मोदी सरकार ने उद्योगों को दिया एक और बड़ा झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Aug, 2017 09:40 AM

another major blow to the industries

जहां एक ओर स्टील मंत्रालय ने भारत में 63 किलो प्रति व्यक्ति स्टील की खपत को आगामी वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं मोदी

लुधियाना(बहल): जहां एक ओर स्टील मंत्रालय ने भारत में 63 किलो प्रति व्यक्ति स्टील की खपत को आगामी वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं मोदी सरकार ने देश की स्टील इंडस्ट्री के विकास और पुन: स्थापना के लिए शुरू की गई जे.पी.सी. रिबेट पर ही रोक लगाकर लाखों छोटे स्टील खपतकारों को एक बड़ा झटका दिया है। 

पंजाब में छोटी इंडस्ट्री भी बेहद प्रभावित
भारत में स्टील की खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से 1978 में स्टील डिवैल्पमैंट फंड के तहत राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इंडस्ट्री के विकास के लिए स्थापित कॉर्पोरेशनों के माध्यम से ज्वाइंट पार्लियामैंट कमेटी रिबेट करीब 1 लाख छोटी स्टील इकाइयों को दी जा रही थी। इस वित्त वर्ष में केन्द्र सरकार द्वारा इस ग्रांट को जारी नहीं किए जाने से देश में करीब 10 लाख टन स्टील की खपत प्रभावित होगी, वहीं पंजाब में छोटी इंडस्ट्री भी बेहद प्रभावित होगी। जे.पी.सी. ग्रांट पर रोक का एम.एस.एम.ई. क्षेत्र  पर प्रभाव : ज्वाइंट पार्लियामैंट्री कमेटी के डाटा के मुताबिक चीन और अमरीका के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टील उपभोक्ता देश है, जहां वर्ष 2012 में 58 किलो प्रति व्यक्ति स्टील खपत, वर्ष 2015-16 में 63 किलो प्रति व्यक्ति पर पहुंची, जोकि विश्व में प्रति व्यक्ति स्टील के मुकाबले 4 गुना कम है, जबकि चीन में प्रति व्यक्ति स्टील की खपत 490 किलोग्राम के आंकड़े से भारत कोसों मील पिछड़ा हुआ है। 

सबसिडी मिलने से काम करने में होती है आसानी 
विश्व स्टील संघ के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में 6.1 प्रति फिनिश्ड स्टील की भारत में खपत वृद्धि हुई है, जोकि 2016 में 83.5 मिलियन टन के मुकाबले बढ़कर 88.6 मिलियन टन हुई है और वर्ष 2018 में 7.1 प्रतिशत वृद्धि के साथ 94.90 मिलियन टन फिनिश्ड स्टील की खपत होने का अनुमान है। भारत में जे.पी.सी. की स्टील इंडस्ट्री हेतु 200 रुपए की ग्रांट में अधिकतर हिस्सा रिसर्च और वितरण पर खर्च होने के बाद करीब 20 करोड़ की ग्रांट एम.एस.एम.ई. क्षेत्र के हिस्से में आती है, जिससे नैशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन और एस.एस.आई.सी. के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील कम्पनियों का माल छोटे खपतकारों को 470 रुपए प्रति टन रियायत पर बेचा जाता है, जिसमें से वितरण खर्चों में कटौती के बाद 235 रुपए की रिबेट एम.एस.एम.ई. क्षेत्र को मिलती है। इससे जहां बड़े प्लांटों की सेल में बढ़ौतरी होती है, वहीं छोटी इंडस्ट्री को ट्रेडरों और बिचौलियों से राहत के अलावा सबसिडी मिलने से काम करने में आसानी होती है। अब केन्द्र सरकार द्वारा इस ग्रांट पर रोक लगाने से स्टील प्रोड्यूसरों को माल बेचने के लिए ट्रेडरों पर आश्रित होने से सेल प्रभावित होगी। वहीं कॉर्पोरेशनों के लिए माल की बिक्री करना मुश्किल हो जाएगा। 
 

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