Edited By Updated: 28 Oct, 2016 09:39 AM
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश द्वारा पंजाब की राजनीति को लेकर किए गए ट्वीट ने कांग्रेस के गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। रवीश ने ट्वीट में लिखा है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान कै. अमरेन्द्र
जालंधर (चोपड़ा): एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश द्वारा पंजाब की राजनीति को लेकर किए गए ट्वीट ने कांग्रेस के गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। रवीश ने ट्वीट में लिखा है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान कै. अमरेन्द्र सिंह की मनमानियों से सोनिया गांधी व राहुल गांधी बहुत नाराज हैं, जिसका मुख्य कारण स्टार कंपेनर नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस में ज्वाइनिंग को लेकर मचा घमासान है।
हार्इकमान बाजवा के हाथ में सौंप सकते है कमान
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस हाईकमान पिछले कुछ दिनों से नवजोत सिद्धू को कांग्रेस ज्वाइन करवाने की कवायद में जुटी हुई है परंतु कै. अमरेन्द्र अपने चिर-परिचित अंदाज में सिद्धू को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध करते आ रहे हैं। रवीश ने ट्वीट में जिक्र किया है कि पंजाब में बड़े राजनीतिक फेरबदल की भी संभावना है। कै. अमरेन्द्र की कार्यशैली से परेशान हाईकमान कै. अमरेन्द्र की बजाय प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान व राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के हाथों में कांग्रेस की कमान सौंप सकती है। अगर ऐसा होता है तो कै. अमरेन्द्र सिंह के कई चहेतों की सीटें बदल सकती हैं।
कैप्टन का ओवर कांफीडैंस बना मुसीबत
वैसे भी इन दिनों अपनी पुरानी ‘कोठरी’ में घिरे कै. अमरेन्द्र सिंह की कार्यशैली कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं की आंखों में किरकिरी बनी हुई है। विगत 2 विधानसभा चुनावों में कै. अमरेन्द्र के नेतृत्व में कांग्रेस की हार के बावजूद उन्होंने अपने समर्थित विधायकों के समर्थन से कांग्रेस नेतृत्व पर ऐसा दबाव बनाया कि हाईकमान को बाजवा को बदल कर कै. अमरेन्द्र को प्रधान बनाने पर मजबूर होना पड़ा, परंतु प्रधान बनने के उपरांत कै. अमरेन्द्र सिंह ने एक बार फिर से ओवर कांफीडैंस में आते हुए फाइव स्टार कल्चर अपना लिया। आज प्रदेश कांग्रेस के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि आम कार्यकत्र्ताओं को तो क्या मौजूदा विधायकों को भी कै. अमरेन्द्र सिंह से मुलाकात करने को तरसना पड़ता है।
कैप्टन ने पुरानी गलतियों से नहीं ली सीख
इसके अलावा प्रशांत भूषण व कै. अमरेन्द्र के मध्य शुरू हुए शीत युद्ध ने भी आग में घी डालने का काम किया है। टीम प्रशांत ने कई कार्यक्रम शुरू किए, जिससे कांग्रेस धरातल तक जाकर लोगों से अपना संपर्क बना सकती थी परंतु प्रदेश नेतृत्व की कमजोरी के चलते उक्त प्रोग्राम अपनी कुछ खास छाप नहीं छोड़ पाए हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 15 के करीब सीटों को मात्र 2 हजार वोटों के अंतर से हार गई थी, जिस कारण कांग्रेस के हाथों में आई हुई सत्ता रेत की भांति फिसल गई। कै. अमरेन्द्र ने पुरानी गलतियों से सीख न लेते हुए जगमीत बराड़ का विरोध किया। कांग्रेस को एकजुट करने की बजाय बाजवा व उनके समर्थकों को नीचा दिखाने व उनकी लैग पुलिंग किसी से छिपी नहीं है। हंसराज हंस व राणा गुरजीत जैसे अपने समर्थकों को कांग्रेस में भीतरघात करके कमजोर करने में लगा दिया है उससे 2017 के चुनावों की डगर कुछ आसान नजर नहीं आ रही है।
रवीश के ट्वीट ने मचाया प्रदेश कांग्रेस में हड़कंप
विगत दिनों दोआबा के दलित नेता सेठ सतपाल मल्ल व पटियाला के पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कबीर दास ने कै. अमरेन्द्र की कार्यशैली के विरोध में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। चूंकि इस बार चुनाव मैदान में कांग्रेस का अकाली-भाजपा के साथ-साथ आप से भी कड़ा मुकाबला है परंतु कै. अमरेन्द्र अपने खेमे को संभाल पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस बारे में सभी रिपोर्टें कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच चुकी हैं और कांग्रेस में किसी भी समय दीवाली धमाका होने की संभावनाओं से इंकार भी नहीं किया जा सकता है। हालांकि रवीश के ट्वीट की वास्तविकता को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है परंतु इस ट्वीट ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल जरूर ला दिया है। अब पंजाब कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।