सहयोगी दलों की तरफ से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते भाजपा सरकार ने किसी भी पशु बाजार में वध करने के लिए मवेशियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। जो लोग अन्य कामों के लिए पशु खरीद-बेच रहे हैं उनके लिए भी प्रमाणीकरण प्रक्रिया का अनुसरण अनिवार्य किया गया है। 

 


राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (एन.एस.एस.ओ.) द्वारा 2014 में जारी आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा को छोड़कर शेष सभी 8 पूर्वी राज्य देश में बीफ के टॉप 10 सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक हैं। मेघालय इस सूची में सबसे ऊपर है जिसमें से करीब 81 प्रतिशत लोग बीफ का सेवन करते हैं। नागालैंड में 57 प्रतिशत और मिजोरम में 23 प्रतिशत लोग बीफ खाते हैं। मेघालय, नागालैंड और मिजोरम राज्यों में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं तथा वहां पर बहुसंख्यक ईसाई आबादी है।

 


भाजपा की सहयोगी पार्टी नैशनल पीपल्स पार्टी (एन.पी.पी.) के अध्यक्ष और मेघालय के सांसद कॉनरोड संगमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए नियमों के खिलाफ बहस करने के लिए लिखा है। संगमा की पार्टी की गारो हिल्स की जिला परिषद में मजबूत उपस्थिति है जहां पर मवेशी व्यापारियों ने केंद्र सरकार की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया है। इस साल की शुरूआत में मेघालय विधानसभा में 60 सीटों में से 8 का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनेडा डैमोक्रेटिक पार्टी (यू.डी.पी.) ने विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के साथ मिलकर आगे का सफर तय करने की योजना बनाई थी लेकिन केंद्र के फैसले के बाद पार्टी की सोच बदल सकती है। 
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष टिटोस्टॉर्सटवैल शायन ने कहा है कि केंद्र का यह फैसला अस्वीकार्य है और भाजपा को हर किसी की प्लेट में भोजन सजाने पर जोर नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि यह समस्या हल नहीं होती है तो वह आने वाले चुनावों में अकेले चुनाव लड़ेंगे। उनका कहना है कि वह लोगों के भोजन की आदतों के साथ समझौता नहीं कर सकते, यदि कोई ऐसा करता है तो यह वोट शेयर को प्रभावित करेगा। नागा पीपुल्स फ्रंट जोकि नागालैंड में सत्ता में है तथा भाजपा के साथ गठबंधन में भी है, ने भी इस फैसले पर एतराज जताया है। 

 


नागालैंड सरकार के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण मंत्री कीयानी पसेय ने कहा कि केंद्र के नवीनतम कदम को लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है। यह बेहद मुश्किल होगा। त्रिपुरा में भी अगले साल मतदान होने हैं तथा एन.एस.एस.ओ. के आंकड़ों के मुताबिक यहां केवल 4 प्रतिशत जनसंख्या बीफ या भैंस का मांस खाती है। सत्तारूढ़ वाम मोर्चा सरकार के सदस्यों ने कहा है कि वह केंद्र सरकार के नए पशु नियमों को प्रभावी ढंग से नहीं लागू करेंगे।

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