Edited By Updated: 19 Feb, 2017 01:37 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों के 11 मार्च को नतीजे आने हैं। चुनाव परिणाम आने से पहले ही पंजाब में गठित ....
जालंधर: पंजाब विधानसभा चुनावों के 11 मार्च को नतीजे आने हैं। चुनाव परिणाम आने से पहले ही पंजाब में गठित होने वाली नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती एस.वाई.एल. का मुद्दा है। हरियाणा में इनैलो नेता अभय चौटाला द्वारा 23 फरवरी को पंजाब में घुसकर एस.वाई.एल. खोदने की बयानबाजी के बाद इस मामले के तूल पकडऩे से यहां कानून व्यवस्था की हालत खराब हो सकती है। जैसे कि अनुमान लगाए जा रहा है कि अकाली-भाजपा गठजोड़ को इस बार सत्ता से बाहर होना पड़ सकता है।
ऐसी हालत में अगर यहां पर कांग्रेस या ‘आप’ की सरकार बनती है तो केन्द्र से ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। अकाली दल सरकार की परेशानी बढ़ाने के लिए इसको तूल दे सकता है। अगर ‘आप’ की सरकार आती है तो यहां पर हालत विस्फोटक हो सकते हैं। दोनों राज्यों में टकराव बढ़ेगा, और पानी के मुद्दे पर आग और भड़केगी। दूसरी तरफ सियासी माहिरों का मानना है कि पंजाब में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की बने उसकी कुर्सी की एक टांग एस.वाई.एल. में होगी।
पंजाब के लिए क्या है इसके मायने
पंजाब में अभी आतंकवाद का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। चुनाव के समय भी मौड़ में विस्फोट हुआ था । विदेशों में सक्रिय आतंकवादी इसका लाभ उठा सकते हैं। अगर कानून व्यवस्था की हालत बिगड़ती है तो इसका सीधा असर राज्य की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा । राज्य में निवेश करने के लिए कोई तैयार नहीं होगा। इनैलो के इस कदम को अकाली दल की अगली रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सियासी माहिरों का कहना है कि कहीं अकाली दल अपने पैर फिर से जामने के लिए इसको तूल तो नहीं दे रहा । क्योंकि अकाली दल और इनैलो के रिश्ते जगजाहिर हैं। इनैलो भी हरियाणा में अपना खोया आधार वापस पाने के कोशिश कर रहा है । इसलिए इनैलो को भी यह मुद्दा सूट करता है। अकाली दल को भी यह मुद्दा सूट करता है। हालांकि इनैलो ने पंजाब में प्रवेश करने का ऐलान काफी पहले कर दिया था लेकिन तब भी यह चर्चा थी कि कहीं इनैलो ने यह फैसला अकाली दल के कहने पर तो नहीं लिया। चर्चा यह भी है कि अकाली दल ने अपना इनैलो कार्ड खेल दिया है।
टकराव रोकने की तैयारी
पंजाब व हरियाणा दोनों ही टकराव के पक्ष में नहीं। दोनों तरफ प्रदर्शनकारियों को अपनी सीमा के अंदर ही रोकने की रणनीति पर काम हो रहा है। जहां पंजाब नई सरकार की पतीक्षा में है, वहीं हरियाणा पहले ही जाट आंदोलन में उलझा हुआ है। दोनों प्रदेशों की सीमा के साथ लगते जिलों के पुलिस अधिकारियों की एक बैठक भी हुई है, जिसमें पंजाब की ओर से राजपुरा, पटियाला तथा हरियाणा की ओर से अम्बाला क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हुए। टकराव रोकने की रणनीति के अलावा यातायात में बाधा की सूरत में ट्रैफिक को सही रूप से चालू रखने के वैकल्पिक रूटों की भी निशानदेही की गई है।
पंजाब किसी भी हालत में इनैलो के प्रदर्शनकारियों को प्रदेश में घुसने की अनुमति नहीं देगा। पंजाब सरकार ने केंद्र से सुरक्षाबलों की 20 कंपनियां मांगी हैं । इनैलो द्वारा पंजाब क्षेत्र में घुसने के बाद पंजाब में ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट फैडरेशन तथा अकाली दल अमृतसर व कुछ अन्य चरमपंथी सिख संगठनों द्वारा इनैलो को पंजाब में घुसने से रोकने के लिए एक्शन की घोषणा की जा चुकी है।
इनैलो और अकाली दल की मजबूरी
