Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2017 10:00 AM
देश में चल रहे किसान संकट के बीच केंद्रीय फूड प्रोसैसिंग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब केसरी समूह को पहला इंटरव्यू दिया है।
भटिंडाः देश में चल रहे किसान संकट के बीच केंद्रीय फूड प्रोसैसिंग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब केसरी समूह को पहला इंटरव्यू दिया है। इस इंटरव्यू के दौरान हरसिमरत किसान संकट, देश में किसानों की मौजूदा स्थिति और किसानों के लिए केन्द्र सरकार और उनके मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों के साथ-साथ पंजाब की राजनीति पर खुल कर बोलीं। पेश है हरसिमरत कौर बादल के साथ हुई पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी की पूरी बातचीत :-
प्र. मनप्रीत बादल राज्य के आॢथक हालात पर व्हाइट पेपर ला रहे हैं। आपका क्या कहना है?
उ. व्हाइट पेपर लाकर जनता को मूर्ख न बनाएं। ब्ल्यू पिं्रट लेकर आएं। जनता को बताएं कि किसानों का कर्ज कैसे माफ होगा और पहली किस्त में कितना कर्ज माफ होगा। 25 लाख नौकरियां देने का वायदा किया था। पहली नौकरी किसे और कहां दी जा रही है यह ब्ल्यू पिं्रट पेश करें। व्हाइट पेपर पुरानी सरकार की योजनाओं को बंद करने का बहाना है। यह बहानेबाजी नहीं चलेगी। मनप्रीत बादल वैसे भी शायरी पढ़ते रहते हैं और गालिब या फैज मनप्रीत को आॢथकी नहीं सिखा सकते इसलिए उन्हें आॢथक मामलों की जानकारी नहीं है।
प्र. अगले चुनाव में क्या भटिंडा से लड़ेंगी?
उ. पिछले चुनाव के दौरान मनप्रीत ने बहुत जोर लगाया था लेकिन चुनाव हार गए थे। इस बार तो स्थिति मनप्रीत के खिलाफ है क्योंकि वह वित्त मंत्री हैं और उन्हें लोगों से किए गए बड़े-बड़े वायदे भी पूरे करने हैं। पिछली बार वह सिर्फ आरोप लगाने वालों में से थे लेकिन इस बार उन्हें जनता को जवाब देना होगा और हमारे बराबर विकास भी करवाकर दिखाना होगा।
प्र. केन्द्रीय फंडों में हेर-फेर के नवजोत सिंह सिद्धू के आरोप का क्या जवाब है?
उ. जिस व्यक्ति का कोई धर्म-ईमान नहीं, जिस व्यक्ति ने उस पार्टी का अपमान किया जिसने उसे सियासी पहचान दी, जो व्यक्ति आम आदमी पार्टी में जाने के लिए तरस रहा था, जिसने विरासत-ए-खालसा को चिट्टा हाथी कहा और जो व्यक्ति सिखों के कातिल गांधी परिवार के सदस्यों के आगे सिर झुकाए और जिस सिद्धू के सांस्कृतिक मंत्रालय ने दरबार साहिब के बाहर गलियारे में चल रही स्क्रीनों पर गुरबाणी बंद करके शराब के विज्ञापन शुरू करवाए, उसके बारे में बात करना बेकार है।
प्र. रेत खनन मामले में बिक्रम मजीठिया के खिलाफ सिद्धू के आरोपों पर आप क्या कहेंगी?
उ. पिछले महीने सामने आए रेत खनन घोटाले को लेकर सिद्धू के मुंह पर ताला क्यों लगा है, अब सिद्धू क्यों नहीं बोल रहे। क्या अब उन्हें भ्रष्टाचार नजर नहीं आ रहा।
प्र. 2014 में भाजपा का नारा था ‘बहुत हुआ किसान पर अत्याचार, अब की बार मोदी सरकार’ स्थिति अब भी वैसी क्यों हैं?
उ. उस वक्त तक पिछले 60 साल में बिगाड़े गए हालात की बात हो रही थी और हालात भाजपा ने तो बिगाड़े नहीं थे। हमने तो हालात सुधारने का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस ने 60 साल जय जवान, जय किसान का नारा दिया लेकिन 60 साल तक किसानों की बात नहीं पूछी और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती रही। हमने आजादी के 75 साल पूरे होने तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।
प्र. क्या स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करके हालात सुधारे नहीं जा सकते?
उ. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करना समस्या का हल नहीं है। कमीशन ने फसलों की एम.एस.पी. पर सुझाव दिए हैं लेकिन बहुत कम फसलों का समर्थन मूल्य तय होता है। ऐसे में शेष किसानों का भला कैसे होगा। सरकार ने 11 से 15 प्रतिशत प्रीमियम पर होने वाले फसल बीमा का प्रीमियम कम करके 1 से 2 प्रतिशत कर दिया है और फसल बीमा की रकम 11 से बढ़ाकर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ तक कर दी है। नीम कोटिंग के जरिए यूरिया की कमी खत्म की है। सॉयल हैल्थ कार्ड बनाकर किसान का खर्च बचाने की कोशिश हो रही है। किसानों को खेती के लिए सिंचाई की सुविधा दी गई है और 585 मंडियां ई-नाम के जरिए जोड़ी गई हैं।
प्र. पंजाब में किसानों की आत्महत्याएं क्यों नहीं रुक रहीं?
उ. राज्य में नई सरकार केगठन के 80 दिन के भीतर 75 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं और इसका सबसे बड़ा कारण कांग्रेस द्वारा किसानों के साथ किए गए झूठे वायदे हैं। सरकार ने बिना किसी तैयारी के घर-घर जाकर फार्म भरवाए और कर्ज माफ करने की बात कही लेकिन सरकार आने के बाद इस पर कार्रवाई नहीं हुई। किसान कर्ज माफ होने के भ्रम में बैंकों के पैसे भी नहीं लौटा रहे और सरकार के वित्त मंत्री व मैनीफैस्टो के चेयरमैन मनप्रीत बादल अब कर्ज माफी की बात भी नहीं कर रहे।
प्र. किसानों की कर्ज माफी के लिए केन्द्र से सहयोग लेने में क्या आप कैप्टन अमरेन्द्र की मदद करेंगी?
उ. मैं हमेशा किसान के पक्ष की बात करूंगी लेकिन कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को जिम्मेदारी से पल्ला नहीं छुड़ाने दूंगी। कैप्टन केन्द्र से सहयोग की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते। यदि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार किसानों का कर्ज माफ कर सकती है तो पंजाब में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। केन्द्र ने यू.पी. में भी पैसा नहीं दिया है।