गोवा में संघ की फूट ने भाजपा को डाला मुश्किल में

Edited By Updated: 08 Jan, 2017 08:51 AM

goa assembly election 2017

गोवा में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा एक बार फिर से मैदान में डट गई है। पार्टी को लगता है कि गोवा में सत्ता हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि तथा रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर जीत के लिए बेहतर सहारा बन सकते हैं।

जालंधर (पाहवा) : गोवा में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा एक बार फिर से मैदान में डट गई है। पार्टी को लगता है कि गोवा में सत्ता हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि तथा रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर जीत के लिए बेहतर सहारा बन सकते हैं। 4 फरवरी को होने जा रहे गोवा चुनावों में पार्टी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज क्रिश्चियन वोट बैंक को अपने पक्ष में करना है। वर्ष 2012 के चुनावों में भाजपा ने 40 में से 21 सीटें जीती थीं। उस समय पार्टी का मुख्य तौर पर मुकाबला कांग्रेस के साथ था लेकिन अब गोवा में राजनीतिक माहौल बदल रहा है। पार्टी को कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी से भी दो-दो हाथ करने होंगे। यही नहीं गोवा सुरक्षा मंच, शिवसेना तथा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के आपसी गठबंधन से भी भाजपा को मुकाबला करना पड़ेगा। गोवा सुरक्षा मंच संघ के करीबी नेता की तरफ से गठित किया गया है। गोवा में भाजपा के लिए जहां क्रिश्चियन वोट बैंक को खींचना जरूरी है, वहीं 2 हिस्सों में बंटे संघ को संभालना भी टेढ़ी खीर बना हुआ है।

करीब 2 महीने पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक की गोवा यूनिट में बड़ी दरार पड़ी तथा सुभाष वैलिंगकर ने अलग से नई पार्टी का गठन कर लिया है। गंभीर बात यह रही कि आर.एस.एस. के बहुत से कार्यकर्त्ता सुभाष के साथ चले गए। हालत यह है कि अब संघ के साथ भाजपा के भी बहुत से लोग सुभाष के पक्ष में हैं। आम आदमी पार्टी ने भी कुछ महीने पहले तक तो गोवा में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन नोटबंदी को लेकर अरविन्द केजरीवाल के बयानों ने पार्टी को बेहद नुक्सान पहुंचाया है। कांग्रेस का भी गोवा में हाल बेहतर नहीं है। गोवा में राहुल गांधी की रैली से 2 दिन बाद मोबिन गोंडीनो नामक कांग्रेस विधायक ने भाजपा ज्वाइन कर ली। इस पूरे माहौल में भाजपा की नजर इस समय क्रिश्चियन वोट बैंक पर है। गोवा में कुल 1.3 मिलियन जनसंख्या में करीब 23 प्रतिशत क्रिश्चियन वोट बैंक है।

वर्ष 2012 में 5 से 8 प्रतिशत क्रिश्चियन वोट बैंक भाजपा के खाते में जाने का दावा खुद पार्टी कर चुकी है। ऐसे में पार्टी मनोहर पार्रिकर की साफ छवि को गोवा में भुनाने में लगी है। गोवा में भाजपा बेशक नोटबंदी के चलते पार्टी के पक्ष में रुझान होने की बात कर रही हो लेकिन राजनीति के माहिर बताते हैं कि नोटबंदी के कारण जिन लोगों ने नुक्सान झेला है, उनमें गोवा के लोग काफी आगे हैं। गोवा में पर्यटन उद्योग को इस नोटबंदी के कारण भारी झटका लगा है तथा कई लोगों का काम-धंधा ठप्प हो गया है। ऐसे में भाजपा इन लोगों का वोट किस आधार पर हासिल कर पाएगी, यह काफी नेताओं के लिए चिंता का विषय है। राजनीतिक माहिरों का कहना है कि इस नोटबंदी के कारण भाजपा को गोवा में नुक्सान सहना पड़ सकता है।

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