हरियाणा में इनैलो का आधार खो चुका है और पंजाब में अकाली दल का आधार चुनाव नतीजों पर निर्भर है। अकाली दल चुनाव हारता है तो इसका सीधा असर उसके आधार पर पड़ेगा। अपना आधार कायम रखने के लिए अकाली दल के लिए एस.वाई.एल. उसकी एक मजबूरी के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे पहले हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने सरकार और पंजाब को चेतावनी दी थी कि यदि 22 फरवरी तक हरियाणा के हिस्से का पानी नहीं मिला तो वे खुद कार्यकत्र्ताओं को लेकर 23 फरवरी को नहर की खुदाई शुरू कर देंगे।
सियासी माहिर अभय चौटाला की इस चेतावनी को राजनीतिक स्टंट करार दे रहे थे। इसका कारण पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सरकार होना माना जा रहा था जो कि राजनीतिक रूप से इनैलो की सांझेदार भी है। इनैलो और शिअद का गठबंधन है। हरियाणा में शिरोमणि अकाली दल इनैलो की सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करता रहा है। अभी हाल ही में हरियाणा के कालांवाली विधानसभा से शिअद का विधायक है।
इनैलो की चेतावनी को स्टंट मानने का एक कारण यह भी है कि इनैलो ने नहर खुदाई की तारीख पंजाब चुनाव के बाद रखी है। हालांकि अभय चौटाला का कहना था कि कोई भी फैसला एकदम नहीं लिया जा सकता। 23 फरवरी से पहले हरियाणा के गांवों में जाकर जनसमर्थन हासिल करेंगे। केंद्र को भी समय दिया गया है। वैसे भी नहर निर्माण की जिम्मेदारी केंद्र की है। अभय चौटाला ने पंजाब केसरी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि इनैलो के शिअद से राजनीतिक रिश्तों का अंत हो चुका है परंतु पारिवारिक रिश्ते ज्यों के त्यों हैं।
कपूरी और इस्माइलपुर गांव के लोग बोले-बंद हो राजनीतिक रोटियां सेंकना
‘पंजाब केसरी’ की तरफ से पंजाब के गांव कपूरी और हरियाणा के इस्माइलपुर गांवं का दौरा कर लोगों के साथ एस.वाई.एल. मुद्दे पर बातचीत की गई। दोनों ही गांवों के लोगों ने स्पष्ट कहा कि यह सिर्फ राजनीति हो रही है। राजनीतिक पाॢटयां इस मसले के हल के प्रति गंभीर नहीं हैं। गांव कपूरी के रहने वाले नसीब सिंह का कहना है कि मौजूदा समय यहां भूजल का स्तर 500 फुट तक पहुंच गया है, यदि एस.वाई.एल. चलती है तो इसका फायदा गांव के लोगों को होगा परंतु इस बारे फैसला पंजाब सरकार को करना है। गांव निवासी गुरदीप सिंह ने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इनैलो की तरफ से ऐलान किया गया है, गांव निवासी गुरनाम सिंह ने कहा कि यह सारा कुछ इन इलाकों में तनाव पैदा करेगा।
इस मसले का हल करना चाहिए न कि बिना वजह मसला भड़काना चाहिए। गांव निवासी बलदेव राज ने कहा कि इनैलो सिर्फ राजनीति कर रही है जबकि यह मसला सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार ने हल करना है। इनैलो बेवजह टकराव पैदा करके इन इलाकों का माहौल खराब करना चाहती है। मसले का हल कानूनी तरीकों के साथ होना चाहिए। गांव निवासी चंद सिंह का कहना है कि जब इनैलो की सरकार थी तो वे चुप रहे और अब वे अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसी ड्रामेबाजी कर रहे हैं। कपूरी को बिना वजह दंगों की आग में लपेटना चाहते हैं।
कपूरी से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर जब पंजाब केसरी की टीम ने हरियाणा के गांव इस्माइलपुर के लोगों के साथ बातचीत की तो उनके विचार भी पंजाब के गांव कपूरी के लोगों के साथ मिलते जुलते थे। इस्माइलपुर निवासी जगदेव सिंह का कहना है कि इनैलो का स्टैंड सही है। गांव निवासी अमरचंद का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक नंबर बनाने के लिए नाटक रचा जा रहा है। वह पिछले 40 सालों से देख रहे हैं। समूची राजनीतिक पाॢटयां यही ड्रामा कर रही हैं। जब 10 साल तक बादल का राज रहा तो इनैलो वाले चाचे भतीजों वाली भूमिका निभाते रहे हैं। रजिंद्र कुमार का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक स्टंट है।
सुप्रीम कोर्ट के 22 फरवरी के फैसले पर भी लगी नजरें
