Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Feb, 2018 09:20 AM
इंडो-नेपाल बार्डर पर ड्रग तस्करों व आतंकियों ने अपनी सक्रियता बेहद बढ़ा दी है। तस्करों व आतंकियों की बढ़ती हलचल को लेकर नैशनल इंटैलीजैंस एजैंसी (एन.आई.ए.) और ए.टी.एस. ने भारत सरकार को नेपाल बार्डर पर सक्रियता बढ़ाने को कहा है। इस पूरी हलचल के बीच...
जालंधर (रविंदर शर्मा): इंडो-नेपाल बार्डर पर ड्रग तस्करों व आतंकियों ने अपनी सक्रियता बेहद बढ़ा दी है। तस्करों व आतंकियों की बढ़ती हलचल को लेकर नैशनल इंटैलीजैंस एजैंसी (एन.आई.ए.) और ए.टी.एस. ने भारत सरकार को नेपाल बार्डर पर सक्रियता बढ़ाने को कहा है। इस पूरी हलचल के बीच सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत की नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल की धरती से हो रही भारत विरोधी गतिविधियों का कड़ा संज्ञान लिया जा रहा है।
खुफिया एजैंसियों ने नेपाल में बढ़ रही आतंकियों की गतिविधियों को पंजाब सहित छह राज्यों के लिए खतरा बताया है। खुफिया एजैंसियों की मानें तो भारत-नेपाल की सम्पूर्ण करीब 1757 किलोमीटर की खुली हुई लंबी सीमा भारत के लिए गंभीर खतरा बन गई है। नेपाल और भारत से लगी यह लंबी सीमा यू.पी., उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम को स्पर्श करती है। भारत-नेपाल के लिए किसी तरह का वीजा न लेने के प्रावधान के कारण पाक की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. को यह रास्ता सेफ लगता है।
इस कारण नेपाल सीमा पर खुफिया निगाहबानी
खुफिया एजैंसियों की मानें तो नेपाल सीमा के दोनों ओर स्थित मस्जिद और मदरसे भारत विरोधी तत्वों के पनाहगाह बन गए हैं। साथ ही नेपाल की राजधानी में भी भारत विरोधियों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। हालांकि नेपाल भारत की इस चिंता को सिरे से खारिज करता रहा है। भारत-नेपाल के परागामन संधि के तहत कुल 17 रास्ते ही आवागमन के लिए अधिकृत हैं। इसके अलावा सैंकड़ों ऐसे रास्ते हैं जो जंगल झाड़ी और नदी-नालों से होकर गुजरते हैं। यहां सुरक्षा का कोई बंदोबस्त भी नहीं है इसलिए ये रास्ते सुरक्षा एजैंसियों के लिए सदा चुनौती बने रहते हैं।
एन.आई.ए. ने शंका जाहिर की है कि खुली हुई नेपाल सीमा आने वाले दिनों में आतंकियों का बड़ा हब बन सकता है। लिहाजा समय रहते इसकी सुरक्षा समय की जरूरत है। पिछले महीनों में कुख्यात आतंकी यासीन भटकल, अब्दुल करीम टुंडा, जब्बार, जावेद कमाल, वसीम, बब्बर खालसा का सुखविन्द्र सिंह, भाग सिंह, अजमेर सिंह व मुंबई बमकांड के कुख्यात आतंकी टाइगर मेमन समेत दर्जन भर आतंकियों के नेपाल सीमा पर पकड़े जाने से इस सीमा को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की तरह देखा जा रहा है। गृह मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार पिछले 4 साल में 300 से ज्यादा कश्मीरी आतंकियों ने नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजैंसियों के सामने समर्पण किया, जिन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार के सुपुर्द किया गया।
पंजाब, यू.पी. और महाराष्ट्र में नैटवर्क सक्रिय करने की फिराक में आई.एस.
पिछले साल 20 अप्रैल को दिल्ली, यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार और आंध्र प्रदेश की पुलिस ने संयुक्त अभियान में 10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की पूछताछ में इनसे 6 राज्यों में आतंकी खतरे का खुलासा हुआ। इसी तरह 7 मार्च को लखनऊ में मारे गए एक आतंकी से कुछ दस्तावेज बरामद हुए थे, जिससे ए.टी.एस. को जानकारी मिली थी कि आई.एस. यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार में अपना नैटवर्क सक्रिय करने की फिराक में है।
जिन प्रदेशों में आई.एस. के सक्रिय होने की सूचना थी, उसमें बिहार व यू.पी. का बड़ा भूभाग नेपाल सीमा से सटा हुआ है, जहां आई.एस.आई. की सक्रियता की खबरें भी आती रहती हैं। नेपाल को लेकर भारत की ताजा चिंता 5 फरवरी को काठमांडू में पाक दूतावास में मनाया गया कश्मीर डे को लेकर है। यह पहली बार हुआ जब काठमांडू में ऐसे कार्यक्रम नेपाल सरकार के संरक्षण में आयोजित हुए हों। यह आयोजन भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेपाल सद्भावन यात्रा से लौटने के कुछ ही दिन बाद हुआ है।