पंजाब ड्रग पर कैग का बड़ा खुलासा,सरकार के दावे फेल-बादल भी चढ़े हत्थे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 11:56 AM

drug trade in punjab cag report points to nexus between peddlers police

चुनावी मैनिफेस्टो दौरान चार हफ्ते में नशा खत्म करने का दावा करने वाली सरकार नाकाम नजर आ रही है

चंडीगढ़(सोनिया गोस्वामी):  चुनावी मैनिफेस्टो दौरान चार हफ्ते में नशा खत्म करने का दावा करने वाली सरकार नाकाम नजर आ रही है क्योंकि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पंजाब सबसे अधिक ड्रग इस्तेमाल करने वाला सूबा बन चुका है। इसलिए पंजाब में एनडीपीएस एक्ट लागू करने की सख्त जरुरत है। इस रिपोर्ट में पिछली अकाली सरकार पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी इश्तहारों में 'अकाली सरकार' की बजाय' बादल सरकार'को ज्यादा प्रमोट किया गया। इतना ही नहीं, सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल की वीडियो वाले इश्तिहार भी सबसे ज्यादा दिखाए गए। पंजाब विधानसभा बजट सत्र में आज शहीद भगत सिंह,राजगुरु तथा सुखदेव के शहीदी दिवस कारण अवकाश रखा गया है इसलिए 24 मार्च को ये मुद्दा सत्र दौरान उठाया जा सकता है।

 

कैग रिपोर्ट में सामने आया है कि एनडीपीएस अधिनियम लागू करने पर सवाल उठता है कि जब शिअद-बीजेपी गठबंधन सत्ता में था, तो जब्त की गई दवाओं के नमूने 23 से 476 दिनों के देरी के साथ प्रयोगशालाओं को भेजे गए थे। उस समय इस पर कड़ एकेशन क्यों नहीं लिया गया। सरकारी इश्तहारों को लेकर भी बादलों पर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट मुताबिक 2015 से लेकर 2017 तक विभाग ने इश्तहारों पर कुल 236 करोड़ 73 लाख रुपए ख़र्च किए, ज़िलो में करीब 78 प्रतिशत, यानि करीब -करीब 185 करोड़ रुपए चुणावी वर्ष में खर्च किए गए।

 

रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि पंजाब में 2016-17 की वित्तीय अवधि में अवैध दवाओं के मामलों में  756 आरोपियों में से 532 (लगभग 70%) पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए प्रमाणों की कमी के कारण मुक्त हो गए। इतना ही नहीं  दवा विक्रेताओं और पुलिस के बीच संभावित संबंधों कारण ड्रग को बढ़ावा देने की तरफ इशारा करता है। कैग की रिपोर्ट विधानसभा के तीसरे दिन पेश की गई थी।

 

रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि 2017 के मध्य में कांग्रेस से हारने से पहले शिअद-बीजेपी गठबंधन द्वारा नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपीक पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम को लागू करने पर सवाल उठाए जाते थे । ये भी सामने आया कि उस दौरान जब्त किए गए दवाओं के नमूने 23 से 476 दिनों के विलंब के साथ प्रयोगशालाओं को भेजे गए थे।

 

रिपोर्ट में ये भी रेखांकित किया गया है कि पिछली सरकार अवैध नशीली दवाओं के तस्करी के खिलाफ प्रवर्तन क्षमता को मजबूत करने के लिए प्रदान की गई केंद्रीय सहायता का लाभ नहीं लेती थी हालांकि, यह योजना 2009 में शुरू हुई थी। इसके अलावा, इस योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को पांच साल के लिए वार्षिक योजनाओं में एक योजना तैयार करनी थी, फिर भी इसमें देरी हुई। ऑडिट रिपोर्ट अनुसार एनसीबी ने तीन साल की अवधि समाप्त होने के बाद 2017 में कार्रवाई योजना तैयार की और राज्य सरकार 15 करोड़ रुपए के बजट का लाभ पाने में असफल रही, जिसे केंद्र द्वारा स्वीकृत किया जाना था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य में निगरानी और सूंघने वाले कुत्तों के लिए पर्याप्त उपकरण उपलब्ध नहीं हैं, और एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामलों से निपटने के लिए पुलिस विभाग को प्रशिक्षित कर्मचारियों की भी कमी है।  

 

कैंसर नियंत्रण के लिए निधि पर ध्यान नहीं दिया गया

कैग रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया कि पंजाब सरकार ने कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम को रद्द करने, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम और संयुक्त राज्य के मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर रायत कोष के संयुक्त तत्वावधान में ठीक से लागू नहीं किया है। 2016-17  की रिपोर्ट अनुसार जिला कार्रवाई की योजना तैयार नहीं हुई है, और 2.79 करोड़ रुपए की राशि अनियमित रूप से अन्य गैर-संचारी रोगों के लिए खर्च की गई। राज्य में 14 कार्डियक और कैंसर की देखभाल इकाइयों में, कैंसर की देखभाल सुविधा केवल बठिंडा में उपलब्ध थी,जो अभी भी  चालू नहीं हुई जिसका आरोप बादलों पर भी जाता है।

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