कैप्टन का मंत्रीमंडलः लुधियाना-जालंधर से कोई नहीं, दोआबा को 1 मंत्री

Edited By Updated: 17 Mar, 2017 11:03 AM

punjab cabinet  cm amarinder singh keeps home

कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने वीरवार को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की।

लुधियाना (हितेश): कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने वीरवार को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। उनके साथ ही 9 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी आज ही शपथ ग्रहण की। इस शपथ ग्रहण समागम के साथ ही सियासी माहिरों में कैबिनेट जिलावाइज प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने को लेकर चर्चा छिड़ गई है। नए मंत्रिमंडल में लुधियाना और जालंधर को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। जालंधर को लेकर कहा जा रहा है कि वहां जीते लगभग सभी विधायक पहली बार के हैं, जबकि वहां से परगट सिंह पहले विधायक व संसदीय सचिव रह चुके हैं। जो अकाली दल छोड़ कर ‘आप’ में जाने की जगह कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसी तरह दोआबा में से एक ही विधायक को मंत्री बनाया गया है। लुधियाना के साथ भी ऐसा ही हुआ है, जहां 6 बार जीते राकेश पांडे मंत्री व 3 बार जीतने वाले सुरेंद्र डाबर संसदीय सचिव रह चुके हैं। दूसरी बार जीते भारत भूषण आशु द्वारा टीम राहुल व गुरकीरत कोटली द्वारा भी बेअंत सिंह परिवार से संबंधित होने के कारण मंत्री पद के लिए दावेदारी जताई जा रही थी।
कैप्टन सरकार के गठन में सबसे ज्यादा चर्चा नवजोत सिद्धू को लेकर हुई कि उनको डिप्टी सी.एम. बनाया जाएगा या नहीं। सिद्धू को कामयाबी नहीं मिली। हालांकि यह कहा जा रहा था राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने सिद्धू को डिप्टी सी.एम. बनाने का वायदा किया था जबकि कैप्टन ने पहले कहा कि डिप्टी सी.एम. का फैसला हाईकमान करेंगे और बाद में साफ कर दिया कि डिप्टी सी.एम. बनाने की जरूरत ही नहीं है।               

सबसे ज्यादा मंत्री पटियाला के 
पंजाब में कांग्रेस की तरफ से दूसरी बार सी.एम. बने कैप्टन अमरेंद्र सिंह का संबंध जिला पटियाला से है जिन्होंने अपनी कैबिनेट में एक तो पूरे मंत्री न बनाकर दावेदारों की परेशानी बढ़ा दी है, वहीं मंत्रिमंडल के पहले चरण में सबसे ज्यादा मंत्री पटियाला से ले लिए हैं। इनमें ब्रह्म मङ्क्षहद्रा पटियाला देहाती व साधु सिंह धर्मसोत नाभा से जीते हैं, यहां तक कि नवजोत सिंह सिद्धू का संबंध भी पटियाला से ही है।

जाटों और दलितों के मुकाबले १ हिन्दू मंत्री 
कांग्रेस को लेकर यह कहा जाता है कि शहरी खासकर ङ्क्षहदू कांग्रेस का प्रमुख वोट बैंक है जिसने इन चुनाव में कांग्रेस का पूरा साथ भी दिया। इसका सबूत शहरों की काफी सीटों पर कांग्रेस को जीत मिलना है जहां भाजपा औंधे मुंह गिरी है और आम आदमी पार्टी का भी खास प्रदर्शन नहीं रहा। इस समय कांग्रेस के करीब 18 ङ्क्षहदू विधायक हैं जिनमें से सिर्फ एक को ही मंत्री बनाया गया है जबकि 4 जाट व 3 मंत्री दलित वर्ग से बनाए गए हैं जिसे लेकर चर्चा हो रही है कि शहरों खासकर ङ्क्षहदू वोट बैंक को नाखुश करके कांग्रेस के आगामी नगर निगम चुनाव जीतने बारे देखा जा रहा सपना कैसे पूरा होगा। 

राहुल टीम को नहीं मिली कैबिनेट में जगह 
 भारी बहुमत मिलने के बाद कैप्टन राहुल की सहमति लेने में कामयाब हो गए हैं जिसका असर कैबिनेट में टीम राहुल को जगह न मिलने के रूप में सामने आया है। भले ही नवजोत सिद्धू, मनप्रीत बादल व चरणजीत चन्नी राहुल गांधी के कोटे में देखे जा रहे हैं लेकिन चरणजीत चन्नी को पहले नेता विपक्ष के अलावा दलित चेहरे के रूप में लिया गया है जबकि राहुल टीम के तौर पर जाने जाते विजयइंद्र सिंगला, राजा वङ्क्षडग, कुलजीत नागरा, भारत भूषण आशु, नवतेज चीमा का कहीं नाम नहीं आया ।

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