Edited By Updated: 09 Dec, 2016 01:00 PM
केंद्र में सत्ता चला रही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा आम भाजपा के वर्कर8 नवम्बर को
जालंधर(पाहवा): केंद्र में सत्ता चला रही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा आम भाजपा के वर्कर8 नवम्बर को घोषित नोटबंदी को सही करार देने में लगे हैं, लेकिन जिस तरह से केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बयान जारी कर खुलासा किया है कि 12 लाख करोड़ रुपए के करीब 500 व 1000 रुपए के नोट बैंकों में वापस जमा हो गए हैं, के चलते स्वाल खड़े होने लगे हैं। इस प्रकार के बयानों के कारण मोदी के दावों की आखरी विकेट भी गिर गई है। असलियत में मोदी सरकार को आशंका थी कि देश में ब्लैकमनी भारी मात्रा में जमा पड़ी है। सरकार को कम से कम 5 लाख करोड़ रुपए के करीब ब्लैकमनी जो 500 व 1000 के नोटों में थी, के वापस न आने की उम्मीद थी।
नोटबंदी का फैसला एक खराब आर्थिक नीति
बाजार में 500 व 1000 रुपए के नोटों की राशि 15.44 लाख करोड़ रुपए के करीब बताई जा रही थी। नोटबंदी के बाद करीब 13 लाख करोड़ रुपए बैंकों में आ चुके हैं, जबकि 31 दिसम्बर तक अभी और राशि जमा होनी है। इस सबके बीच कांग्रेस ने नोटबंदी को लेकर अपना आक्रामक रुख बरकरार रखते हुए आज कहा कि ठीक एक महीने पहले किया गया यह फैसला एक त्रासदी है, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। कांग्रेस ने केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया और भारतीय रिजर्व बैंक के बयानों का हवाला देते हुए दावा किया कि उन्होंने पार्टी के उस रुख की पुष्टि की है कि नोटबंदी का फैसला एक खराब आर्थिक नीति है।
मोदी सरकार हुर्इ हिट विकेट
गौरतलब है कि राजस्व सचिव ने हाल ही में कहा कि सारे नोट बाजार में आ जाएंगे और किसी अप्रत्याशित लाभ की उम्मीद नहीं है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की प्रवक्ता ने सरकार पर नोटबंदी की घोषणा करने के बाद नियमों में बदलाव कर रोज नई-नई बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह आतंकवाद, जाली नोट, काला धन और भ्रष्टाचार के मुद्दों को हल करने में नाकाम रही। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि नोट पर प्रतिबंध के नरेंद्र मोदी की एक तरफा घोषणा के एक महीने बाद देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। प्रधानमंत्री ने 8 नवम्बर को देश से कहा था कि नोटबंदी का फैसला काला धन एवं भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने के लिए किया गया, लेकिन ये तीनों विकेट जिन पर पी.एम. मोदी ने इस नाकाम योजना की शुरूआत की, गिर गए और मोदी सरकार हिट विकेट हो गई।