Edited By Updated: 24 Apr, 2017 09:50 AM
जिला गुरदासपुर तथा अमृतसर के सीमावर्ती गांवों में हर साल बरसात के मौसम में किरण-सक्की नाला तबाही मचाता है।
गुरदासपुर (विनोद): जिला गुरदासपुर तथा अमृतसर के सीमावर्ती गांवों में हर साल बरसात के मौसम में किरण-सक्की नाला तबाही मचाता है। लगता है इस साल भी इन गांवों के करीब 3 लाख लोगों को यह संताप झेलना पड़ेगा। वैसे तो केन्द्रीय जल आयोग ने इस नाले को गहरा, सीधा और चौड़ा करने के लिए 118 करोड़ रुपए की योजना को 2006 में मंजूरी दे दी थी, परंतु 11 साल बीत जाने के बाद भी अब इस प्रोजैक्ट के पूरा होने पर सवाल खड़े हो गए हैं। कारण है फंड की कमी। दूसरी तरफ भारतीय सेना को अब इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही। रावी दरिया के समानान्तर भारतीय इलाके में बहने वाले इस किरण-सक्की नाले के कारण संताप भोग रहे किसान 25 साल से इसकी तबाही से बचाने के लिए शोर मचा रहे हैं।
प्रोजैक्ट पूरा करने हेतु 2 साल निर्धारित, लेकिन 11 साल बाद भी अधूरा
फसलों की बर्बादी को लेकर हर साल राजनीतिज्ञ, पंजाब सरकार व जिला प्रशासन लोगों को बहाने बनाकर शांत करता आ रहा था। आखिर पीड़ित किसानों ने इस नाले को चौड़ा, गहरा और सीधा करने के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाया। कई दिन तक डी.सी. दफ्तर गुरदासपुर के सामने धरने दिए गए। तब सरकार ने घोषणा कर 60 करोड़ के प्रोजैक्ट को मंजूरी दी लेकिन बात वहीं की वहीं रह गई। नाले पर पुल बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेने में काफी समय लग गया।
जिन स्थानों पर पुल बनाए जाने थे उनके साथ लगती जमीनों का अधिग्रहण किए जाने संबंधी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, जिस कारण काम रुक गया। केन्द्र सरकार द्वारा इस प्रोजैक्ट को पास करने संबंधी कुछ जरूरी मंजूरी तो मिल गई। इस प्रोजैक्ट अनुसार इसके लिए 25 प्रतिशत राशि तो पंजाब सरकार को देनी होगी जबकि बाकी की 75 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार ग्रांट के रूप में देगी। इस प्रोजैक्ट को पूरा करने के लिए 2 साल की समय निर्धारित हुआ था जबकि अब तक लगभग 11 साल का समय बीत चुका है और अभी जिला गुरदासपुर तथा अमृतसर में नाले के ऊपर बनने वाले 17 पुलों (4 जिला गुरदासपुर तथा 13 जिला अमृतसर) का काम 28 करोड़ की लागत से पूरा किया जा चुका है, परंतु उससे आगे कुछ नहीं हुआ।
पहली समस्या भूमि अधिग्रहण, दूसरी फंड का अभाव
इस संबंधी जब विभाग सुपटिंैंडैंट इंजीनियर जसबीर सिंह संधू से बात की गई तो उन्होंने कहा फंड नहीं मिलने कारण यह प्रोजैक्ट बंद पड़ा है। 2010-11 में केन्द्र सरकार से 21 करोड़ रुपए मिले थे। भूमि अधिग्रहण पर मात्र लगभग साढ़े 3 करोड़ रुपए ही खर्च हो सके। बाकी राशि वापस हो गई। 150 किलोमीटर लम्बे इस नाले को चैनलाइज किया जाना है। 9 पुलों को ठीक किया जाएगा। लगभग 36 नए पुल बनाने की योजना है। नाले को चौड़ा करने के लिए नाले के दोनों ओर की लगभग 580 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जानी है, जोकि कठिन काम है। किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं। वे अदालतों का सहारा ले रहे हैं।
दूसरी तरफ लगभग 17 पुलों का काम पूरा हो चुका है तथा एक का बाकी है। इस संबंधी विभाग ने दोबारा नई ड्राइंग तैयार करके भेजी, जिसे मंजूरी मिलने में 3 साल लग गए। भारतीय सेना द्वारा मंजूर ड्राइंग के अनुसार पुल बनाने पर लगभग 182 करोड़ रुपए खर्च आने हैं, जो रक्षा मंत्रालय देने को तैयार नहीं। अब भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि यह प्रोजैक्ट हमें नहीं चाहिए। यदि राज्य या केन्द्र सरकार चाहे तो अपने स्तर पर इस पर काम करवा सकती है। मुख्य समस्या किरण-सक्की नाले को चौड़ा, सीधा व गहरा करने के लिए जिन जमीनों का अधिग्रहण किया गया था, उस संबंधी अदालतों में केस चल रहे हैं। जब अधिग्रहण किया गया था, तब सरकार ने इन जमीनों की कीमत 3 लाख रुपए प्रति एकड़ आंकी थी, जबकि इस समय कीमत 15 से 20 लाख रुपए प्रति एकड़ आंकी जा रही है। विभाग द्वारा 17 पुलों को तैयार करवाकर काम बंद कर दिया गया है। अब 3 मई को दोबारा उच्चस्तरीय टैक्नीकल कमेटी की मीटिंग चंडीगढ़ में हो रही है। उस मीटिंग में ही इस प्रोजैक्ट का भविष्य निर्धारित होगा।
स्वैल कोहलियां से शुरू होकर अमृतसर के रास्ते पाकिस्तान जाता है यह नाला
यह नाला दीनानगर के नजदीकी गांव स्वैलपुर कोहलियां से शुरू होता है, जो बरसात के पानी से भरा रहता है। लगभग 150 किलोमीटर लम्बाई वाला नाला दोनों जिलों में लगभग 70,000 एकड़ भूमि में खड़ी फसल को नष्टï करता है। इससे दीनानगर, दोरांगला, डेराबाबा नानक, कलानौर, फतेहगढ़ चूडिय़ां, रमदास व अजनाला उप ब्लाक प्रभावित होते हैं। जिला गुरदासपुर में इसे किरण नाला कहा जाता है जबकि अमृतसर जिले मेंइसे सक्की नाला कहा जाता है। जिला अमृतसर से होता हुआ यह नाला पाकिस्तान की भूमि में चला जाता है और वहां रावी दरिया में मिल जाता है।