मुख्यमंत्री 22 फरवरी को इस संबंध में सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिए जाने वाले निर्देश की प्रतीक्षा में है। बेशक पिछली तारीख के समय पंजाब की ओर से पेश हुए वकील राम जेठ मलानी द्वारा 11 मार्च तक मामले को स्थगित कर देने के आवेदन को कोर्ट ने अस्वीकार करते हुए 20 तारीख तक राज्य की ओर से जवाब मांगा है। इससे यह भी स्पष्ट है कि बादल किसी न किसी तरह मामले को नई सरकार के आने तक टालने के पक्ष में है। उनको उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी को भी ज्यों की त्यों स्थिति बनाए रखने के लिए कह सकती है।
पंजाब के कई और संगठन इनैलो के विरोध में आए
इनैलो द्वारा 23 फरवरी को एस.वाई.एल. नहर को पंजाब क्षेत्र में प्रवेश करके खोदने के विरोध में ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट फैडरेशन (पीर मोहम्मद) के बाद अब राज्य के कई और संगठन इनैलो के विरोध में आ रहे हैं। आज इन संगठनों की हुई एक संयुक्त बैठक में फैडरेशन द्वारा 23 फरवरी को नहर पूरी तरह बंद करने के लिए गांव देवीगढ़ से कपूरी तक होने वाले मार्च में शामिल होने का फैसला किया गया है। इन संगठनों में पंजाब सिख काऊंसिल, शिरोमणि संत खालसा इंटरनैशनल फाऊंडेशन, सहजधारी सिख फैडरेशन, भारत मुक्ति मोर्चा तथा भाकियू (डकौंदा) के नाम उल्लेखनीय हैं।
मुख्यमंत्री अमेरिका में रहकर रख रहें हैं मामले पर नजर
इनैलो की घोषणा के बाद इस मुद्दे को लेकर फिर माहौल गरमा रहा है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल इस समय अमेरिका में है। मुख्यमंत्री ने न्यूयॉर्क में इलाज के बाद 17 फरवरी को वापस लौटना था, परंतु अब उनकी वापसी का कार्यक्रम तबदील हुआ है। अब उनके 21 या 22 फरवरी को वापस लौटने की उम्मीद है। बेशक बादल विदेश में पूरी तरह आराम की मुद्रा में और वह फोन पर अपने किसी नजदीकि से भी पंजाब में बात नहीं कर रहे। परंतु मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार एस.वाई.एल. मामले पर मुख्यमंत्री लगातार वहीं बैठ कर पूरी तरह नजर बनाए हुए है और उनका राज्य के मुख्य सचिव व डी.जी.पी. से संपर्क बना हुआ है। इन अधिकारियों को मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद ही एस.वाई.एल. के मुद्दे पर पैदा होने वाली स्थिति पर नियंत्रण के लिए पिछले दिन एक उच्च स्तरीय बैठक में विचार-विमर्श किया गया।
हरियाणा व केन्द्र सरकार इनैलो को पंजाब सीमा का उल्लंघन करने से रोकें: अमरेंद्र
पंजाब कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केन्द्र व हरियाणा सरकार से कहा है कि वे इनैलो को पंजाब सीमा का उल्लंघन करने से रोके। अभय चौटाला के भड़काऊ भाषण पर टिप्पणी करते हुए कैप्टन ने कहा कि हरियाणा सरकार से इस अन्तर्राज्यीय संकट को पैदा होने से रोकने के लिए इनैलो के खिलाफ कार्रवाई करे। एसी कार्रवाई से दोनों प्रदेशों में टकराव पैदा हो सकता है।
इनैलो जानबूझ कर माहौल बिगाडऩे के प्रयास में: ढींडसा
अकाली दल के महासचिव व राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा का कहना है कि इनैलो जानबूझ कर राजनीतिक स्वार्थों के लिए माहौल बिगाडऩे के प्रयास में है। पंजाब विधान सभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद यह विवाद किसानों को जमीन वापिस देने के फैसले के बाद समाप्त हो चुका है। अगर इनैलो ने लड़ाई लडऩी है तो कानून के माध्यम से इनैलो अपनी बात रख सकता है ।
इनैलो के कंधे का इस्तेमाल कर माहौल खराब करना चाहते हैं अकाली: वडै़च
‘आप’ पंजाब कन्वीनर गुरप्रीत सिंह वड़ैच ने कहा कि इनैलो और अकाली दल एक ही परिवार है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इसे मुद्दे पर हर कुर्बानी देने की बात कही थी और अब उनके कुर्बानी देने का समय आ गया है। अकालियों को पंजाब में ‘आप’ की सरकार बनती