Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 08:10 PM
सरकारी हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवनहंस को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए उसके कर्मचारी संघ ने विनिवेश प्रक्रिया में बोली लगाने का फैसला किया है। पवनहंस लिमिटेड में 51 फीसदी हिस्सेदारी सरकार की और 49 फीसदी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस...
नई दिल्ली: सरकारी हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी पवनहंस को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए उसके कर्मचारी संघ ने विनिवेश प्रक्रिया में बोली लगाने का फैसला किया है। पवनहंस लिमिटेड में 51 फीसदी हिस्सेदारी सरकार की और 49 फीसदी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी की है।
सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पवनहंस की विनिवेश प्रक्रिया के तहत अभिरुचि पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 08 दिसंबर थी जिसे कर्मचारी संघ के अनुरोध पर एक सप्ताह बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि सरकारी उपक्रमों के विनिवेश नियमों के तहत यह प्रावधान है कि कर्मचारी संघ किसी कंसोर्टियम के जरिए कंपनी की हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। विनिवेश में उन्हें प्राथमिकता देने की भी व्यवस्था है।
अधिकारी ने यह भी बताया कि रोहिणी में हेलिपोर्ट के रूप में मौजूद पवनहंस की मौजूदा परिसंपत्ति को विनिवेश से अलग रखा जाएगा और अभी सिर्फ चल परिसंपत्तियों का ही विनिवेश होगा। एक विशेष उद्देश्य कंपनी बनाकर उसने अचल संपत्ति को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोहिणी हेलिपोर्ट के विनिवेश के बारे में बाद में विचार किया जाएगा।
पवनहंस अभी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में है। वित्त वर्ष 2012-13 में उसने 11.70 करोड़, 2013-14 में 38.57 करोड़, 14-15 में 38.81 करोड़ और 15-16 में 36.08 करोड़ का मुनाफा कमाया था। कर्मचारी उसके विनिवेश का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। संसद की स्थायी समिति भी लगातार मुनाफा कमा रही कंपनी में विनिवेश को लेकर सरकार से बार-बार सवाल पूछ चुकी है।