Edited By Updated: 23 Feb, 2017 01:56 PM
एस.वाई.एल.को लेकर पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर ड्यूटी दे रहे पुलिस मुलाजिम बलजीत सिंह को मिर्गी का दौरा पर गया जिसे एंबुलेंस से अस्पताल दाखिल करवाया गया।
पटियाला(राजेश शर्मा): एस.वाई.एल.को लेकर पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर ड्यूटी दे रहे पुलिस मुलाजिम बलजीत सिंह को मिर्गी का दौरा पर गया जिसे एंबुलेंस से अस्पताल दाखिल करवाया गया।
इनेलो कार्यकर्ता अभय चौटाला के नेतृत्व में एस.वाई.एल. नहर खोदने के लिए कूच करने वाले है। इसके चलते सुरक्षा प्रबंध कड़े कर दिए गए हैं। शंभू बॉर्डर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। सुबह ही शंभू बॉर्डर में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मचारी, अर्द्ध सैनिक बलों की टुकड़ियां मौजूद हैं.इसके साथ ही 10 कंपनियां पैरा मिलिट्री फोर्स की भी पहुंच गई हैं, जिन्होंने शंभू सहित अन्य स्थानों पर मोर्चा संभाल लिया है।
क्या है एस.वाई.एल.मामला
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना, परंतु उत्तराधिकारी राज्यों (पंजाब व हरियाणा) के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ। विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी कर हरियाणा को 3.5 एम.ए.एफ. पानी आबंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी एस.वाई.एल. नहर बनाने का निर्णय हुआ था। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण वर्षो पूर्व पूरा कर दिया था, लेकिन पंजाब ने अब तक विवाद चला आ रहा है।
कब क्या हुआ
19 सितंबर 1960
भारत व पाकिस्तान के बीच विभाजन पूर्व रावी व ब्यास के अतिरिक्त पानी को 1955 के अनुबंध द्वारा आवंटित किया गया। पंजाब को 7.20 एमएएफ (पेप्सू के लिए 1.30 एमएएफ सहित), राजस्थान को 8.00 एमएएफ व जम्मू-कश्मीर को 0.65 एमएएफ पानी आवंटित किया गया था।
24 मार्च 1976
केंद्र ने अधिसूचना जारी करके पहली बार हरियाणा के लिए 3.5 एमएएफ पानी की मात्रा तय की।
13 दिसंबर 1981
नया अनुबंध हुआ। पंजाब को 4.22, हरियाणा को 3.50, राजस्थान को 8.60, दिल्ली को 0.20 एमएएफ व जम्मू-कश्मीर के लिए 0.65 एमएएफ पानी की मात्रा तय की गई।
8 अप्रैल 1982
इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव के पास नहर खुदाई के काम का उद्घघाटन किया। विरोध के कारण पंजाब के हालात बिगड़ गए।
24 जुलाई 1985
राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ। पंजाब ने नहर बनाने की सहमति दी।
वर्ष 1996
समझौता सिरे नहीं चढ़ने पर हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
15 जनवरी 2002
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक वर्ष में एसवाईएल बनाने का निर्देश दिया।
4 जून 2004
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
2004:
पंजाब ने पंजाब टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 बनाकर तमाम जल समझौते रद कर दिए। संघीय ढांचे की अवधारण पर चोट पहुंचने का डर देखकर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा। 12 वर्ष ठंडे बस्ते में रहा।
20 अक्टूबर 2015:
मनोहर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया।
26 फरवरी 2016:
इस अनुरोध पर गठित पांच जजों की पीठ ने पहली सुनवाई की। सभी पक्षों को बुलाया।
8 मार्च 2016:
8 मार्च को दूसरी सुनवाई। अब भी मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास है। लेकिन पंजाब सरकार बिना कानून के डर के जमीन लौटाने का एलान कर चुकी है। अब यह नया मामला भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।