Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 09:59 AM
भाजपा व देश की केंद्र सरकार के लिए एक बुरी खबर है।
जालंधर (रविंदर शर्मा): भाजपा व देश की केंद्र सरकार के लिए एक बुरी खबर है। आर.एस.एस. के फीडबैक और इंटरनल सर्वे के मुताबिक 2019 में भाजपा की हालत बेहद खस्ता होने वाली है। कमजोर विपक्ष के बावजूद भाजपा की सीटें औंधे मुंह गिर सकती हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा तर्क लगातार फेल हो रही मोदी सरकार की आॢथक नीतियां और बेरोजगारी पर कोई ठोस नीति न लाने को कहा जा रहा है। इसके अलावा क्रूड आयल के रेट न बढऩे के बावजूद देशभर में पैट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढऩे से भी जनता में खासा आक्रोश पाया जा रहा है जोकि सरकार के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
फीडबैक में यहां तक कहा गया है कि कमजोर विपक्ष के बावजूद भाजपा की सीटें काफी कम हो सकती हैं और भाजपा के कई बड़े नेताओं को अपनी सीट तक बचानी मुश्किल हो सकती है।
गुरदासपुर उपचुनाव से पहले आर.एस.एस. का यह इंटरनल सर्वे भाजपा सरकार के लिए मुसीबत खड़ी सकता है तो ‘आप’ व कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकता है। संघ ने भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी सरकार की घटती लोकप्रियता के प्रति आगाह भी किया है। आर.एस.एस. ने मोदी सरकार के 3 साल पूरे होने पर एक सर्वे करवाया था। विभिन्न संगठनों से फीडबैक लेने के बाद अार्थिक सुस्ती, रोजगार न मिलने और नौकरियां चले जाने, नोटबंदी के फेल होने तथा किसानों की बदहाली जैसे मुद्दों पर संघ को सरकार के खिलाफ माहौल बनने का अंदाजा हो गया है।
संघ का मानना है कि आम लोगों में निराशा है जिस कारण भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार की नैया 2019 में डूब सकती है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि संघ से जुड़े कई संगठन भी नरेंद्र मोदी सरकार की अार्थिक नीतियों से खफा हैं।
आर.एस.एस. के एक नेता का कहना है कि आम लोगों को उम्मीद थी कि मोदी सरकार बनने के बाद ढेर साला काला धन देश में वापस आएगा और नोटबंदी से भी बहुत सा काला धन सामने आएगा, मगर यह सब नहीं हुआ जिस कारण लोगों का विश्वास मोदी सरकार पर कम हुआ है और लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आर.एस.एस. ने मोदी सरकार के वरिष्ठ नेताओं को कहा है कि उसके कार्यकत्र्ताओं के अनुसार आम लोग मोदी सरकार के बारे में असुविधाजनक सवाल और बहसें कर रहे हैं। रोजगार न मिलने के कारण जो युवा वर्ग पहली बार वोटर बना था और उसने मोदी सरकार को वोट दिया था, वह भी धीरे-धीरे अब भाजपा से कटने लगा है और नए विकल्प की तलाश में है। ऐसे में यह भाजपा के लिए बेहद अशुभ संकेत साबित हो सकता है क्योंकि देशभर में पहली बार जुड़े करोड़ों युवाओं ने मोदी सरकार को सबसे ज्यादा वोट दिया था।
आपको बता दें कि आर.एस.एस. से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने 17 नवम्बर से दिल्ली में सरकार की अार्थिक नीतियों के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी कर ली है और इसका ऐलान भी कर दिया है। साल 2015 में भारतीय मजदूर संघ ऐसा ही प्रदर्शन करने वाला था लेकिन अंतिम समय में उसने इसे वापस ले लिया था। आर.एस.एस. ने मोदी सरकार को चेताया है कि उसे याद रखना चाहिए कि भाजपा साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता के बावजूद लोकसभा चुनाव हार गई थी।
आर.एस.एस. ने हाल ही में मथुरा में 3 दिन का समन्वय बैठक का आयोजन किया था। माना जा रहा है कि इस बैठक में आर.एस.एस. ने जमीनी रिपोर्टों का विश£ेषण किया था। विचारकों का कहना था कि मोदी सरकार के प्रदर्शन से सिर्फ मोदी का ही नहीं संघ के पूरे आंदोलन का भविष्य जुड़ा है। विचारकों ने कहा कि सिर्फ पानी की तरह पैसा बहाकर चुनाव जीतने का भ्रम भाजपा को मन से निकाल देना चाहिए। एक बार छवि खराब हुई तो जनता विकल्प न होने के बावजूद कुर्सी से उतार देती है।