भारत-पाक के तल्ख होते रिश्ते से मुरझा रहे पंजाबी कारोबारियों के चेहरे

Edited By Updated: 18 Apr, 2017 08:35 AM

punjabi businessmen who are languishing from the relationship between indo pak

ज्यों-ज्यों भारत-पाक के रिश्तों में तल्खी बढ़ रही है, त्यों-त्यों पंजाब में कारोबारियों के चेहरे भी मुरझाते जा रहे हैं।

चंडीगढ़  (अश्वनी कुमार): ज्यों-ज्यों भारत-पाक के रिश्तों में तल्खी बढ़ रही है, त्यों-त्यों पंजाब में कारोबारियों के चेहरे भी मुरझाते जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के पाक के प्रति तल्ख तेवर कारोबारियों की उन उम्मीदों को भी धराशाही कर रहे हैं, जो जनवरी, 2017 के बाद संजोई थीं। दरअसल, जनवरी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से बुलाई गई कौंसिल फॉर ट्रेड डिवैल्पैंट एंड प्रोमोशन की बैठक में पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एंड कॉर्पाेरेशन लिमिटेड ने पंजाब के कारोबारियों की कई मुश्किलों का मसौदा पेश किया था। इसमें सबसे अहम मुद्दा पाकिस्तान के साथ कारोबार का था।
मसौदे में कहा गया था कि भारत सरकार पाक के साथ बातचीत कर तत्काल प्रभाव से नैगेटिव लिस्ट कम करने की पहल करे ताकि पंजाब की भूमि से अधिक से अधिक वस्तुएं निर्यात की जा सकें। मसौदे में यह भी कहा गया था कि भारत-पाक सीमा से लाहौर की दूरी महज 25 किलोमीटर है। ऐसे में अगर वाघा बॉर्डर से निर्यात बढ़ता है तो माल-भाड़े में काफी बचत होगी। इसके साथ कॉमनवैल्थ ऑफ इंडीपैंडैंट स्टेट्स के साथ कारोबार में भी आसानी होगी। मसौदे में कहा गया था कि पंजाब को भारत-पाक के बीच कारोबार संबंधी समझौते की बैठकों में भाग लेने के लिए आमंत्रण भी मिलना चाहिए। इससे पहले केंद्र सरकार के स्तर पर पाकिस्तान से भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई जाती रही है। ऐसे में पंजाब के कारोबारियों ने उम्मीदें संजोई थीं, कि अगर जनवरी की बैठक के मसौदे पर केंद्र सरकार थोड़ा अमल करती है तो कारोबार में सुधार आएगा। खासतौर पर वाघा बॉर्डर के जरिए कारोबार बढऩे से बंदरगाहों के कारण पडऩे वाले भारी खर्च से निजात मिलेगी लेकिन लगातार भारत-पाकिस्तान के बिगड़ते संबंध के बीच ऐसा संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है।

मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा मिलने से ही हो जाता काफी लाभ
पाकिस्तान अगर भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा ही दे देता तो इससे पंजाब के कारोबारियों को काफी लाभ हो सकता था। भारत ने पाकिस्तान को 1996 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे दिया था लेकिन पाकिस्तान पिछले कई सालों से भारत को यह दर्जा देने में टालमटोल करता आ रहा है। 2012 में भारत-पाकिस्तान के बीच आर्थिक मामलों पर हुई बैठक में तो पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा देने का ऐलान कर दिया था लेकिन अब तक यह संभव नहीं हो पाया। इसीलिए भारत में यह भी चर्चा उठती रही है कि भारत भी पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन ले।
मोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब  
विश्व व्यापार संगठन और इंटरनैशनल ट्रेड नियमों के आधार पर व्यापार में सर्वाधिक तरजीह वाले देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया जाता है। यह दर्जा मिल जाने पर दर्जा प्राप्त देश इस बात से आश्वस्त रहता है कि उसे कारोबार में नुक्सान नहीं पहुंचाया जाएगा। इसी कड़ी में जब आपस में दो देश जब एक-दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे देते हैं तो उन्हें आयात-निर्यात में विशेष छूट मिल जाती है। खासतौर पर सीमैंट, चीनी, ऑर्गेनिक कैमिकल, रूई, सब्जियों और कुछ चुङ्क्षनदा फलों के अलावा मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी कमोडिटीज़ और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है।

वाघा बॉर्डर से महज 138 वस्तुओं के आयात को ही दी है पाकिस्तान ने मंजूरी
पाक ने वाघा बॉर्डर से महज 138 वस्तुओं के ही आयात को मंजूरी दी हुई है। और तो और पाक ने 1209 ऐसे उत्पाद चिह्नित किए हैं, जिन्हें भारत से आयात ही नहीं किया जा सकता। रोक लगाई गई वस्तुओं व उत्पादों को पाक ने नैगेटिव लिस्ट में डाला हुआ है। 18 अप्रैल, 2016 को पाक सरकार की तरफ से जारी आदेश में प्रतिबंधित वस्तुओं का ब्यौरा दिया गया है। यह तक कहा गया है कि जिन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, वह भारत की मैन्यूफैक्चर्ड तक नहीं होनी चाहिए। हालांकि चुङ्क्षनदा वस्तुओं को पाकिस्तान कानून के दायरे में आयात की थोड़ी छूट दी गई है। मसलन वल्र्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन के मंजूरशुदा प्लांट में बनी हुई वैक्सीन्स को आयात किया जा सकता है।

2013 से आ रही कारोबार में गिरावट  (मिलियन यूएस डॉलर)
वित्त वर्ष    निर्यात    आयात    कुल कारोबार
2015-16    2171.14    441.03    2612.17
2014-15    1857.18    497.31    2354.49
2013-14    2274.26    426.88    2701.14    

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