Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 09:16 AM
मध्य प्रदेश के हालिया निकाय चुनावों के नतीजे क्या भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं
जालंधर (पाहवा): मध्य प्रदेश के हालिया निकाय चुनावों के नतीजे क्या भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं? खबरों की मानें तो गुटबाजी, अंतर्कलह और बगावत से जूझ रही मध्य प्रदेश भाजपा में इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है। पार्टी यहां पर गुटबाजी को खत्म करने में विफल रही, जिस कारण सामने आए निकाय चुनाव के परिणाम ने पार्टी के माथे पर शिकन डाल दी है। कांग्रेस और भाजपा को निकाय चुनावों में 9-9 स्थानों पर जीत मिली, जबकि अनूपपुर की जैतहरी नगर परिषद निर्दलीय के खाते में गई, जो भाजपा के ही बागी प्रत्याशी थे। ये नतीजे कांग्रेस के लिए ऑक्सीजन हैं। एंटी इन्कम्बैंसी और भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी से कांग्रेस को जो फायदा मिला है, उसे वह साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों तक बरकरार रख पाएगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस इस जीत से जोश में है और उसे उम्मीद है कि मध्य प्रदेश में वह अगली सरकार बनाने में कामयाब होगी।
वोट प्रतिशत रहा एक समान
निकाय चुनाव में सबसे मजेदार वोटिंग का प्रतिशत रहा, जिसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों को 43-43 फीसदी मत मिले।
प्राप्त मतों का हिसाब और भी मजेदार है जिसमें 131470 भाजपा को तो 131389 कांग्रेस को मिले यानी कांग्रेस केवल 81 मतों से पीछे। नतीजों में कांग्रेस को 2 का फायदा तो भाजपा को 3 का नुक्सान हुआ।
45 वर्ष बाद हाथ आई मनावर सीट
धार की मनावर नगर पालिका 45 वर्षों तथा धार नगर पालिका 23 वर्षों के बाद कांग्रेस जीत सकी वहीं दिग्गजों की अग्निपरीक्षा हुई, जिसमें कई मुंह की खा गए। मुख्यमंत्री का रोड शो भी कुछ खास नहीं कर सका क्योंकि विधायक बेल सिंह भूरिया के क्षेत्र सरदारपुर, रंजना बघेल के क्षेत्र मनावर, कालू सिंह ठाकुर के क्षेत्र धर्मपुरी, कुंवर हजारीलाल दांगी के क्षेत्र खिचलीपुर में पार्टी को मिली हार व धार की पहचान विक्रम वर्मा और विधायक नीना वर्मा के प्रत्याशी का हारना भाजपा के घटते प्रभाव का संकेत है।
मजबूत पकड़ वाले क्षेत्रों से भाजपा को निराशा
सबसे गौरतलब बात यह है कि यह सभी क्षेत्र आदिवासी बहुल हैं, जहां पर भाजपा की खासी पकड़ रही। निश्चित रूप से इसके पीछे बागियों की बगावत और वार्ड स्तर तक की कागजी योजनाओं की हकीकत है। दिग्विजय सिंह के बिना राघोगढ़ का सुरक्षित रहना है। बेहद रोचक बड़वानी का नतीजा रहा, जहां से कांग्रेस के लक्ष्मण चौहान ने चार बार भाजपा विधायक रहे प्रेम सिंह पटेल को हरा पालिकाध्यक्ष पर काबिज हुए।
तीन स्थानों पर खाली कुर्सी, भरी कुर्सी का चुनाव था, जिसमें राजगढ़ के खिचलीपुर और देवास के करनावद में खाली कुर्सी ने जीत दर्ज की। पहले दोनों ही स्थानों पर भाजपा काबिज थी, जबकि की ङ्क्षभड अकोड़ा नगर परिषद में बसपा की संगीता कुर्सी बचाने में कामयाब रही। 2012 के इन 19 निकाय चुनावों में जहां भाजपा के पास 12 तो कांग्रेस के पास 7 थीं जो अब बराबर यानी 9-9 हो गई हैं।
दो उप चुनाव बाकी हैं
अभी अगले 2 विधानसभा उप चुनाव सैमीफाइनल जैसे होंगे। कोलारस और मुंगावली में मतदान 24 फरवरी और मतगणना 28 को होगी। इनमें उत्तर प्रदेश से आई इलैक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों तथा हैदराबाद से आए वी.वी.पैट का इस्तेमाल होगा।