Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jun, 2017 05:20 PM
एक दुर्लभ घटनाक्रम में राष्ट्रपति ने 1997 में पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को दिया गया बहादुरी पुरस्कार वापस ले लिया है।
नई दिल्ली: एक दुर्लभ घटनाक्रम में राष्ट्रपति ने 1997 में पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को दिया गया बहादुरी पुरस्कार वापस ले लिया है। हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा मिलने के कारण पुलिस अधिकारी से यह पुरस्कार वापस लिया गया।
2006 में दोषी ठहराए गए थे गुरमीत सिंह
पंजाब पुलिस में उपनिरीक्षक रहे गुरमीत सिंह को सेवा के दौरान उनकी बहादुरी के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए पक्ष में सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र पर 1997 में वीरता का पुलिस पदक प्रदान किया गया था। बाद में 2001 में सिंह के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया। वर्ष 2006 में वह दोषी ठहराए गए और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई तथा उन्हें सेवा से हटा दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय को अधिकारी की दोषसिद्धि के बारे में जुलाई, 2015 में पता चला।
राष्ट्रपति ने पदक वापस लेने की दी मंजूरी
पंजाब सरकार के समक्ष जब मामला उठाया गया तो उसने दोषसिद्धि की पुष्टि की और मंत्रालय को पदक वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की सलाह दी। खुफिया एजैंसियों से राय लेने के बाद गृह मंत्रालय ने सिंह को दिया गया पुलिस पदक वापस लेने के लिए एक प्रस्ताव राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भेजा था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने 7 जून को बहादुरी के लिए पुलिस पदक वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।