ढिल्लों को कनाडा में प्रवेश से रोकने की बड़ी भूल,भारत-कनाडा के रिश्तों में भरी खटास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 10:02 AM

canada denies entry to retired crpf officer

बीते दिनों अपने पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कनाडा पहुंचे सी.आर.पी.एफ. के पूर्व आई.जी. तजिन्द्र ढिल्लों को कनाडा में प्रवेश करने से रोकने की हर तरफ निंदा हो रही है।

जालंधर  (पुनीत): बीते दिनों अपने पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कनाडा पहुंचे सी.आर.पी.एफ. के पूर्व आई.जी. तजिन्द्र ढिल्लों को कनाडा में प्रवेश करने से रोकने की हर तरफ निंदा हो रही है। भले ही कनाडा सरकार ने अपनी भूल को सुधारते हुए उन्हें खुद के खर्च पर कनाडा की टिकट मुहैया करवाई लेकिन इतने बड़े अधिकारी के साथ हुए इस गलत व्यवहार को पचा पाना मुश्किल है। ढिल्लों के साथ हुए इस व्यवहार से भारत-कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर से खटास आ गई है जोकि दोनों देशों के लिए अच्छी बात नहीं है। 

 

आई.जी. को डिपोर्ट करने को रक्षा मंत्री के मामले में बदला लेने से जोड़कर देखा जा रहा है। कारण कुछ भी रहा हो इस पूरे मामले में कनाडा सरकार की खूब किरकिरी हुई है। बताया जाता है कि कनाडा ने समय रहते अपनी भूल को इसलिए ठीक कर लिया क्योंकि कनाडा में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्याॢथयों से वहां की सरकार बड़े स्तर पर रैवेन्यू कमाती है। इसी को मद्देनजर रखते हुए आनन-फानन में आई.जी. को टिकट व वीजा देकर कनाडा ने अपनी भूल को सुधार लिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में कनाडा की यात्रा की थी, 42 वर्ष के बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री ने कनाडा की यात्रा की जिसके बाद से उम्मीद थी कि दोनों देशों में रिश्ते मधुर होंगे लेकिन रिश्तों में उस तरह की मधुरता नहीं आई जैसी उम्मीद थी। 

 


कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन के भारत दौरे के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा उनके साथ मुलाकात नहीं की गई जोकि दोनों देशों में चर्चा का विषय रहा। सी.आर.पी.एफ. से 2010 में रिटायर हुए आई.जी. राजेन्द्र ढिल्लों को देश के दुश्मनों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कई बड़े आप्रेशन किए जिसके बाद वह सुॢखयों में आए। उन पर ह्यूमन राइट्स वायलेशन करने की बातें कही गईं लेकिन इसके बावजूद उनकी सेवाओं की खूब सराहना हुई। सी.आर.पी.एफ. में उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं व अंतत: 2010 में वह अपने पद से सेवा मुक्त हो गए। 


देश सेवा के लिए सी. आर. पी. एफ. सहित सेना में जाने वाले युवाओं के लिए तजिन्द्र ढिल्लों आदर्श हैं। कनाडा के वेंकूवर एयरपोर्ट पर उनके साथ हुए इस तरह के व्यवहार ने भारत-कनाडा के रिश्तों में एक खटास भर दी है जिसे लंबे अर्से तक याद रखा जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि अपनी गलती सुधारते हुए तजिन्द्र ढिल्लों के साथ कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर ने मुलाकात करके इस घटना पर अफसोस जताया व उन्हें कनाडा की टिकट मुहैया करवा कर फ्लाइट में बिठाया।

 

डिपोर्ट करना अफसोसजनक: सांसद बिट्टू


इस संबंध में लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का कहना है कि यह अफसोसजनक बात है कि भारत के हीरो के तौर पर जाने जाते तजिन्द्र ढिल्लों के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा कि भले ही कनाडा सरकार ने अपनी गलती सुधारी है लेकिन उन्हें चाहिए कि वह कनाडा में ढिल्लों के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन करें।

 

भारत के हीरो को रोका : सोम प्रकाश 


फगवाड़ा से विधायक सोम प्रकाश का कहना है कि ढिल्लों भारत के हीरो हैं और उनके साथ जो व्यवहार किया गया है वह गलत है। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार को भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने चाहिएं और भारत के मौजूदा व पूर्व अधिकारियों के प्रति अच्छा रवैया रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा कनाडा के मंत्रियों व अधिकारियों को जिस कदर सम्मान दिया जाता है वैसा ही सम्मान भारतीयों को भी मिलना चाहिए।


बिना जांच डिपोर्ट करना गलत: कोहाड़

 वरिष्ठ अकाली नेता अजीत सिंह कोहाड़ ने कहा कि बिना जांच-पड़ताल के इस तरह की कार्रवाई करना गलत है। कनाडा हाई कमीशन को इस तरह के मामले  सजगता व समझदारी के साथ सुलझाने चाहिएं ताकि किसी को भी परेशानी का सामना न करना पड़े। इस तरह भारत के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को वापस भेजने से रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है इसलिए सरकार को आवश्यक कदम उठाते हुए उन्हें कनाडा में सम्मानित करना चाहिए। 

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