GST को लेकर सिद्धू का केंद्र पर हमला,बोले-वट्ट कड दियांगे, सैंटर दे फट्टे चक दियांगे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Nov, 2017 05:29 PM

siddhu attack on center government on gst issue

आम तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अपने राजनीतिक गुरु अरुण जेतली के संबंध में मौन रहने वाले पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जी.एस.टी. के मामले में मोदी और जेतली दोनों पर तीखा हमला बोला है। ‘पंजाब केसरी’ टी.वी. के संवाददाता...

अमृतसर : आम तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अपने राजनीतिक गुरु अरुण जेतली के संबंध में मौन रहने वाले पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जी.एस.टी. के मामले में मोदी और जेतली दोनों पर तीखा हमला बोला है। ‘पंजाब केसरी’ टी.वी. के संवाददाता सुमित खन्ना के साथ अमृतसर में विशेष बातचीत दौरान सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार इस काले कानून द्वारा राज्यों को भिखारी बनाना चाहती है परन्तु इसे सहन नहीं किया जाएगा। पेश हैं नवजोत सिंह सिद्धू का पूरा इंटरव्यू :

सवाल : आप जी.एस.टी. का समर्थन करते थे, फिर आज प्रदर्शन क्यों? 
जवाब  :
गब्बर सिंह टैक्स का आतंक दसों दिशाओं में फैल गया है। मुझे पहले लगता था कि यह देश की भलाई के लिए है परन्तु 6 माह में मैंने इसे आजमाया और इसका पूरा ढांचा देखा। मुझे अब यकीन हो गया है कि यह टैक्स गलत तरीके के साथ लागू किया गया है।

यह सरकार की नालायकी का ही सबूत है कि आज इस प्रदर्शन में हजारों लोग इकट्ठा हुए हैं। केंद्र सरकार इस टैक्स द्वारा संगठनात्मक ढांचे को चोट पहुंचा रही है। राज्यों की आर्थिक आजादी को खत्म कर उनके हाथों में भिखारियों वाला कटोरा पकड़ा दिया गया है।सरकार ने टैक्स इकट्ठा करने की सारी ताकत अपने पास रख ली है।पंजाब का 3600 करोड़ रुपए का टैक्स केंद्र के पास पड़ा है और देश के सभी राज्यों के लगभग 1 लाख करोड़ रुपए के टैक्स पर सरकार कुंडली मारे बैठी हुई है।

इतना ही नहीं, सरकार इसके ब्याज से मिलने वाली रकम भी डकार रही है जबकि हमारे जैसी राज्य सरकारों के पास कर्ज उठाने तक के लिए पैसे नहीं हैं और हम ब्याज देकर कर्ज उतार रहे हैं। इस कानून में बदलाव कर टैक्स इकट्ठा करने का अधिकार राज्यों को दिया जाए और राज्य ही केंद्र को टैक्स में उसका बनता भाग वापस भेजें।

सवाल : क्या आपको लगता है कि सरकार की नीति में कोई कमी रह गई है?
जवाब :
अगर कमी न होती तो सरकार 28 प्रतिशत टैक्स से 18 प्रतिशत टैक्स पर क्यों आती। असली बात यह है कि सरकार खुद उलझन में फंसी हुई है और उसे समझ नहीं आ रहा कि करना क्या है? कांग्रेस ने इस टैक्स के लिए पूरा ढांचा तैयार कर 12 प्रतिशत टैक्स लगाने की मांग की थी।

सवाल : जी.एस.टी. में दोषों के लिए जिम्मेदार कौन है?
जवाब :
जो सरकार चलाता है यानी सरकार का मुखिया और जिसके पास वित्त विभाग है यानी कि वित्त मंत्री, यही दोनों जिम्मेदार हैं। यह आॢथक आतंकवाद है जिसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। अब ये लोग इससे हाथ पीछे खींच रहे हैं परन्तु जितना यह दलदल में से निकलने की कोशिश करते हैं, उतनी तेजी से दलदल में फंसते जा रहे हैं।

नोटबंदी और जी.एस.टी. के असली प्रभाव सामने आने के बाद सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। नोटबंदी से आर्थिक विकास बढऩे के दावे किए गए परन्तु इससे जी.डी.पी. 2 प्रतिशत गिर गई जिससे बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। सरकार की नीति और नीयत दोनों में खोट है।

सवाल : पंजाब अपना खर्च चलाने के लिए खुद ही प्रबंध क्यों नहीं कर लेता?
जवाब :
पंजाब में जिस समय वैट लगा था, उस दौरान सरकार के खजाने में 1620 करोड़ रुपए आते थे परन्तु जी.एस.टी. लगने से वैट बंद हो गया। राज्य के पास कमाई का कोई अन्य साधन नहीं है। हमारा पैसा जी.एस.टी. के रूप में केंद्र के पास जा रहा है। केंद्र को वह पैसा तो हमें देना चाहिए। केंद्र सरकार वित्तीय अधिकार अपने पास रख कर राज्यों को गुलाम बनाना चाहती है।

सवाल : इस टैक्स में सरकार से गलती कहां हुई है?
जवाब :
सरकार ने हर कदम पर गलती की है। पैट्रोल को जी.एस.टी. के दायरे में शामिल क्यों नहीं किया गया। यदि देश में एक टैक्स लगाना था तो इंकम टैक्स क्यों वसूला जा रहा है। जो लोग पहले 6 प्रतिशत टैक्स दे रहे थे, उनसे 28 प्रतिशत टैक्स क्यों लिया जा रहा है। सरकार ने निचले स्तर पर तैयारी और ढांचा बनाए बिना यह टैक्स लागू किया जिससे व्यापारियों में त्राहि-त्राहि मची हुई है।

व्यापारी 3-3 रिटर्न कैसे भरें। सरकार भंवरा बन कर टैक्स लेती ताकि फूल को भी नुक्सान न होता और भंवरे का  उद्देश्य भी पूरा हो जाता परन्तु यह सरकार जोंक बन कर लोगों का खून चूस रही है। शॉपिंग मॉल्स में ग्राहक नहीं हैं और ग्राहकों को भी इससे कोई फायदा नहीं रहा क्योंकि चीजों के रेट पहले की तरह ही बने हुए हैं। मटर चार गुना महंगा हो गया परन्तु किसी को परवाह नहीं।

इंटरव्यू दौरान शायराना अंदाज में सिद्धू के हमले  
वतन की फिक्र कर नादां! मुसीबत आने वाली है 
तेरी बर्बादियों के मशविरे हैं आसमानों में 
न समझोगे तो मिट जाओगे सैंटर वालो 
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में 
उसूलों पे जहां आंच आए टकराना जरूरी है
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।
वट्ट कड दियांगे, सैंटर दे फट्टे चक दियांगे, साडा हक ऐत्थे रख
फंस गई जान शिकंजे अंदर, जिवें वेलने विच गन्ना
रौनकां होण दे मुहम्मदा जे बचे तां मन्नां
साडे विकास दे झंडे चो कड्डेया डंडा
ते मुर्गी तो महंगा अंडा।

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