Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Aug, 2017 09:31 PM
देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र में राज...
जालंधर(पाहवा): देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र में राजग की सरकार चल रही है तता इसे तीन वर्ष से अधिक का समय हो गया है। खुले तौर पर भाजपा सदा ही संघ के साथ संबंध होने पर कतराती रही है लेकिन अब संघ समय समय पर बाजपा के लि एमैंटर का काम करता रहा है। अब इस मैंटर की एक फरमाईश ने केंद्र की भाजपा सरकार को पशोपेश में डाल दिया है।
सूत्रों का कहना है कि संघ चाहता है कि केरल में बन रहे माहौल को लेकर केंद्र उचित कदम उठाए। इसके लिए केरल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाने की फरमाईश संघ ने केंद्र सरकार के आगे रखी है। सूत्र बताते हैं कि संघ ने राष्ट्रपति शासन लगाने की अपनी वजहें भी सरकार को गिनाई हैं। संघ का दावा है कि केरल में स्वयंसेवकों की हत्याएं हो रही हैं और संघ ने आरोप लगाया है कि केरल की ले ट सरकार जानबूझकर ये हत्याएं करवा रही है। इसी को आधार बनाकर वह मोदी सरकार से केरल की पिनरई विजयन सरकार को बर्खास्त करने और वहां राष्ट्रपति शासन लगाने को कह रहा है लेकिन मोदी सरकार जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार को राजनीतिक तौर पर केरल में राष्ट्रपति शासन लगाने से फायदा कम लग रहा है तथा नुकसान की संभावना अधिक है। भाजपा हाईकमान की सोच है कि अभी तक विपक्ष पूरी तरह से नेस्त नाबूद है लेकिन अगर ऐसा कोई कदम उठाया गया तो विपक्ष को सरकार को घेरने आवसर मिल जाएगा। वैसे भी राष्ट्रपति शासन लगाने से पहले इश पैसले को संसद के दोनों सदनों से पास कराना होता है। लोकसभा में सरकार बहुमत में है, लेकिन राज्यसभा में अभी भी भाजपा बहुमत से दूर है।
संसद के बाद इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चैलेंज किया जा सकता है। इससे पहले भी दो मामलों में अदालत केंद्र सरकार के फैसले को पलट ही चुकी है और फिर इतना सब होने के बाद राष्ट्रपति शासन लग भी गया तो सिर्फ छह महीने के लिए ही लगेगा, उसके बाद केरल में चुनाव कराने होंगे। केरल में फिल्हाल भाजपा की हालत कमजोर है। 6 माह बाद चुनावों में या तो ले ट सरकार ही वापस लौटेगी या फिर कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिल सकता है। दोनों ही मामलों में भाजपा का नुक्सान है। भाजपा और केंद्र सरकार की सोच है कि अभी केरल के विधानसभा चुनाव में करीब चार साल का वक्त बाकी है। पार्टी और संघ दोनों को अगले चार साल तक वहां अपनी जमीन मजबूत करनी चाहिए ताकि केरल का अगला विधानसभा चुनाव जीता जा सकें।