Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 09:28 AM
जर्मन में अगर फेसबुक और ट्विटर पर अगर कोई भी साम्प्रदायिक और नफरत फैलाने वाले कंटैंट के कारण विवाद पैदा हुआ तो सोशल नैटवर्किंग कम्पनियों को अरबों रुपयों में इसका हर्जाना चुकाना पड़ेगा।
जालंधर : जर्मन में अगर फेसबुक और ट्विटर पर अगर कोई भी साम्प्रदायिक और नफरत फैलाने वाले कंटैंट के कारण विवाद पैदा हुआ तो सोशल नैटवर्किंग कम्पनियों को अरबों रुपयों में इसका हर्जाना चुकाना पड़ेगा।
जर्मन द्वारा लागू नए कानून के मुताबिक यह रकम 5 करोड़ 80 लाख डालर यानी 370 करोड़ रुपए तक हो सकती है। हालांकि साम्प्रदायिक कंटैंट को हटाने के लिए सोशल मीडिया साइट्स को 24 घंटे तक का समय दिया जाएगा। पेचीदा मामलों में पोस्ट को हटाने के लिए एक सप्ताह तक का समय होगा। इस कानून के लागू होते ही विवाद भी छिड़ गया है। हालांकि स्वतंत्र भाषण को लेकर इसकी आलोचना भी हुई लेकिन फिर भी यह कानून लागू कर दिया गया।
क्या है द नैटवर्क एनफोर्समैंट एक्ट
इस एक्ट को सोशल नैटवर्क पर अधिकारों के प्रवर्तन व उनमें सुधार के लिए शुरू किया गया है। यह एक्ट उन सोशल मीडिया नैटवर्क पर लागू किया गया है जिनमें यूजर्स की संख्या दो मिलियन या इससे अधिक है। माना जा रहा है कि ये साइट्स लाभ कमाने के लिए विवादित भाषणों वाले कन्टैंट को रिमूव नहीं करतीं जिस वजह से इस एक्ट को लागू किया गया है। 2018 के शुरू में ही फेसबुक और ट्विटर पर शिकंजा कसता जा रहा है। इन कम्पनियों के लिए ऐसे भारी जुर्माने से बचने का यह एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है।
इस कारण लागू किया गया यह कानून
पिछले साल जर्मनी में सोशल साइट्स पर लोगों द्वारा फैलाए गए साम्प्रदायिक और विवादित भाषण आलोचनाओं और चिन्ताओं का विषय बने रहे। जिसके बाद जर्मन पुलिस ने इन भाषणों को लेकर 36 घरों पर छापेमारी की। इस कानून को पहले जून में पारित किया गया था लेकिन इसे कुछ समस्याओं के चलते 31 दिसम्बर के बाद लागू करने की बात कही गई थी।