Edited By Updated: 17 Mar, 2017 02:30 PM
रेलवे द्वारा ली गई जमीन के मुआवजे में लुधियाना की जिला अदालत ने अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है।
लुधियानाः रेलवे द्वारा ली गई जमीन के मुआवजे में लुधियाना की जिला अदालत ने अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस और लुधियाना स्टेशन को पीड़ित किसान संपूर्ण सिंह को देने को कहा है। इसके साथ ही किसान की अपील पर अदालत ने लुधियाना स्टेशन और स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस की कुर्की के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि लुधियाना की जिला अदालत ने जो फैसला सुनाया है वह साल 2007 में लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाईन के निर्माण का है। इसके लिए ली जाने वाली जमीन का मुआवजा 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से देने का ऐलान किया गया था लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपए प्रति एकड़ कर दिया गया था। इस हिसाब से संपूर्ण सिंह का मुआवजा 1 करोड़ 47 लाख बनता था, लेकिन रेलवे ने उसे मात्र 42 लाख रुपए का भुगतान किया।
रेलवे द्वारा दिए गए मुआवजे के खिलाफ जमीन मालिक संपूर्ण सिंह ने साल 2012 में अदालत का दरवाजा खटखटाया। सुनावई दर सुनवाई होने के बाद साल 2015 में इसका फैसला आ गया। अदालत ने रेलवे से किसान को बढ़ी हुई दर के हिसाब से भुगतान करने के आदेश दिए लेकिन रेलवे ने इसके बावजूद भुगतान नहीं किया। इसके बाद किसान संपूर्ण सिंह दोबारा कोर्ट गए। इस बार लुधियाना जिला और सत्र न्यायाधीश ने जो फैसला सुनाया उसे सुनकर सभी को आश्चर्य हुआ।
आश्चर्य तो खुद संपूर्ण सिंह को भी हुआ लेकिन अदालत के आदेश के बाद वे स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस और लुधियाना के मालिक बन गए। इस आदेश के बाद किसान स्वर्ण शताब्दी पर कब्जा हासिल करने के लिए वकील के साथ लुधियाना स्टेशन भी पुहंच गया। उसने अदालत का आदेश पत्र रेल ड्राइवर को सौंपा। रेलवे के सैक्शन इंजीनियर ने किसान द्वारा रेल को कब्जे में लेने से रोक दिया गया और बताया गया कि ये ट्रेन कोर्ट की संपत्ति है। स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रैस के चालक को नोटिस देने के बाद रेल पर भी नोटिस चस्पा कर दिया गया। इसके बाद ही ट्रेन अपनी मंजिल की ओर रवाना हुई। किसान संपूर्ण सिंह ने कहा कि यात्रियों को परेशानी न हो इसी वजह से उसने रेल को नहीं रोका।
अब किसान के वकील का कहना है कि अगर रेलवे ने अब भी मुआवजा नहीं दिया तो वे अदालत से कुर्क की गई रेलवे की संपत्ति की नीलामी की सिफारिश करेंगे। खैर, मुआवजा का जो भी हो, अदालत का यह फैसला काफी सुर्खियां बटोर रहा है।