Edited By Updated: 10 Nov, 2016 01:19 PM
हरियाणा और पंजाब के बीच बरसों से सियासी विवाद का कारण रही एस.वाई.एल. नहर का मामला फिर गर्माने वाला है और दोनों राज्य एक बार फिर टकराने को तैयार हैं।
चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब के बीच बरसों से सियासी विवाद का कारण रही एस.वाई.एल. नहर का मामला फिर गर्माने वाला है और दोनों राज्य एक बार फिर टकराने को तैयार हैं। हरियाणा को पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ एस.वाई.एल. पर उसके हक में फैसला सुनाएगी। प्रदेश सरकार की ओर से दो दिन पहले गोपनीय बैठक कर एस.वाई.एल. नहर पर फैसला आने के बाद की विपरीत स्थितियों से निपटने की भी तैयारी की जा चुकी है।
हरियाणा आैर पंजाब के बीच सतुलज यमुना संपर्क नहर का विवाद बहुत पुराना है। दोनों राज्यों के बीच इस मुद्दे पर अक्सर तलवारें खिंचती रही हैं। दोनों राज्याें के बीच हालात इस हद तक पहुंच गए कि उनकी विधानसभाआें में एक-दूसरे के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। पंजाब ने तो नहर के लिए अधिग्रहीत की गई किसानों की जमीनें भी वापस करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसके बाद लोगों ने नहर को भरने तक शुरू कर दिया।
हरियाणा बना चुका अपने हिस्से की 91 किमी नहर
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना, किंतु उत्तराधिकारी राज्यों (पंजाब व हरियाणा) के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ। विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी कर हरियाणा को 3.5 एम.ए.एफ. पानी आवंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी एस.वाई.एल. नहर बनाने का निर्णय हुआ था। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण वर्षों पूर्व पूरा कर दिया था, लेकिन पंजाब ने अब तक विवाद चला आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ बृहस्पतिवार को एस.वाई.एल. पर आज अपना फैसला सुना सकती है। न्यायमूर्ति अनिल कुमार दवे की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी होने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल हैं। यह मामला 2004 के राष्ट्रपति संदर्भ से जुड़ा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय से ठीक पहले बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दिल्ली में मुलाकात की। माना जा रहा कि मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को 6 दिसंबर को कुरुक्षेत्र में होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का औपचारिक निमंत्रण दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि एस.वाई.एल. नहर पर राष्ट्रपति संदर्भ से जुड़े मामले में भी चर्चा हुई है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का नजरिया हरियाणा के हक में नजर आया है। केंद्र ने कहा है कि एक तरफ पंजाब सरकार कह रही कि मामले को ट्रिब्यूनल भेजा जाए तो दूसरी तरफ कानून बनाकर करार को खत्म कर रही है। केंद्र ने कहा कि अगर पंजाब जल करार को कानून बनाकर खत्म करना चाहता है तो इसका मतलब है कि पानी देना ही नहीं चाहते और नहर बने ही न। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए दो फैसलों का क्या होगा।
पंजाब का कहना है कि केंद्र ने 1985 का राजीव-लोंगोवाल समझौता अांशिक तौर पर ही लागू किया। पंजाब की पैरवी कर रहे एडवोकेट अार.एस. सूरी की राय है कि केंद्र को अभी तक चंडीगढ़ पंजाब को नहीं सौंपा अौर न ही अाल इंडिया गुरुद्वारा एक्ट बनाया गया, जैसा कि करार में कहा गया है। पंजाब को जबरन रावी अौर ब्यास नदियों से 3.5 मिलियन एकड़ फुट पानी हरियाणा को देने के लिए बाध्य किया जा रहा है।