Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jun, 2017 11:29 AM
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की नीति फ्लिप-फ्लॉप नहीं, बल्कि पूरी तरह फ्लॉप हुई है।
जम्मू (कमल): कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की नीति फ्लिप-फ्लॉप नहीं, बल्कि पूरी तरह फ्लॉप हुई है। केंद्र सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और दिशाहीन नेतृत्व के कारण भारत अकेला पड़ गया है। केंद्र की असफल विदेश नीति के कारण भारत के भरोसेमंद साथी रूस ने पाकिस्तान का हाथ थाम लिया है।
कांग्रेस मुख्यालय शहीदी चौक जम्मू में पत्रकारों से कांग्रेस नेता एवं पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि रूस ने पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग के तहत अगस्त 2015 में एम.आई.-35 हैलीकॉप्टर बेचने का समझौता किया, जिनकी डिलीवरी रूस इसी साल कर देगा। सितम्बर 2016 में रूस और पाकिस्तान ने संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया। यही नहीं, 19 दिसम्बर, 2016 को रूस ने चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर को अपना सहयोग दिया तथा इसे यूरेशियन ईकोनॉमिक यूनियन से जोडऩे की इच्छाशक्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि चीन के प्रति भारत की असफल कूटनीति के कारण चीन बार-बार प्रहार कर रहा है। चीन ने पाकिस्तान का साथ देते न्यूक्लीयर सप्लायर्स गु्रप से भारत की सदस्यता पर रोक लगा दी। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का निरंतर विरोध करता है। चीन ने पाकिस्तान के साथ मिल कर आतंकी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में भारत के प्रयास पर पानी फेर दिया। भाजपा सरकार का चीन के उत्पादों का विरोध महज दिखावा है।
उन्होंने दावा किया कि देश में चीनी इम्पोर्ट बढ़ रहा है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में चीन में निर्मित उत्पादों की 60,000 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। केंद्र की राजग सरकार की अमरीका नीति पर बोलते हुए मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि मोदी सरकार को उस वक्त झटका लगा, जब पाकिस्तान को अमरीकी मिलिट्री व सिविल सहायता में 12.2 प्रतिशत यानी 743 मिलियन डॉलर की वृद्धि कर दी गई। अमरीका ने यह वृद्धि 6 साल के बाद की है। उन्होंने कहा कि अमरीका ने एच.बी. वीजा में नियम को कठोर बना दिया है, जिससे भारतीय आई.टी. के टेकी, जो 85 प्रतिशत वीजा लेते हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। यही नहीं, विदेशों में रहने वाले भारतीयों पर नस्ली हमले बढ़़ रहे हैं, लेकिन भारत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। केंद्र सरकार को देश की सुरक्षा के साथ समझौता करना बहुत महंगा पड़ सकता है। भारतीय वायुसेना का लड़ाकू स्क्वाड्रन घट कर कुल 32 हो गया है, जबकि सेना की जरूरत 45 स्क्वाड्रन की है।