Edited By Updated: 06 May, 2017 08:40 AM
भारत में कैथ लैब (दिल के रोगों की जांच करने वाली लैब) और कोरनरी इंटरवैंशन्स (दिल की नाड़ी में स्टेंट डालना) का व्यापार आगामी 5 वर्षों में दोगुना होने के आसार हैं जोकि इस तरफ इशारा करता है
जालंधर (पुनीत): भारत में कैथ लैब (दिल के रोगों की जांच करने वाली लैब) और कोरनरी इंटरवैंशन्स (दिल की नाड़ी में स्टेंट डालना) का व्यापार आगामी 5 वर्षों में दोगुना होने के आसार हैं जोकि इस तरफ इशारा करता है कि दिल के रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और लोगों को कैथ लैब की बेहद आवश्यकता पड़ रही है। अगले 5 सालों में कैथ लैब की संख्या में दोगुनी बढ़ौतरी होगी। 2010 में 251 कैथ लैब थीं जोकि 2015 में बढ़कर 630 तक पहुंच गईं। वहीं कोरनरी इंटरवैंशन्स 2014 से 2015 के बीच 51 प्रतिशत बढ़ गईं। एक अध्ययन में सामने आए डाटा के अनुसार 2015 में 3,75,000 कोरनरी इंटरवैशन्स के लिए 4,75,000 स्टेंट उपयोग किए गए थे जबकि 2010 में 1,17,420 स्टेंट का इस्तेमाल किया गया था।
हृदय रोग अब भारत में किसी तरह के रोगों से होने वाली मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। 2015 में रोगों से हुई मृत्यु में एक-चौथाई मौतों का कारण हृदय रोग है। ग्लोबल बोर्ड ऑफ डिजीज (जी.बी.डी.) 2015 के अध्ययन के मुताबिक देश में हृदय रोग के कारण मौत की दर 1,00,000 आबादी में 272 थी। आंकड़े बताते हैं कि भारत में हृदय संबंधी बीमारियां अत्यधिक बढ़ती जा रही हैं।
3 करोड़ लोगों की होती है हर साल मौत
भारत में दिल के रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, मौजूदा समय में 3 करोड़ लोगों की उक्त बीमारी से मौत हो जाती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने स्वास्थ्य को भूल गए हैं। गलत रहन-सहन व खानपान की वजह से बड़ी संख्या में लोग दिल की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। डाक्टर्स की मानें तो इतनी बड़ी संख्या में बीमारी होने के बावजूद केवल 2 फीसदी लोग ही अपना इलाज करवा पा रहे हैं, जिसकी मुख्य वजह भारत में दिल की बीमारियों का इलाज बहुत महंगा होना है लेकिन जरा-सी सावधानी बरतकर 90 फीसदी लोग इससे बच सकते हैं। इसके लिए थोड़ी-सी कसरत और हैल्दी खानपान ही काफी है। अगर वक्त रहते स्टेंट्स, दवाइयों का प्रयोग भी किया जाए तो काफी हद तक दिल की बीमारियों से बचा सकता है।
आयुर्वेद में इलाज संभव
आयुर्वेद भारत की एक महान देन है और इसमें लगभग हर बीमारी का इलाज भी है लेकिन इस पर अभी रिसर्च चल रही है। कौन-सी आयुर्वैदिक दवा किस बीमारी में कितनी कारगर है इस पर रिसर्च होना बाकी है। आयुर्वेद को लेकर आज जितनी भी दवाएं बन रही हैं वे हमारे पुराने लेखों में लिखे तरीकों से बन रही हैं।
स्टेंट्स दवाइयां हैं कारगर
डाक्टर्स के मुताबिक दिल की बीमारियों से बचने के लिए स्टेंट्स नामक दवा काफी कारगर है। स्टेंट्स को शुरू हुए आज 20 साल से अधिक हो चुके हैं और इनके प्रयोग से लाखों लोग दिल की बीमारियों से बचे हैं। डाक्टर्स की मानें तो रिसर्च में भी सामने आया है कि इन दवाइयों के नियमित प्रयोग से दिल की बीमारी होने का खतरा 55 फीसदी तक कम हो जाता है। भारत में 55 साल की उम्र तक आते-आते अधिकतर लोग दिल की किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। अगर डाक्टर की सलाह लेकर 30 या 35 साल की उम्र से ही स्टेंट्स दवाओं का प्रयोग शुरू कर दिया जाए तो दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है। दुनिया के कई देशों में इसका प्रयोग हो रहा है मगर भारत में लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।